वाराणसी (ब्यूरो)साइबर ठगों के टारगेट पर बनारस हैयहां के हर मूवमेंट पर उनकी नजर हैतीज-त्योहार से लेकर काशी में होने वाले हर प्रोग्राम का डाटा उनके पास हैअप्रैल में अचानक पर्यटकों की भीड़ और अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम के चलते ऑफ सीजन में भी सारे होटल व गेस्ट हाउस फुल हैंइसी की आड़ में साइबर अपराधियों ने होटल बुकिंग के नाम पर पर्यटकों को निशाने पर लिया हैबनारस में अचानक होटल में बुकिंग के नाम पर ठगी के मामले बढ़ गए हैंपिछले सात दिन में होटल मालिकों ने 50 से अधिक शिकायतें साइबर सेल में की हैठगों ने रूम बुक कराने के नाम पर दस लाख से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है.

केस-1

कोलकाता के नामी उद्योगपति ने परिवार के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन का प्रोग्राम बनायाटूर एजेंट को बनारस में होटल बुक कराने को कहा तो पता चला कि हाउसफुल हैउन्होंने ऑनलाइन चेक किया तो नामी होटल में रूम खाली दिख रहा था तो संपर्क नंबर पर फोन कियाआधा पैसा देकर बुक कर लियाबुकिंग तिथि पर होटल पहुंचे तो पता चला कि उनके नाम से कोई कमरा बुक नहीं है और ठगी का शिकार हो गए हैं.

केस-2

कानपुर के एक परिवार ने गूगल पर सर्च कर कैंटोनमेंट एरिया में होटल क्लार्क में तीन रूम बुक किया। 50 फीसद पेमेंट भी कर दियातय तिथि पर होटल पहुंचे तो पता चला कि उनके नाम से कोई बुकिंग नहीं हैइसे लेकर काफी बहस हुईपरिवार ने एकाउंट नंबर भी दियाया, जिस पर पेमेंट किया था, जिसे होटल प्रबंधन फेंक बतायाइतना सुनते ही परिवार के लोगों के होश उड़ गए.

इस तरह की ठगी के मामले में अचानक तेजी आ गई हैसाइबर सेल में हर दिन औसतन 14 मामले आ रहे हैं, जिसमें अधिकतर होटल बुकिंग के नाम पर ठगी के केस हैंजागरूक और सख्ती के बावजूद साइबर ठगों की नई चाल में पब्लिक फंस जा रही हैइस समय लोगों की हर समस्या का समाधान सर्च इंजन बन गया हैकिसी भी हेल्प के लिए लोग तुरंत ही सर्च इंजन पर जाते हैंआजकल इसी पर साइबर ठगों का पहरा हैअब तक साइबर ठग फोन कर एटीएम और पिन के नंबर मांगते थे, लेकिन, अब कस्टमर केयर बनकर ये साइबर ठग एकाउंट खाली कर दे रहे हैं.

सर्च इंजनों पर डाल रखे हैैं नंबर

साइबर ठग सभी सर्च इंजनों पर फर्जी होटलों के पेज व मोबाइल नंबर डाल रखे हैंजब कोई पर्यटक बनारस में होटल में रूम सर्च करता है तो ठगों के नंबर उसे आसानी से ऊपर दिखने लगते हैंसाइबर ठग अपना एड लगातार बूस्ट कराते रहते हैं, जिससे उनका नंबर सर्च इंजन पर सबसे ऊपर आता हैलोग ठग के नंबर को असली होटल के नंबर समझकर डायल करते हैंइसके बाद साइबर ठगों की गैंग एक्टिव हो जाती हैफोन करने वाले को बातों में फंसाकर उनका एकाउंट साइबर ठग साफ कर देते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

-बैंक से खाते की केवाईसी अपडेट कराने के लिए कभी भी किसी से व्यक्तिगत जानकारी/ओटीपी/सीवीवी/पिन नंबर नहीं मांगा जाता.

-किसी के कहने से कोई भी ऐप डाउनलोड न करें.

-किसी भी बेवसाइट पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले अच्छी तरह जांच लें.

-ऑनलाइन सेवाएं देने वाली कंपनियों और सरकारी विभाग के कस्टमर केयर का नंबर आधिकारिक वेबसाइट से ही लें.

-अनजान व्यक्ति/अज्ञात मोबाइल नंबर से भेजी गई लिंक पर क्लिक न करें.

-सरकारी उपक्रम, वेबसाइट या फंड की आधिकारिक वेबसाइट से ही ट्रांजेक्शन करेंवॉलेट और केवाईसी का अपडेट ऑथराइज्ड सेंटर पर जाकर ही कराएं.

-सोशल एकाउंट और बैंक खातों का पासवर्ड स्ट्रांग बनाएं, जिसमें नंबर अक्षर और चिह्न तीनो होंसाथ ही टू-स्टेप-वेरीफिकेशन लगाए रखे.

हर तरह की ऑनलाइन सर्विस पर साइबर फ्रॉड की नजर हैजागरूकता और सावधानी ही इनसे बचने का उपाय हैहालांकि साइबर घटना की जानकारी होते ही सेल और संबंधित पुलिस टीम एक्टिव हो जाती हैकई पीडि़तों का पैसा भी वापस कराया गया है

संतोष सिंह, एडिशनल सीपी