वाराणसी (ब्यूरो)। बिजलीकर्मियों की सांकेतिक हड़ताल रविवार को जरूर समाप्त हो गई, लेकिन रामनगर व चांदपुर औद्योगिक क्षेत्र में प्रशासनिक अक्षमता भी उजागर हो गई। ङ्क्षचता उभरी कि सरकार जहां ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए प्रदेश में निवेश की जमीन तैयार कर रही है, वहीं तीन दिन की हड़ताल में उद्योगों को संचालित हाल में रखना कठिन हो गया। ऐसे में करोड़ों रुपये का उत्पादन प्रभावित हुआ।
वास्तव में हड़ताल अवधि में औद्योगिक क्षेत्र में बिजली संकट दूर करने के लिए कोई भी अधिकारी सामने नहीं आया। यहां तक कि एडीएम स्तर के अधिकारियों को उद्यमी फोन करते रहे, लेकिन किसी ने फोन तक रिसीव नहीं किया। चांदपुर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश भाटिया कहते हैं कि हड़ताल का दौर सदैव याद रहेगा। कभी भी ऐसा नहीं हुआ। हड़ताल के दौरान अधिकारियों ने उद्यमियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया।
फैक्ट्रियां रहीं बंद, 300 करोड़ का उत्पादन प्रभावित
हड़ताल की अवधि में बिजली आपूर्ति ठप होने से चांदपुर और रामनगर के 500 से अधिक फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद रहीं। इसके साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों में छोटी-बड़ी 1500 फैक्ट्रियां बंद रहीं। उद्योग क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि तीन दिनों तक बिजली आपूर्ति बाधित होने से 300 करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन प्रभावित हुआ है। हड़ताल से उत्पन्न विकट स्थिति से व्यापारी वर्ग भी परेशान रहा.
हड़ताल के हालात को भापने में नाकाम रहे अधिकारी
पूर्वांचल-डिस्काम प्रबंधन और जिला प्रशासन स्तर पर हड़ताल के हालात का अंदाजा लगाने में चूक हुई है। ऐसा इसलिए कि खुद एमडी शंभू कुमार ने भेलूपुर के डिस्काम कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान विषम स्थिति को नियंत्रित रखने का दावा किया था। जबकि हड़ताल की अवधि में पूरा सिस्टम फेल नजर आया। उद्योग जगत के लोगों ने इस स्थिति में जिला प्रशासन का कहीं भी मसहूस नहीं किया.