वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में फिर मादक पदार्थ की तस्करी का खेल जोरशोर से चल रहा है। जिस रफ्तार से विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है, उसी हिसाब से नशे के धंधे का नेटवर्क बढ़ रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बनारस में अस्सी, सिगरा, भेलूपुर, नगवां और गंगा घाट किनारे अफीम, चरस और गांजा की खपत बहुत ज्यादा है। छोटे-बड़े रेस्टोरेंट में ऑन डिमांड मादक पदार्थ आसानी से उपलब्ध है। घाट किनारे कम उम्र के लड़के डिलीवरी ब्वॉय की तरह काम कर रहे हैं। इनकी निडरता यह बयां कर रही है कि यह धंधा पुलिस की जानकारी में फलफूल रहा है.
होटल व रेस्टोरेंट में आसानी से उपलब्ध
अस्सी, सिगरा, भेलूपुर, नगवां और गंगा घाट किनारे क्षेत्रों में नशे का कारोबार तेजी से फलफुल रहा है। इन इलाकों के रेस्टोरेंट व होटल में आसानी से मादक पदार्थ उपलब्ध है, लेकिन कोड वल्र्ड या इशारा करने पर ही मिलता है। नये ग्राहक को बहुत सोच समझकर ही उपलब्ध कराया जाता है, जबकि रेगुलर ग्राहकों को बिना कुछ कहे मिल जाता है। गंगा घाट किनारे होटल, लॉज व रेस्टोरेंट में शाम होने के बाद नशेडिय़ों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है.
छोटे-छोटे खेप में आता है माल
पिछले साल एसटीएफ ने गांजा तस्करों की कमर तोड़ दी थी। कई बार बड़ी खेप पकड़ी थी। उड़ीसा व बंगाल से बड़ी मात्रा में माल बनारस आता था। वह तो बंद हो गया है, लेकिन नेक्सेस नहीं खत्म हुआ। यही वजह है कि अब बिहार से बनारस में छोटी-छोटी खेप में माल की डिलेवरी हो रही है, जिसकी आसानी से पूरे बनारस में सप्लाई होती है। खासकर अस्सी, सिगरा, भेलूपुर, नगवां और गंगा घाट किनारे ज्यादा डिमांड है.
अनाज में छिपाकर ट्रकों से आता माल
बिहार से मादक पदार्थ की खेप बनारस में भेजी जाती है, जो चोरी-चुपके ट्रांसपोर्टर और अनाज की बोरी में छिपाकर भेजा जाता है। तस्करों व ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से चावल व गेहूं के साथ ट्रकों से मादक पदार्थ भेज दिया जाता है। सवारी बसों के जरिए 50 किलो से एक कुंतल तक गांजा की खेप वाराणसी आती है।
अब सामनेघाट बना डम्पिंग प्वाइंट
करीब एक दशक पहले वरुणापार क्षेत्र ही मादक पदार्थ की तस्करी का अड्डा था। एक बड़े स्थानीय राजनेता के संरक्षण में कैंट, कचहरी, खजूरी, अर्दली बाजार, नदेसर, बड़ी बाजार तस्करी का अड्डा था। लेकिन अब वरुणापार में मादक पदार्थ का धंधा लगभग खत्म हो चुका है। नये दौर में गांजा, अफीम और चरस का डम्पिंग प्वाइंट सामनेघाट बना गया है। सामनेघाट को मिनी बिहार भी कहा जाता है.
पुलिस की टीम लगातार गश्त करती है। मादक पदार्थ की तस्करी में लिप्त लोगों को पकड़ा भी जाता है। अगर शिकायत मिलेगी तो जरूर एक्शन लिया जाएगा.
संतोष सिंह, एडिशनल सीपी