वाराणसी (ब्यूरो)। माघी पूर्णिमा 24 फरवरी को होने वाले रविदास जयंती की तैयारी की कमान पंजाब से आए सेवादारों ने संभाल ली है। जयंती में लंगर पकाने के लिए बर्तन की सफाई, चावल-गेहूं की धुलाई की जिम्मेदारी महिला सेवादारों ने संभाल ली है। लंगर पकाने के लिए मेगा किचन बनाया गया है। खाना बनाने के लिए लकड़ी की कटाई आरा मशीन से होने लगी है। लंगर हाल में जाने वाले खराब रास्ते की मरम्मत करने के लिए महिला और पुरुष दोनों सेवादार मिट्टी डालकर रास्ते दुरुस्त करने में व्यस्त रहे। धीरे-धीरे संगत के भी आने का क्रम शुरू हो गया। लंगर में पकने के लिए हरी सब्जी को छोड़कर बाकी सारी चीज पंजाब से ही आ रही है। रविदास मंदिर के 1 किलोमीटर के दायरे में मकान लोगों का किराए पर बुक होने लगा है.
निखरने लगा रंग
संत गुरु रविदास की जन्मस्थली का रंग निखरने लगा है। सेवादारों संग रैदासियों का जत्था पहुंचने लगा है। एक हफ्ता तक सीर वासियों की बल्ले-बल्ले रहेगी। वजह संत रविदास मंदिर के आसपास जितने भी मकान, घर हैं, सभी रैदासियों को ठहरने के लिए दे देते हैं। इसके लिए एक हफ्ता पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है। यानि घरों में साफ-सफाई से लेकर रंग-रोगन का काम शुरू हो जाता है। ठहराने के लिए शुल्क भी लिया जाता है। यही वजह है कि सीर वासियों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है। संत रविदास की जयंती धूम-धाम से मनाते हंै.
जैसा रूम, वैसा दाम
सीर में रैदासियों को ठहरने के लिए एक हफ्ता पहले से ही लोग अपने मकानों को खाली करना शुरू कर देते हंै। कई तो ऐसे रहते हैं, जो अपने बच्चों को रिश्तेदार के यहां एक हफ्ता के लिए भेज देते हंै। अपने रूम को एक हफ्ते के लिए भाड़े पर उठा देते हैं। एक-एक रूम को चार से पांच हजार रुपए में देते हंै। बड़ा बरामदा 2 से 3 हजार रुपए में देते हैं। यही नहीं जग, बाल्टी और टब का भी किराया लेते हैं। बाल्टी का 20 रुपए तो मग का दस रुपए किराया लेते हैं.
सजने लगा सीर
संत रविदास की जन्मस्थली सीर पिछले बार की अपेक्षा इस बार ज्यादा भव्य सजाया जा रहा है। एक तरफ दुकान लगने लगी है तो दूसरी तरफ संत रविदास का मंदिर सजने लगा है। रविदास कॉरिडोर का काम आखिरी चरण में चल रहा है। रविदास कॉरिडोर के किनारे हाईवे को जोडऩे वाले बने रास्ते पर नगर निगम द्वारा स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य काफी तेजी से किया जा रहा है.
21 व 22 को आएगा रैदासियों का जत्था
21 व 22 फरवरी को लाखों रैदासियों का जत्था आएगा। कुछ लोग बेगमपुरा एक्सप्रेस तो कुछ लोगों के लिए दो स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। इसी ट्रेन से वह वाराणसी आएंगे। जो लोग सीर पहुंचे, वह लंगर के किचन में प्रयोग होने वाले मसाला बनाने और आटा की पिसाई करने में जुट गए हैं। पंजाब से 100 की संख्या में सेवादारों की दूसरी संगत शुक्रवार को पहुंची है.
सीर गोवर्धन में तैयारी चल रही है। पंडाल बनने लगा है। जो रैदासी आ रहे हैं उनके लिए पंडाल बनाया गया है। उसी में ठहराया गया है.
निरंजन दास चीमा, सेक्रेट्री, संत रविदास मंदिर