वाराणसी (ब्यूरो)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लंबे समय से एडमिशन को लेकर बने लेटलतीफी की समस्या अब समाप्त हो गई है। यहां बीए, बीएससी, बीकॉम प्रथम वर्ष सहित स्नातक के पाठयक्रमों में एडमिशन प्रॉसेस पूरी हो गई है। इसके साथ ही अब अलग-अलग डिपार्टमेंट में क्लासेस भी शुरू हो चुके हैं। इस बार यहां आने वाले नए स्टूडेंट्स पर बीएचयू प्रशासन का खास फोकस है। क्लास शुरू करने से पहले स्टूडेंट्स महामना पं। मदनमोहन मालवीय और उनकी इस बगिया से भली भांति परिचित होने के साथ बीएचयू के इतिहास को समझ लें, इसकी जानकारी उन्हें क्लास से पहले हो इसकी पहल की गई है। अब तक जितने भी स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है सभी को विश्वविद्यालय और विभाग के इतिहास की जानकारी दी जा रही है। विभाग में पढ़ाई के साथ लाइब्रेरी, हॉस्टल के नियमों के बारे में उन्हें बताया जा रहा है, ताकि पढ़ाई के दौरान नवागत छात्रों को किसी तरह की परेशानी न हो.
व्यक्तित्व विकास पर चर्चा भी बात
स्टूडेंट्स को बीएचयू से परिचित कराने और उनके विकास को लेकर कार्यशालाएं भी की जा रही है। अगल-अलग डिपार्टमेंट की ओर से होने वाले कार्यशालाओं में स्टूडेंट्स को बीएचयू के इतिहास के साथ उनके व्यक्तित्व विकास पर चर्चा की जा रही है। पिछले दिनों स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यशाला में छात्र अधिष्ठाता प्रो। अनुपम कुमार नेमा ने छात्र गतिविधियों और सुविधाओं के बारे में उन्हें बताया। वहीं विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो। अनिल कुमार त्रिपाठी ने बीएचयू और इसके गौरवशाली इतिहास से स्टूडेंट्स को अवगत कराया। विज्ञान संकाय के एचओडी प्रो। सुख महेंद्र सिंह ने स्टूडेंट्स को उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही छात्रावास जीवन, अनुशासन समिति के दिशा-निर्देशों की जानकारी दी गई।
स्टूडेंट्स की मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से निपटेंगे शिक्षक
बीएचयू के स्टूडेंट्स को सिर्फ यहां के इतिहास से ही परिचित नहीं कराया जा रहा। स्टूडेंट्स के विकास व कल्याण, खासकर उनके मानसिक व मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की बेहतरी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य से विवि की आरे से अन्य कई पहल किए गए है। इस कड़ी में विवि द्वारा शिक्षकों के लिए आई केयर कार्यशालाओं के रूप में एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है। मनोवैज्ञानिक आत्मचेतना के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य कर रही संस्था मानस के सहयोग से इसे आयोजित किया जा रहा है। ये कार्यशालाएं शिक्षकों को विद्यार्थियों के प्रथम काउंसलर के रूप में विकसित करेंगी। कार्यशालाओं के दौरान शिक्षकों को भी यह प्रशिक्षण दिया जाएगा कि वे मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के संबंध में अज्ञानता व जागरूकता की कमी से उत्पन्न होने वाले मानसिक स्वास्थ्य के विषयों से किस प्रकार निपटें।
स्टूडेंट्स का किया जा रहा मार्गदर्शन
मानस की संस्थापक निदेशक मीनाक्षी कीर्ताने ने बताया कि आज के दौर में युवा विभिन्न माध्यमों, अनुभवों व प्रभावों के सम्पर्क में आ रहे हैं। उनके पास विविध सूचना व जानकारी तो है, लेकिन अपने मनोवैज्ञानिक हित के विषय में जागरूकता का अभाव है। ऐसे में संस्थान स्तर पर ऐसी प्रक्रियाओं व व्यवस्थाओं का निर्माण करना जरुरी है, जो स्टूडेंट्स का मार्गदर्शन करे। सिर्फ बीएचयू में ही नहीं महिला महाविद्यालय-बीएचयू में भी वहां के शिक्षकों व स्टूडेंट्स के बीच इस तरह की कार्यशालाएं हो रही है। इसमें छात्रावास समन्वयकों, प्रशासनिक संरक्षकों, संरक्षकों, विद्यार्थी सलाहकारों, विद्यार्थी कल्याण, जीवन कौशल तथा नेतृत्व क्षमता विकास समितियों के अध्यक्षों व पदाधिकारियों को भी शामिल किया जा रहा है।
बीएचयू यहां के स्टूडेंट्स के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। जितने भी नए स्टूडेंट्स है उन्हें क्लास से पहले बीएचयू के इतिहास की जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही कार्यशाला आयोजित कर उन्हें उनके व्यक्तित्व विकास के साथ बीएचयू द्वारा आरंभ की गई योजनाओं बताया जा रहा है। यह कार्यशालाएं व्यवहारिक अनुभव आधारित है, जिससे प्रतिभागी लाभान्वित होंगे।
प्रो। अनुपम कुमार नेमा, छात्र अधिष्ठाता, बीएचयू