वाराणसी (ब्यूरो)2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने को लेकर भारत सरकार की ओर से युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही हैभारत में एक भी टीबी का मरीज न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर प्लान बनाकर काम किया जा रहा है

बनाया गया नया प्लान

इस बार डिपार्टमेंट की तरफ से एक नया प्लान लाया गया हैअब तक जहां डोर टू डोर टीबी पेशेंट को खोजने का काम किया जा रहा था, वहीं अब बनारस को टीबी मुक्त करने के लिए पंचायत की करने का फैसला लिया गया है

वार्डों में रखेंगे पंचायत

शहर के अलग-अलग वार्ड में पंचायत कर लोगों को अवेयर करने के साथ टीबी रोगियों को छुपाने नहीं इलाज कराने की जानकारी दी जाएगीयह योजना न सिर्फ शहर बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगाराष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सीएमओ कार्यालय में 'टीबी मुक्त पंचायत अभियानÓ व नई पहल 'टीबी फैमिली केयर गिवरÓ को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला भी किया गया है

59 स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग

इस कार्यशाला में 59 स्वास्थ्यकर्मियों और 8 ग्राम पंचायत अधिकारियों को ट्रेनिंग देकर मास्टर ट्रेनर बनाया गयाअब ये मास्टर ट्रेनर ब्लॉक पर प्रशिक्षण देंगेडब्ल्यूएचओ से राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक डॉवीजे विनोद ने प्रतिभागियों को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को लेकर बताया कि पिछले तीन सालों में जिन क्षेत्रों में अधिक या कम टीबी मरीज मिले हैं उनकी सूची वार्ड स्तर तैयार करेंइसके बाद वहां विशेष ध्यान देकर स्क्रीनिंग, जांच, उपचार, परामर्श, पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर जल्द से जल्द टीबी मुक्त पंचायत के रूप में घोषित करेंइस कार्य में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) सहित ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, एनटीईपी कर्मी व अन्य स्वास्थ्यकर्मी सहयोग करेंगे

विस्तार से जानकारी

इस दौरान टीबी क्या है, लक्षण, जोखिम, जांच, उपचार, निक्षय पोषण योजना आदि के बारे में विस्तार जानकारी दी गईसाथ ही पोषण पोटली वितरण, टीबी के उपचार से जुड़ीं सामुदायिक भ्रांतियों, भावनात्मक सहयोग आदि के बारे में भी बताया गया

टीबी फैमिली केयर गिवर

प्रशिक्षण के दौरान 'टीबी फैमिली केयर गिवरÓ के बारे में विस्तार से चर्चा की गईसीएमओ डॉसंदीप चौधरी ने बताया कि पारिवारिक देखभाल से रोगी और देखभाल करने वाले के सम्बन्ध बेहतर होते हैं और देखभालकर्ता का आत्मविश्वास बढ़ता हैदेखभाल करने वाले कठिन परिस्थितियों को संभालना सीखते हैं, इससे उनमें संतुष्टि का भाव आता है और इसका सीधा प्रभाव रोगी के स्वास्थ्य परिणाम पर पड़ता हैइसी उद्देश्य के साथ बनारस में फैमिली केयर गिवर कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही हैडीपीसी संजय चौधरी ने बताया कि अब तक टीबी का उपचार ले रहे मरीजों के लिए एक ट्रीटमेंट सपोर्टर नियुक्त किया जाता था, जो कि आशा कार्यकर्ता होती थी, लेकिन अब मरीज का ध्यान रखने के लिए उसी के परिवार से या उसके किसी नजदीकी व्यक्ति को केयर गिवर का दायित्व सौंपा जाएगायह पहल टीबी के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों को समुचित देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगा

परिवार के सदस्य अहम

यह केयर गिवर टीबी मरीज को भावनात्मक रूप से तो सहयोग करेगासाथ ही वह मरीज को उपचार पूर्ण करने, बीच में दवा न छोडऩे, पोषण आहार लेने आदि में भी सहायता करेगाटीबी मरीज की उचित देखभाल और सहयोग प्रदान करने में परिवार के सदस्य अहम भूमिका निभा सकते हैं

ऐसे बनेंगे केयर गिवर

इस पहल के तहत स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रत्येक टीबी पेशेंट के लिए कोई ऐसा व्यक्ति जो अधिकतर समय मरीज के साथ रहता हो व जिसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो एवं लिखना-पढऩा जानता हो, की पहचान की जाएगीसाथ ही वह रोगी की देखभाल की जिम्मेदारी लेने को तैयार हो और परिवार की देखभाल करने वाला बनने के लिए सहमत होदेखभाल करने वाला मरीज का रिश्तेदार होना जरूरी नहीं है.

इस योजना से टीबी पेशेंट के उपचार, उचित पोषण और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगीसाथ ही टीबी से ग्रसित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा और हम टीबी मुक्त भारत बनाने की ओर अग्रसर होंगे

डॉसंदीप चौधरी, सीएमओ