वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में रहस्यमयी बुखार ने ज्यादातर लोगों की सेहत खराब कर दी है। इस बुखार के आने के बाद मरीजों के पूरे शरीर और जोड़ों में दर्द तो लगातार बना रह रहा है। साथ ही गले में खरास और छाले पडऩे जैसी समस्याएं भी परेशान कर रही हैं। फीवर की दवा खाने के बाद राहत तो मिल रही है, लेकिन शरीर में दर्द बना रह रहा है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि पिछले एक माह में बनारस में एक लाख से ज्यादा मरीज जोड़ों में दर्द की समस्या लेकर जांच के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।
डेली 10 हजार मरीज
पांच हजार से ज्यादा ऐसे मरीज भी हैं जिनके गले में इंफेक्शन और छाले पडऩे की समस्या देखी गई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सिटी के एसएस हॉस्पिटल-बीएचयू, मंडलीय हॉस्पिटल, जिला अस्पताल, एलबीएस हॉस्पिटल रामनगर के अलावा विवेकानंद होम्योपैथिक अस्पताल, राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय व महाविद्यालय व सीएचसी चौकाघाट, दुर्गाकुंड व अन्य में मिलाकर डेली करीब 10 हजार से मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं।
तीन हजार में ज्वाइंट्स पेन
इसमें वायरल फीवर के साथ करीब तीन हजार से ज्यादा मरीजों में ज्वाइंट पेन की समस्या पाई जा रही है। इस तरह एक माह में एक लाख लाख से ज्यादा लोगों में यह समस्या पाई गई है। अगर प्राइवेट हॉस्पिटल के आंकड़ों को शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है।
काले धब्बे व लीवर समस्या
इसके अलावा मरीजों में कई और बीमारियां भी डिस्टर्ब कर रही है। जोड़ों में दर्द, बुखार के अलावा बीपी लो और लीवर में इंफेक्शन के साथ बुखार उतरने के बाद पेशेंट के चेहरे पर ब्लैक स्पॉट, बॉडी पर रेड रैसेस, पेट में गैस की समस्या और गले में करेंजाइटिस की प्रॉब्लम आ रही है। इससे अब लोग दवा खाने से डरने लगे हैं। वहीं डेंगू की बात करे तो 300 से ज्यादा डेंगू के कंफर्म और 300 से ज्यादा संदिग्ध मामले आ चुके हैैं, वहीं मलेरिया के भी 58 से ज्यादा केस सामने आए हैं। बुखार के मरीजों की संख्या तो लाखों में पहुंच चुकी है। शहर का ऐसा कोई घर नहीं है, जहां मच्छर जनित बीमारी और इस रहस्यमयी बुखार के मरीज न हों। बावजूद इसके इस बीमारी को रोकने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहा है। शहर में न तो मच्छर कम हो रहे हैं और न बीमार।
बच्चों को लेकर सतर्क
चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरल फीवर से हर कोई परेशान है। मौसम में बदलाव भी हो रहा है। ऐसे में सभी को संभलकर रहने की जरूरत है, खासकर बच्चों को। बच्चों का इम्युन सिस्टम कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं। ऐसे में उनकी देखभाल ज्यादा जरूरी है। बच्चे जहां भी खेलते हों, वहां आसपास पानी न जमा होने दें। छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते। इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रोए, बेचैन हो, शरीर पर रैशेज या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं.
वजह का पता नहीं
डॉक्टर्स की मानें तो इस बुखार की जद में आए लोग ठीक होने के बाद जोड़ों में दर्द के साथ नाक व चेहरे पर काले धब्बे होने की समस्या लेकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। इसकी वजह का पता नहीं चल पा रहा है। मंडलीय, जिला और प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह के हजारों मरीज पहुंच चुके हैैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की मानें तो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और टायफाइड के मरीजों में यह संक्रमण होता है। चिकनगुनिया से चेहरे, हाथ-पैर में धब्बे और रैशेज पड़ते हंै। बीमारी के दो तीन सप्ताह बाद इसके लक्षण दिखते हैं।
दर्द और बीपी की समस्या
इन सब बीमारियों के अलावा बुखार के मरीजों के गले में खरास, मुंह में छाले और दर्द की भी समस्या आ रही है। अस्पतालों में कई ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिनके मुंह से लेकर गले के अंदर तक छाले पड़ जा रहे हैं।
वायरल फीवर का प्रकोप इससे पहले कभी नहीं देखा गया था। पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। सिटी के 6 अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में डेली डेढ़ से दो हजार मरीज पहुंच रहे है। पीएचसी-सीएचसी अलग है। इसमें तीन हजार से ज्यादा में जोड़ो के दर्द की समस्या पाई जा रही है।
डॉ। एसएस कन्नौजिया, नोडल ऑफिसर, हेल्थ डिपार्टमेंट
डेंगू, मलेरिया में अभी तक जोड़ों में दर्द की समस्या नहीं देखी गई थी। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है जब वायरल फीवर में भी लोग जोड़ों की समस्या से परेशान दिख रहे हैं। कई ऐसे मरीज भी मिले हैं, जो महीने भर से बीमार है, लेकिन उनका दर्द अभी तक खत्म नहीं हुआ। इस तरह के डेली 500 से ज्यादा मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं।
डॉ। अजय गुप्ता, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज
ओपीडी में आने वाले पेशेंट्स वायरल फीवर, गले में दर्द और खरास की शिकायत लेकर आ रहे हैं। ज्यादातर में गले में सूखापन और छाले पडऩे की समस्या देखने को मिल रही है। इसे मेडिकल की भाषा में करेंजाइटिस कहते हैं। ये बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसमें गले में दर्द बढऩे के साथ खाना खाने में दिक्कत आती है। करीब-करीब हर फीवर पेशेंट समस्या से परेशान है।
डॉ। अंशुमान सिंह, ईएनटी स्पेशलिस्ट