वाराणसी (ब्यूरो)। आप विश्वास नहीं करेंगे नगर निगम का 1.03 करोड़ लाइसेंस शुल्क 6485 प्रतिष्ठान पिछले एक दशक से दबाकर बैठे हैं। शहर में नर्सिंग होम, बीयर, शॉप, मॉडल शॉप के साथ होटलों की संख्या बढ़ी तो निगम को लाइसेंस शुल्क की याद आयी। इसके बाद नगर निगम ने इसकी जांच की तो पता चला कि शुल्क तो जमा ही नहीं हो रहा। अब निगम ने रुपए निकालने के लिए सभी को नोटिस जारी किया है। नोटिस में 31 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है। इसके बाद लाइसेंस कुर्की की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
बीयर शॉप से नर्सिंग होम तक
नगर निगम का जिन संस्थाओं ने लाइसेंस शुल्क दबाकर बैठे है इनमें बीयर शॉप, नर्सिंग होम, प्रसूति गृह, प्राइवेट हास्पिटल, पैथालाजी सेन्टर, एक्सरे क्लिनिक, डेण्टल क्लिनिक, प्राइवेट क्लिनिक, फाइनेन्स कम्पनी, इन्श्योरेंस कम्पनी, देशी/ विदेशी शराब की दुकानें, मॉडल शॉप, बीयर शाप, छोटे होटल व लाज, दुकानें आदि शामिल हैं.
संख्या बढ़ी तो आई याद
शहर में मॉडल शॉप, बीयर शॉप के अलावा नर्सिंग होम, हास्पिटल और होटलों की संख्या बढ गई, लेकिन नगर निगम के शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इसके बाद निगम ने जोन के सभी अधिकारियों को बुलाकर समीक्षा बैठक की। बैठक में सभी एरिया की संस्थाएं, दुकानें और हास्पिटल का ब्योरा मांगा गया। उधर से रिपोर्ट आई तो सभी चौंक गए, क्योंकि पता चला कि पिछले एक दशक में हास्पिटल की संख्या बढ़कर दोगुनी, होटल, लॉज और गेस्ट हाउस की संख्या बढ़कर पांच गुनी हो गयी है। साथ ही बीयर और मॉडल शॉप की दुकानों में भी पांच गुना इजाफा हुआ है.
रेवेन्यू का ग्राफ जीरो
लेकिन नगर निगम के खजाने में रेवेन्यू का ग्राफ जीरो था। तब निगम ने सभी विभागों से सूची मंगवाई और सभी प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किया। नोटिस में दस साल का शुल्क जमा करने की हिदायत देने के साथ ही लास्ट डेट 31 अक्टूबर निर्धारित कर दी। नगर निगम का कहना है कि इसके बाद लाइसेंस निरस्तीकरण के साथ ही कुर्की आदि कार्रवाई शुरू की जाएगी.
रजिस्टर्ड लाइसेंस 8738
चौकानें वाली बात यह है कि नगर निगम में रजिस्टर्ड लाइसेंसधारी प्रतिष्ठान 8738 हैं। इनमें से अभी तक वित्तीय वर्ष में मात्र 2253 लोगों ने अपना लाइसेन्स शुल्क जमा किया है। बाकी आखिर किसका इंतजार कर रहे हैं पता नहीं। इसमें उनकी गलती भी नहीं है, क्योंकि निगम खुद ही दस साल अपनी ही इन्कम को भुलाए बैठा था। उधर, प्रतिष्ठानों का हाल ये है कि नोटिस के बाद भी उनकी ओर से शुल्क जमा करने को लेकर कोई जवाब तक नहीं दिया गया है.
लाइसेंस शुल्क की वसूली कराने के लिए जोन के सभी अफसरों को निर्देशित किया गया है। यदि लाइसेंसधारक शुल्क जमा नहीं करते हैं तो नगर निगम अधिनियम 1959 में वर्णित धाराओं के अंतर्गत उनका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा.
सिपू गिरि, नगर आयुक्त