वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञानवापी परिसर में कमिश्नर सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक जांच के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोशल मीडिया पर प्तज्ञानवापी ट्रेंड हो रहा है। काशी से लेकर देश-दुनिया के लोग इस पर अपनी राय दे रहे हैं। 24 घंटे के दौरान फेसबुक, ट्विटर आदि माध्यमों से प्रतिक्रियाओं का दौर चल पड़ा है। तस्वीरें और पुराने वीडियो वायरल हो रहे हैं.
क्या है मंदिर पक्ष का दावा
स्कंद पुराण में स्वयंभू शिवलिंग 100 फीट लंबा बताया गया है। सम्राट विक्रमादित्य ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। जिसे औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया और शेष खंडहर को मस्जिद के रूप में परिवर्तित कर दिया। शाही मस्जिद के तीनों गुंबद मंदिर के गुंबद को ढंककर बनाए गए हैं। शिवलिंगग को वुजूखाने के रूप में इस्तेमाल कर भगवान का अपमान किया गया है.
मस्जिद पक्ष का दावा
1991 के प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट के तहत मस्जिद के स्वरूप में बदलाव नहीं किया जा सकता। जिसे स्वयंभू शिवलिंगग कहा जा रहा है वह वुजूखाने का फव्वारा है। मुस्लिम पक्ष ने इसी आधार पर साइंटिफिक सर्वे का विरोध किया।
क्या है पूरा प्रकरण
18 अगस्त, 2021 को राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने सिविल अदालत में वाद दाखिल किया था। आठ अप्रैल, 2022 को अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाकर ज्ञानवापी परिसर की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का आदेश दिया। 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद के वुजूखाने में शिवलिंग मिलने की बात कही। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को सुरक्षित रखने का आदेश दिया। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उक्त प्रकरण को जिला न्यायाधीश वाराणसी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। 22 सितंबर को मंदिर पक्ष की ओर से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक तकनीक से जांच की मांग संबंधी प्रार्थना पत्र अदालत में दिया गया। 11 अक्टूबर को अदालत ने एक बार फिर वादी मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू के वकील को कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक विधि को स्पष्ट करने को कहा। 14 अक्टूबर को जिला जज ने मंदिर पक्ष की शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की मांग को खारिज कर दिया। फिर मामला हाईकोर्ट में गया.
सोशल मीडिया पर पोस्ट
-संध्या शुक्ला फेसबुक पर लिखती हैं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व लिखे गए प्रपंच का वैज्ञानिक आधार पर खंडन । हाईकोर्ट ने आदेश दिया है तिक यह स्पष्ट हो सके कि शिवलिंग कितना पुराना है.
-युगपरिवर्तक के फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का ज्ञानवापी पर दिया गया फैसला स्वागत योग्य है.
-गौरव मिश्रा फेसबुक पर लिखते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय ने कार्बन डेटिंग का आदेश पारित कर मेरी मांग को पूरा कर दिया है। सार्वजनिक रूप से एक खुली बहस में मैंने यह मांग रखी थी.
-भावना वर्दन शर्मा ने लिखा है कि विष्णु जैन जी औरद उनके साथी योद्धाओं को सभी सनातनियों का नमन.
-राजेश सिंह ने पोस्ट किया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का ज्ञानवापी पर दिया गया फैसला स्वागत योग्य है.
-दीपक कुमार ने ट्वीट किया है कि अब पता चलेगा ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग कितना पुराना है.
-उपेंद्र सिंह ने ट्वीट किया है कि समय निकट ही है जब सभी अपने अराध्य का अभिषेक शिवलिंग पर कर सकेंगे.
-नितिन सिंह ने ट्वीट किया कि जिस सरोवर में यह स्थित है उसका वर्णन पुरानी किताबों में है। क्यों नहीं सरोवर की जांच कराकर दिख लिया जाता है.