वाराणसी (ब्यूरो)। जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद और कबीर की नगरी में रंगमंच के कलाकारों का कोई जोड़ नहीं है। जिसको प्लेटफार्म मिला, वह मुंबई और दिल्ली में काम कर रहे हैं और जिसको नहीं मिला वह भी अभिनव को जिंदा रखने के साथ अपना बिजनेस कर रहे हैं। लेकिन, रंगमंच के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ। वल्र्ड रंगमंच दिवस के अवसर पर काशी के कई कलाकारों से बातचीत की गयी तो कई पहलू सामने आए। अगर इनको पूरा कर दिया जाए तो काशी के कलाकारों के आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता.
आठ सौ से पुराना मंच है
नाटकों का मंचन करीब 800 से अधिक वर्षों से चला आ रहा है। इस प्रकार बनारस में नाट्य व रंगमंच की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है। जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद और कबीर की नगरी से कई कलाकार आज मुंबई के थिएटर में काम कर रहे हैं, कई ऐसे है जिनको आज तक मंच ही नहीं मिला। वह मंच के लिए परेशान है.
नागरी नाटक मंडल मंच
काशी में थिएटर कलाकारों के लिए एक मंच है वह है नागरी नाटक मंडली। कलाकारों का कहना है कि नागरी नाटक मंडली की मंच इतना अधिक महंगा है कि कोई भी कलाकार आज इस मंच पर नाटक कर नहीं पाता। सरकार को काशी में नाटक मंचन के लिए ऐसे हाल बनवाने चाहिए जिसका किराया काफी कम हो। जिसको थिएटर कलाकारों को आसानी से मिल जाए.
200 कलाकार
बनारस थिएटर क्लब के अध्यक्ष अर्पित सिधोरे का कहना है कि बनारस में आज 200 थिएटर कलाकार हैं। इसमें 100 लर्निंग के कगार पर हैं। बाकी 40 ऐसे कलाकार हैं, जो मुंबई में फिल्में, कास्टिंग में कार्य कर रहे है। इसके अलावा 50 ऐसे कलाकार है जिनको मंच न मिलने से वह नाटक के साथ अपना व्यवसाय कर रहे हैं.
दोपहिया में काम कर चुकीं स्मृति
भोजूबीर की रहने वाली स्मृति मिश्रा रंगमंच की बड़ी कलाकार बन गयी है। बनारस के थिएटर में काम करते-करते आज वह मुंबई की फिल्मों में काम कर रही है। वह बताती हैं कि गुंडा जैसे कई नाटक में काम कर चुकी है। अब वह फिल्मों में काम कर रही हैैं। कुछ दिन पहले ही इनकी फिल्म दोपहिया लांच की गयी जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। इसके बाद इनकी ढाई आखर फिल्म आ रही है। अपनी फिल्म को लेकर काफी उत्सुक हैं। मामला लिगल है, ढाई आखर, कृष्णा-अर्जुन फिल्म आने वाली है। फिल्म शूट हो चुकी है। 14 लोग सक्रिय हंै बनारस रंगमंच कला थिएटर कर जीवन यापन कर पाए। उन्होंने बताया कि पुनीत मिश्रा, त्रिभुवन नाथ, स्मृति मिश्रा एनएसडी नई दिल्ली में पढ़ चुकी हैं.
वेब सीरीज में आजमा रहे किस्मत
बनारस के सिगरा के रहने वाले विनोद कुमार भी कई वेब सीरीज में काम कर कर चुके हंै। आज कई भोजपुरी एलबम भी बना रहे हैं। उनका कहना है कि अब वह एलबम बनाने के लिए बनारस ही नहीं बाहर भी जाते हैं। बनारस में एलबम की शूटिंग के लिए बड़ा सा स्टूडियो होना चाहिए जिससे कलाकारों को उचित प्लेटफार्म मिल सके.
अपने पॉकेट में पैसा लगाकर कब तक कला को जिंदा रखेंगे। सरकार को कलाकारों के लिए कुछ करना चाहिए.
अर्पित सिधोरे, अध्यक्ष, बनारस थिएटर क्लब
कई फिल्मों में काम कर चुके हंै। इस समय वेब सीरीज पर काम चल रहा है। कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए मंच होना चाहिए.
विनोद कुमार, आर्टिस्ट
नागरी नाटक मंडली के अलावा बनारस में एक भी थिएटर मंच नहीं है, जिसमें कलाकार नाट्य मंचन वगैरह कर सकें.
स्मृति मिश्रा, थिएटर आर्टिस्ट
कलाकार तो बनारस में बहुत है लेकिन उन्हें मंच नहीं मिल पा रहा है। आज मैं एलबम बना रहा हूं, कई गाने मार्केट में आ चुके हंै.
कौशिक भवानी, एल्बम कलाकार
नाटकों में काम कर रहे हंै। आगे भी जाने की इच्छा है, लेकिन प्लेटफार्म इतने महंगे हैं कि उन पर अभिनव करना काफी मुश्किल हो गया है.
हर्ष गिरी, आर्टिस्ट