वाराणसी (ब्यूरो)। शादी के बाद हर महिला मातृत्व सुख पाने की इच्छा रखती है। तमाम लोगों के बच्चों को देखने के बाद वे अपनी गोद में बच्चे की इच्छा रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी की असहनीय वेदना की कल्पना मात्र से पहली बार मातृत्व सुख पाने जा रही महिला डिप्रेशन में आ जाती है। इसलिए ज्यादातर प्रेग्नेंट वीमेन इस असहनीय दर्द से बचने के लिए नॉर्मल के बजाय सिजेरियन डिलीवरी प्रीफर कर रही हैं। यही वजह है कि आज प्राइवेट अस्पतालों में नॉर्मल से ज्यादा सिजेरियन डिलीवरी हो रही है। अब इस तरह की विमेंस को ज्यादा टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्मार्ट सिटी बनारस में पेनलेस डिलीवरी भी हो रही है। यह सुविधा न सिर्फ प्राइवेट में बल्कि सरकारी हॉस्पिटल्स में भी दी जा रही है। डॉक्टर्स की मानें तो सिटी में पेनलेस डिलीवरी का कांसेप्ट काफी समय से है, मगर ज्यादातर महिलाओं को जानकारी नहीं है, लेकिन आज वे इस सुविधा के बारे में विस्तार से जान पाएंगी.
केस-1
एक माह पहले महमूरगंज निवासिनी सोनाली को प्रसव पीड़ा होने पर एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। डिलीवरी का समय नजदीक आने पर दर्द से कराह रही सोनाली ने परिजनों की सहमति के बाद पेनलेस डिलीवरी का निर्णय लिया। फिर सोनाली को इपीड्यूरल दिया गया। एनेस्थिसिया एवं गायनिक की टीम ने मिलकर करीब दो घंटे में डिलीवरी कराई। इस महिला की तीसरी डिलीवरी थी.
केस-2
पिछले माह ही लहरतारा की संजना की डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल में एडमिट कराया गया है। दूसरे दिन प्रसव पीड़ा होने पर संजना दर्द सहन नहीं कर पा रही थीं और अटेंडेंट सिजेरियन नहीं चाह रहे थे। जिसके बाद डॉक्टर्स ने उनकी सहमति से इपीड्यूरल देकर पेनलेस डिलीवरी को अंजाम दिया। प्रसूता ने कहा कि यह उनका दूसरा बेबी था। इस डिलीवरी के दौरान अहसनीय पीड़ा सहन नहीं करनी पड़ी.
बड़े शहरों में ज्यादा प्रीफर
प्रेग्नेंट वीमेंस के दर्द से भरे सामान्य डिलीवरी को आसान बनाने के लिए पेनलेस डिलीवरी का चलन बड़े शहरों में खूब चल रहा है। लेकिन, बनारस में जानकारी के अभाव में महिलाएं इस सुविधा का लाभ नहीं ले पा रही हैं। हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल में आने वाली प्रसूताओं इसका फायदा मिल रहा है। इसके अलावा राजकीय चिकित्सालय व इससे संबद्ध सीएचसी, पीएचसी में भी पेनलेस डिलीवरी की सुविधा शुरू हो गई है। डॉक्टर्स की मानें तो जो महिलाएं ऑपरेशन और दर्द दोनों से डरती हैं उस केस में स्पाइनल एपीड््यूरल इंजेक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें उन्हें उन्हें इपीड्यूरल इंजेक्शन दी जाती है, जिससे पेनलेस डिलीवरी होती है। इस डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ होते हैं।
क्या होता है इपीड्यूरल
गायनोलॉजिस्ट डॉ। नेहा सिंह बताती हैं कि डिलीवरी पेन के दौरान इस्तेमाल होने वाले एनेस्थिशिया को इपीड्यूरल कहते हैं, जोकि स्पायनल कोलन में दिया जाता है। इपीडयूरल कैन्योला रीढ़ की हड्डी के बीच में दिया जाता है। इससे बॉडी के निचले हिस्से में दर्द का पता नहीं चलता। इपीड्यूरल लोकल एनेस्थिशिया और कुछ दवाओं का कॉबीनेशन है.
ब्लड व स्कीन इंफेक्शन में नहीं देते डोज
डॉ। नेहा की मानें तो यह महिला के सर्विक्स के खुलने के ऊपर निर्भर करता है। प्रसव पीड़ा के दौरान जब गर्भाशय चार से पांच सेटीमीटर तक खुल जाता है तब इपीड्यूरल दिया जाता है। इसके अलावा महिला की अवस्था पर भी निर्भर करता है, उसे डोज कब दिया जाए। प्रसव के दौरान अक्सर सिजेरियन करने की नौबत आ जाती है। ऐसे में शरीर पर चीरा लगता उसमें इंफेशन के चांसेस रहते हैं। इस प्रकार के प्रसव में ब्लड लॉस और सिर दर्द की समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। अगर ब्लड इंफेक्शन और स्कीन इंफेक्शन हो तो इपीड्यूरल का इस्तेमाल नहीं होता है। लो प्लेटलेट काउंट और ब्लड थिनर की समस्या पर भी इसका इस्तेमाल करना मुश्किल है।
आसान और सेफ है पेनलेस डिलीवरी
राजकीय महिला अस्प्ताल की एसआईसी डॉ। मनीषा सिंह बताती हैं कि नॉर्मल डिलीवरी की असहनीय वेदना से निजात दिलाने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इससे लेबर पेन बिल्कुल नहीं होता, लेकिन प्रसव की प्रक्रिया अपनी सामान्य गति से चलती रहती है। इस प्रकार बिना किसी तरह के सेफ डिलीवरी हो जाती है। इसे एपीड्यूरल लेबर एनॉल्जेसिया भी कहा जाता है। इस इंजेक्शन का असर करीब डेढ़ से दो घंटे तक रहता है.
पेनलेस डिलीवरी के लाभ
-मोटी महिलाओं का प्रसव काफी आसानी से हो जाता है.
-यह विधि प्रसव के किसी भी स्टेज में अपनाई जा सकती है.
-डिलीवरी के समय ऑपरेशन की जरूरत होने पर अलग से बेहोश नहीं करना पड़ता.
-यह विधि अत्यंत सुरक्षित और भरोसेमंद भी है.
-जिस जगह पर इंजेक्शन दी जाती है उस हिस्से में दर्द का एहसास नहीं होता।
इस पर भी देें ध्यान
-कुछ पैमाने निर्धारित हैं, जिनके आधार पर प्रेग्नेंट वीमेन का चुनाव किया जाता है.
-इस विधि का लाभ लेने के लिए पेशेंट को डॉक्टर से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है.
-पेशेंट की सहमति के बिना डाक्टर इसका प्रयोग नहीं कर सकते.
-ब्लीडिंग हो रही हो, सेप्टिसीमिया या फिर कोई मानसिक रोग होने पर भी इस विधि से डिलीवरी नहीं कराया जा सकता.
इस हॉस्पिटल में इपीड्यूरल की सुविधा पहले से ही नियमित रूप से चल रही है। एनेस्थीसिया विभाग और गायनी डॉक्टर को जिस प्रसूता में इसकी जरूरत महसूस होती है उसे यह उनके अटेंडेंट की सहमति लेकर दी जाती है.
डॉ। मनीषा सिंह, एसआईसी, राजकीय महिला चिकित्सालय
बनारस में पेनलेस डिलीवरी की मांग बढ़ रही है। असहनीय दर्द से निजात दिलाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इससे लेबर पेन बिल्कुल नहीं होता, लेकिन प्रसव की प्रक्रिया अपनी सामान्य गति से चलती रहती है। जब तक पेन स्टार्ट नहीं होता तब तक ये इंजेक्शन नहीं दिया जाता।
डॉ। नेहा सिंह, गायनोलॉजी