-ऑनलाइन शॉपिंग की लत बना रही मानसिक बीमार

-अगर आप खुश, दुखी या तनाव होने पर ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सावधान हो जाइए

केस-1

हाउस वाइफ सोनम शर्मा ऑनलाइन शॉपिंग में व्यस्त रहती हैं। एक माह में दस से अधिक ड्रेस और फुटवीयर ऑर्डर कर चुकी हैं। छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी ऑनलाइन ही सामान मंगाती है। अब वह क्रेडिट कार्ड के बिल को लेकर टेंशन में हैं।

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आईटी स्टूडेंट दिपाली जरूरत न होने पर भी सारा दिन ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स देखती रहती है। किसी भी उत्पाद पर छूट मिल रही हो तो उसे तुरंत बुक करा लेती है। अब तो वह बिना शॉपिंग के रह ही नहीं पाती। उसकी इस आदत से पैरेंट्स परेशान हो चुके हैं।

यह सिर्फ सोनम और दिपाली की प्रॉब्लम नहीं है। ढेरों ऐसे लोग हैं जिन्हें ऑनलाइन शॉपिंग लत लग चुकी है।

ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है जो पहले जरूरत, फिर शौक उसके बाद बड़े डिस्काउंट के लालच में वह वस्तुएं भी ऑनलाइन मंगा रहे हैं जिनकी उन्हें जरूरत तक नहीं। ऑनलाइन शॉपिंग की यह लत अब लोगों को मनोरोगी बना रहा है। यह हम नहीं मनोचिकित्सक कह रहे है। शहर के दस में से एक व्यक्ति को दिन-रात ऑनलाइन साइट पर यही तलाश रहती है कुछ सस्ता मिल जाए। इस तरह के मामले अब आम होते जा रहे हैं। सिटी के मनोचिकित्सकों के पास ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जो ऑनलाइन खरीदारी से ज्यादा खरीद की बीमारी का शिकार हो चुके हैं।

कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर

चिकित्सकों के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग की लत बीमार बना रही है। इस बीमारी का नाम कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर है। इसमें पेशेंट आवेग में आकर खरीदारी करते हैं। वह स्वयं को तब तक नियंत्रित नहीं कर पाते, जब तक कुछ खरीद नहीं लेंते। खरीदारी करने के बाद बेचैनी कम हो जाती है। ऐसे मरीजों का पूरे दिन का बड़ा समय ऑनलाइन साइट्स पर सामान ढूंढने में निकलता है। ऐसा न करने पर बेचैनी होने लगती है। कुछ लोग तो आधी रात में भी उठकर साइट्स पर ढूढंते रहते है।

बीमारी जाहिर नहीं होने देते

कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर के मरीज अपनी बीमारी छिपाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। लोगों की नजर में न आएं, इसके लिए वे छुप-छुप कर शॉपिंग करते हैं। खरीदारी के लिए पैसा कहां से आएगा, उन्हें इसकी चिंता नहीं रहती।

कस्टमर्स को करते हैं अट्रैक्ट

ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए तरह-तरह के लुभावने ऑफर दे रही हैं। सिर्फ फेस्टिव सीजन में ही नहीं बल्कि ऑफ सीजन में भी इन वेबसाइट्स पर अच्छे ऑफर्स मिलते हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग अब ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह देने लगे हैं।

डूब रहे कर्ज में

खरीदारी की आदत को क्रेडिट कार्ड और ईएमआई ऑप्शन ने भी बढ़ा रखा है। जेब में पैसे न होने पर भी लोग क्रेडिट कार्ड व ईएमआई से पैसे चुकाने की व्यवस्था की वजह से खरीदारी कर रहे हैं। इससे लोगों पर धीरे-धीरे कर्ज बढने लगा है।

-वर्जन

ऑनलाइन शॉपिंग के ट्रेंड ने बीमारी को बढ़ावा दिया है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा यूथ और महिलाएं है। ऐसे लोगों में शॉपिंग की लत दूसरों को देखकर भी बढ़ रही है। इसलिए इससे दूर रहना ही बेहतर होगा।

डॉ। डॉली सिंह-साइक्रिएटिस्ट

जरूरत से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर को जन्म दे रही है। ओपीडी में हर दिन इस तरह के शिकार एक से दो मरीज आ रहे है। बीमारी से बचना है तो ऑनलाइन शॉपिंग से बचना होगा।

डॉ। रविन्द्र कुशवाहा, मनोचिकित्सक, मंडलीय हॉस्पिटल

पब्लिक वर्जन

मेरी बहन को भी ऑनलाइन शापिंग की लत लगी हुई है। मैने कई बार देखा है कि बगैर किसी जरूरत के ही वह ऑनलाइन शापिंग करती रहती है।

प्रज्ञा कुमारी, हाउस वाइफ

यह जरूरी नहीं है कि आपको ऑनलाइन शॉप पर सब कुछ अच्छा और सस्ता मिल ही जाए। यह लत बीमारी न बने इसलिए इससे दूर रहना ही बेहतर है।

रागिनी शर्मा, टीचर

यह सही है कि लोग ऑनलाइन शापिंग को लेकर आदती होते जा रहे हैं। मेरा भाई भी इस लत का शिकार है। मना करने के बाद भी बेवजह शॉपिंग करता है।

रुपांजली शाह, हाउस वाइफ

एक समय था जब मैं भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर डटी रहती थी। कई बार ऐसा हुआ हम जो मंगाते है, वो हम तक पहुंचता नहीं है। इससे अब दूर हो गयी हूं।

वैशाली श्रीवास्तव, स्टूडेंट्स