वाराणसी (ब्यूरो)। मन में जलते आस्था के दीप की ऊष्मा ने शरद को परास्त कर दिया। भगवान भाष्कर राशि परिवर्तन कर धनु से मकर में पहुंच उत्तरायण हुए कि लोगों के हृदय में उल्लास, आस्था की हिलोरें उठने लगीं, पग चल पड़े गंगा घाटों की ओर। सोमवार को भोरहरी के उजास के साथ ही हर-हर गंगे, नमामि गंगे, नमामि माते के स्वर चहुंदिश गूंजने लगे। लाखों लोगों ने पतित पावनी को प्रणाम कर पुण्य धारा में स्नान किया और फिर घाटों पर तीर्थ पुरोहितों, पंडों से लगायत गरीबों, असहायों में तिल, अन्न, गुड़, वस्त्र, द्रव्य का दान किया। भक्ति से उमगता हृदय लिए सबने बाबा विश्वनाथ के साथ ही मां अन्नपूर्णा, मां मंगला गौरी, मां विशालाक्षी, भगवान गणेश, संकट मोचन, दुर्गा कुंड आदि मंदिरों में अपने-अपने ईष्टों का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तिल से बने तिलकुट, गुड़ से बने ढूंढे के साथ लाई-चूड़ा, दही-चूड़ा, सुस्वादु खिचड़ी आदि व्यंजनों का आनंद लिया। युवाओं ने पूरे दिन गीत-संगीत की धुनों के बीच जमकर इतनी पतंगबाजी किया कि आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें ही दिख रही थीं। मकर संक्रांति पर्व पर गंगा स्नान व अन्न, धन, तिल, वस्त्र, द्रव्य, खड़ाऊं आदि के दान का बड़ा महात्म्य शास्त्रों में बताया गया है। पर्व पर दान पाने की अभिलाषा लिए बहुत से याचक, भिक्षुक कतार लगाए बैठे थे। गंगा स्नान के लिए अनेक जनपदों व राज्यों से पहुंचे श्रद्धालु स्नान कर लौटते हुए सभी को दान देते चले जा रहे थे। स्नानार्थियों की सर्वाधिक भीड़ प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, शीतला घाट, पंचगंगाघाट, भैंसासुरघाट, खिड़किया घाट, असि घाट, राजघाट, चेतङ्क्षसह किला घाट पर दिखी।
चौबेपुर क्षेत्र में कैथी, चंद्रावती, गौरा उपरवार, ढ़कवा आदि गांवों में हजारों भक्तों ने गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाई। मार्कंडेय महादेव मंदिर में दर्शन पूजन कर गरीबों में अन्न दान किया। पंचकोशी तीर्थयात्रा के तीसरे पड़ाव रामेश्वर महादेव स्थित आदिगंगा वरुणा में भी स्नानार्थियों की भीड़ जुटी। क्षेत्र के नमो नम: सेवा दल अध्यक्ष रंजीत तिवारी ने स्व। गंगा कृष्णा मिश्रा Óदद्दू जीÓ की स्मृति में क्षेत्र के आदिवासी मुसहर जाति के गरीब बच्चों में गुड़, लाई, बादाम, चूड़ा आदि बांटकर मकर संक्रांति का पर्व मनाया.