वाराणसी (ब्यूरो)हर कामकाजी व्यक्ति का सपना होता है कि उसका भी खुद का घर होइसके लिए वो दिन-रात एक कर पैसे जुटाने की जुगत में लगा रहता हैलेेकिन, बिल्डिंग मैटेरियल की बढ़ती कीमतें आम आदमी के सपने को बिखेर रही हैमहंगाई इस कदर जारी है कि एक मीडिल क्लास आदमी दो कमरे के मकान के लिए अपनी सारी जमापूंजी खर्च करने के बाद भी घर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.

बढ़ गया है बजट

घर निर्माण सामग्री की कीमत आसमान छू रही हैरेत की कीमत पिछले साल की तुलना में सबसे ज्यादा महंगी हो गई हैईंटों के दाम भी बढ़ रहे हैंनिर्माण सामग्री बेचने वाले व्यापरियों का कहना है कि पिछले साल दो कमरे बनाने में करीब साढ़े तीन लाख रुपए खर्च होते थेलेकिन, अब पांच लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैंइसी तरह अगर महंगाई बढ़ती रही तो आम आदमी का घर बनाना मुश्किल हो जाएगा

जमीन भी महंगी

खुद के घर का सपना पाल रखे लोगों के लिए सबसे बड़ा टास्क जमीन खरीदने का होता हैअगर जमीन है तो किसी तरह मकान बना ही लेते है, लेकिन अब लोगों के लिए जमीन खरीदना भी आसान नहीं हैपांच साल पहले बनारस में जो जमीन 10 लाख रुपए बिसवा बिक रहा था, आज उसकी कीमत 20 से 25 लाख तो जिसकी कीमत 4 से 5 लाख थी तो वह 8 से 10 लाख हो गई हैये कीमतें मेन सिटी से दूर एरिया की है

30 प्रतिशत एक्स्ट्रा बर्डेन

जानकार बताते हैं कि मकान बनाने का खर्च 30 प्रतिशत तक बढ़ गया हैपहले जो मकान 50 लाख रुपये में तैयार होता था अब वह बढ़कर 65 से 70 लाख रुपये में तैयार हो रहा हैजिसका कारण निर्माण सामग्री के रेट बढऩा हैवहीं सरिया के रेट पिछले कुछ दिनों में कई बार बढ़े हैंजो सरिया एक माह पहले तक 6000 से 6500 रुपये क्विटल आता थाअब उसका रेट बढ़कर 7500 रुपये से 8000 रुपये प्रति क्विटल तक पहुंच गया हैवहीं सीमेंट के भाव भी 50 रुपये प्रति बैग बढ़ गए हैं.

टाइल्स से टोटी तक कीमती

जो लोग मकान बनाकर उसे सुविधाजनक और सजाने का काम कर रहे हैं, उन्हें भी महंगी सामग्री निराश कर रही हैघर के फर्श से लेकर दीवारों पर लगने वाले टाइल्स के दाम में 10 से 12 फीसदी तक बढ़ेवहीं घर में नल कनेक्शन की सामग्री भी महंगी हो चली हैघर में विद्युत कनेक्शन के लिए लगने वाले सामानों के दाम में भी इजाफा हुआ हैयही वजह है कि मकान बनाने का काम धीमा हो चला है

बढ़ रहे ईंट के दाम

मानसून आने से पहले ही ईंट के दामों में जबरदस्त उछाल हो गया हैइसका कारण है कि बारिश के मौसम में ईंट के प्रोडक्शन के विपरीत होता हैबारिश के मौसम में भट्टïे पर ईंट की पथाई नहीं हो पाती हैइसी के साथ वह अपनी चिमनी को भी नहीं चला पाते हैं, इस कारण वह बारिश के पहले ईंट का स्टाक जमा करते हैंधीरे-धीरे उस स्टाक को जब तक बारिश खत्म नहीं हो जाती है तब तक बढ़ाकर बेचते रहते हैैंइसकी वजह से बनारस के मार्केट में अभी से ईट के दामों जबरदस्त उछाल हो गया है.

प्रोडक्ट- पिछले साल का रेट -करेंट रेट

एक ट्रैक्टर ईंट- 14500- 16000

एक क्ंिवटल सरिया- 6500-7500

एक बोरी सीमेंट- 450-500

एक ट्रैक्टर लाल बालू-4500-5000

एक ट्राली सफेद बालू-3000-3500

राजगीर चार्ज प्रतिदिन-600-700

लेबर चार्ज प्रतिदिन-420-500

मकान बनाना काफी महंगा हो गया हैसरिया के रेट बढऩे से ईंट, सीमेंट, रेता के रेट भी बढ़े हैंलगातार मैटैरियल के दाम बढऩे से लोग अपने सपनों से समझौता कर छोटा मकान ही बनवा रहे हैं

निर्मल जायसवाल, सरिया के थोक विक्रेता

ट्रांस्पोर्टेशन की दरे बढऩे से मैटेरियल की कीमतें बढ़ती जा रही हैइसक असर सीधे व्यापार पर पड़ रहा हैलोग मकान बनवाना शुरु तो कर रहे हैं, लेकिन महंगी सामग्री के कारण बजट फेल होने पर बीच में काम बंद भी करा दे रहे है

विनोद पाल, बिल्डिंग मैटेरियल व्यापारी

अभी हाल ही में मैंने घर बनवाया हैनिर्माण सामग्रियों के छूते हुए दामों ने हमारे हाथ खड़े कर दिये हैंइस महंगाई के दौर घर की कल्पना करना अब कठिन हो गया है.

रोशन कुमार

मैं अपने मकान के ऊपर एक और फ्लोर बनवाने के लिए एक साल से प्रयास कर रहा हूं, लेकिन निर्माण सामग्री इतना महंगा हो गया है कि काम में हाथ लगवाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं्

महेन्द्र प्रसाद