-बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन से उपभोक्ताओं की बढ़ी परेशानी

-कोई बिल भरने के लिए तो कोई नए कनेक्शन के लिए विभाग का काट रहा चक्कर, नहीं हो पा रहा काम

VARANASI

बिजली विभाग को निजी हाथों में देने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बिजली कर्मियों और शासन के बीच अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। जबकि कर्मचारियों के प्रदर्शन को एक सप्ताह से ज्यादा का समय बीत चुका है। इस बीच न तो विद्युत कर्मचारी अपने फैसले से पीछे हट रहे और न ही शासन स्तर पर बैठे आला अफसर कोई समाधान निकाल रहे हैं। ऐसे में विभाग व शासन के इस आपसी खींचतान का खामियाजा आम बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। कोई बिजली का बिल नहीं भर पा रहा है तो कोई पावर कट होने पर शिकायत नहीं कर पा रहा है। अब इन उपभोक्ताओं की सुने तो कौन सुने।

19 से चल रहा विरोध

पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के सभी कर्मचारी व अधिकारी 19 मार्च से प्रांतव्यापी कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठे हैं। इससे भेलूपुर बिजली विभाग के खंड एक समेत सभी खंडों में कामकाज प्रभावित हो गया है। यहां बिजली से संबंधित कार्य कराने आ रहे लोगों को रोजाना वापस होना पड़ रहा है। इसकी फिक्र न तो शासन को है और न ही बिजली विभाग के अफसरों को।

वार्निग के बाद भी सो रही सरकार

बिजली कर्मचारियों व अधिकारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो उनका प्रदर्शन आंदोलन का रूप ले लेगा। अधिकारियों की मानें तो निजीकरण का फैसला उपभोक्ताओं के पक्ष में नहीं है। सरकार में बैठे अफसरों को उपभोक्ताओं से ज्यादा बड़े उद्योग घरानों की चिंता है, जिनके हाथों में इस धरोहर को देने का इरादा बनाया गया है। यह लड़ाई विभाग ही नहीं उपभोक्ताओं के लिए भी लड़ी जा रही है। सप्ताह भर होने के बाद भी इस मुद्दे पर न तो सूबे की सरकार कोई निर्णय ले पा रही है और न ही पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम।

प्राइवेट से बिजली मिलेगी महंगी

जानकारों की मानें तो पूर्व में भी बिजली विभाग का निजीकरण करना सरकार के लिए महंगे का सौदा साबित हुआ है। आगरा व ग्रेटर नोएडा में बिजली विभाग के निजीकरण के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों रुपयों का लॉस हुआ है। इसके बावजूद सरकार की ओर से वाराणसी समेत गोरखपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ जैसे महानगरों के बिजली विभाग को निजी हाथों में देने का फैसला लिया गया है।

उपभोक्ताओं की परेशानी उन्हीं की जुबानी

बिजली बिल जमा करने के लिए पिछले चार दिन से विभाग का चक्कर काट रहा हूं। अब कहते हैं कि विरोध प्रदर्शन खत्म होने के बाद ही कुछ काम होगा।

मोहसिन, बजरडीहा

घर में प्रीपेड मीटर लगवाना है। कई बार यहां आकर वापस चला जाता हूं। हर बार यही कहकर भगा दिया जाता है कि काम बंद है। एक सप्ताह बाद आना।

गोविंद कुमार

तीन माह का बिजली बिल बकाया है। पिछले पांच दिन से बिल जमा करने आ रहा हूं, लेकिन जमा नहीं हो रहा। कर्मचारी कहते हैं कि दिन में दो बजे तक ही काम होता है।

संतोष मिश्रा

एलईडी बल्ब के लिए लोहता से भेलूपुर कार्यालय में आया तो पता चला कि कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर वे विरोध करेंगे तो काम कैसे होगा।

सेराज, लोहता

यह विभागीय नहीं उपभोक्ताओं की भी लड़ाई है। जिसे हम अंजाम तक पहुंचा कर रहेंगे। बिजली विभाग के निजीकरण की भरपाई सबसे ज्यादा उपभोक्ताओं को करनी पड़ेगी। आगरा में वर्तमान में घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट यहां से दोगुने रेट पर चार्ज वसूला जा रहा है।

आरके वाही, संयोजक-विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति