वाराणसी (ब्यूरो)। वार्डों से निकलने वाले मलजल का अब वार्डों में ही शोधन किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम नव विस्तारित क्षेत्रों में जापानी तकनीक से पॉकेट साइज का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना पर काम कर रहा है। शोधित जल से नगर निगम की कमाई भी होगी और गंगा और अस्सी नदी में मलजल भी नहीं गिरेगा।
गंगा में गिरता मलजल
नगर निगम के अफसरों का कहना है कि शहर का विस्तार होने के बाद दायरा बढ़ा है। अब 90 वार्ड से बढ़कर सौ वार्ड हो गए हैं। इनमें कई ऐसे वार्ड हैं जो अब भी ग्रामीण एरिया से जुड़े हैं। शहर से प्रतिदिन 30 एमएलडी मलजल निकलता है और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गंगा और अस्सी नदी में गिरता है.
हर क्षेत्र में एसटीपी
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हर वार्ड के हर मुहल्ले में इसी महीने से जून से एसटीपी बनाने की प्लांनिंग थी। एसटीपी बनाने के लिए जापान की टीम के साथ सर्वे कर लिया गया है। हर क्षेत्र में एसटीपी की सुविधा किसी भी शहर में नहीं है। बनारस में सफल हो गया तो ये इसे अपनाने वाला पहला शहर होगा। हर मुहल्ले में छोटे-छोटे एसटीपी बनाकर यहां से निकलने वाले वेस्टेज वाटर को ट्रीट कर उसका इस्तेमाल करने के बाद जल कल इससे मुनाफा भी कमाएगा।
50 बाई 30 मीटर
पायलट प्रोजेक्ट के तहत कंचनपुर में 50 बाई 30 मीटर का एसटीपी बनाया गया है। यहां पर एसटीपी का प्रयोग सफल रहा तो नव विस्तारित एरिया में एसटीपी बनाने का काम शुरू होगा। एसटीपी बन जाने से मोहल्ले में सीवर की समस्या है तो वह दूर होगी। साथ ही जितना मलजल निकलता है उसे शोधित कर उसका जल काम में लिया जाएगा.
सफाई संग कमाई
जीएम जलकल विजय कुमार मौर्य ने बताया कि नगर निगम विस्तारित क्षेत्र में शुद्ध पेयजल, सीवर सहित अन्य शहरी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्लान बना रहा है। वहीं, विस्तारित क्षेत्र की कालोनियों व मोहल्लों का मल-जल स्थानीय स्तर पर ही एसटीपी बनाकर निस्तारित करने का निर्णय लिया गया है। ताकि बड़े एसटीपी तक पाइप बिछाने की जरूरत न पड़े। इसके लिए कंचनपुर में एसटीपी से गंदे पानी को शुद्ध करके 60 प्रतिशत पानी का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग खेती, बागवानी सहित अन्य कार्यों में किया जा सकता है। फिलहाल इसे कंदवा पोखरा में जोडऩे की योजना है। ताकि अस्सी नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि जापानी तकनीक से कम खर्च में सीवर के पानी का निस्तारण हो सकेगा.
पहली बार ट्रायल
जीएम जलकल ने बताया कि कंचनपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत एसटीपी बनाने का प्रस्ताव है। सफल होने पर इसका विस्तार अन्य कालोनियों व मोहल्लों में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि होटलों को छोटे-छोटे एसटीपी बनवाने का निर्देश दिया गया है। इसकी पड़ताल जल्द की जाएगी। उन्होंने बताया कि कंचनपुर में प्रोजेक्ट की शुरुआत करने के बाद यहां से निकलने वाले गंदे पानी का इस्तेमाल खेती-बाड़ी के साथ ही गाडिय़ां धोने और अन्य कार्यों के लिए टैंकर के जरिए सप्लाई किया जाएगा.
गंदगी से भी कमाई
सीवर से निकलने वाले सिल्ट यानी गंदगी को भी उसी स्थान पर फिल्टर करके उसका इस्तेमाल भी खाद बनाने वाले कार्यों के लिए किया जा सकेगा। फिलहाल कंचनपुर में 30 एमएलडी का एक छोटा प्लांट तैयार किया गया है जिससे उस क्षेत्र के लगभग 1000 से ज्यादा घरों को जोड़ा जाएगा। इन घरों से निकलने वाले सीवर के पानी को यहीं पर ट्रीट किया जाएगा। इसके बाद शोधित पानी को बागवानी, गाड़ी धुलाई और गलियों की धुलाई में इस्तेमाल किया जा सकता है.
नवविस्तारित क्षेत्र में एसटीपी बनाने की प्लानिंग है। इसके लिए जल निगम को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कंचनपुर का एसटीपी चल रहा है।
विजय नारायण मौर्य, जीएम, जलकल