- शहर में घरों से लेकर उद्योगों में इस्तेमाल हो रहा फासिल फ्यूल हवा में घोल रहा जहर

- डेली कई टन खप जा रहा है कच्चा कोयला लेकिन नहीं है किसी को सुध

भले ही पीएम मोदी ने गांव देहात में इस्तेमाल होने वाले चूल्हे को महिलाओं संग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होने की बात कहते हुए इसे हटाने की बात कही हो लेकिन कच्चे कोयले के इस्तेमाल संग मिट्टी तेल से निकलने वाला धुंआ बीमारी संग पाल्यूशन बढ़ाने का काम कर रहा है। कोयला जलने से उत्सर्जित होने वाले कण, वायु की गुणवत्ता को खराब करने का तो काम कर ही रहे हैं साथ ही खाना पकाने और गर्मी पैदा करने के लिए लकड़ी, गोबर दूसरी चीजें को जलाने के चलते भी जहरीली गैस हवा संग वातावरण को प्रदूषित करने का काम कर रही हैं। शहर की आबोहवा इससे लगातार खराब हो रही है।

यूनीसेफ भी कर चुका है आगाह

फासिल फ्यूल यानि कोयला, मिट्टी तेल और पेट्रोल डीजल वातारण में किस तरह जहर घोल रहा है इसे लेकर यूनिसेफ भी आगाह कर चुका है। रिपोर्ट के अनुसार फासिल फ्यूल का बढ़ता इस्तेमाल बाहरी हवा के साथ-साथ घर के भीतर की हवा को भी प्रदूषित कर रहा है। ये प्रदूषित हवा लोगों के स्वास्थ पर बुरा असर डाल रही है। सबसे ज्यादा खतरा उद्योगों में इस्तेमाल हो रहे कच्चे कोयले से है।

बढ़ रही हैं बीमारियां

फासिल फ्यूल का बढ़ रहा इस्तेमाल बीमारियों को बढ़ा रहा है। डॉ केपी पाठक की मानें तो इस फ्यूल का बढ़ रहा इस्तेमाल हृदय रोग, फेफड़े संबंधी रोग और फेफड़े के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की वजह बन रहा है।

कारण हैं कई लेकिन परवाह किसी को नहीं

- शहर में स्थित सैकड़ों उद्योग इस्तेमाल कर रहे हैं कच्चे कोयले का

- ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश घरों में अब भी चूल्हे का इस्तेमाल बढ़ा रहा पाल्यूशन

- आंकड़ों के मुताबिक हर महीने कई टन कोयला खप जा रहा है शहर में

- मिट्टी के तेल का इस्तेमाल भी पाल्यूशन को दे रहा बढ़ावा

कच्चे कोयले संग केरोसिन के जलने पर इससे निकलने वाला धुआं वातावरण के लिए बहुत नुकसानदायक है। अब तो सरकार भी इस ओर ध्यान दे रही है लेकिन लोगों को चेतना होगा और इन चीजों का इस्तेमाल कम करना होगा।

प्रो बीडी त्रिपाठी, पर्यावरणविद्