वाराणसी (ब्यूरो)। दुनिया की सांस्कृतिक व धार्मिक राजधानी वाराणसी में एक नया अध्याय जुडऩे जा रहा है। यहां के कण-कण में भगवान शिव का वास है, वहीं सारनाथ में तथागत भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली है। इसके अलावा तमाम संत तुलसीदास, बाबा कीनाराम, कबीर साहेब और संत शिरोमणि रैदास की जन्म व कर्मभूमि है। सिख समुदाय के साथ काशी जैन धर्म का भी प्रमुख तीर्थस्थल है। भगवान पाश्र्वनाथ के साथ ही आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली भी वाराणसी में ही है। इसी को देखते हुए योगी सरकार ने जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर चंद्रप्रभु को समर्पित नया घाट बनाने का निर्णय लिया है, जिसकी लागत 17 करोड़ होगी.
गाजीपुर रोड पर गंगा किनारे स्थित है पवित्र चंद्रावती गांव
सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब चंद्रप्रभु जी की जन्मस्थली चंद्रावती गांव में पक्के गंगा घाट का निर्माण कराया जा रहा है। वाराणसी में इस प्रकार एक नये घाट का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। इसकी लागत 17 करोड़ रुपए से अधिक है। वाराणसी मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर गाजीपुर रोड पर चंद्रावती गांव में जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभुजी की जन्मस्थली गंगा किनारे है। यहां भगवान चंद्रप्रभुजी का श्वेताम्बर व दिगम्बर जैन मंदिर है.
हर साल आते हैं यहां लाखों जैन श्रद्धालु
पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि जैन धर्म को मानने वाले देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। घाट के पुनरुद्धार व सुविधाओं के बढ़ जाने से आने वाले समय में ये स्थान तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। आने वाले समय में इस घाट को पानी के रास्ते भी जोडऩे की योजना है, इससे बोट या क्रूज से पर्यटन यहां पहुंच सके। आने वाले समय में पर्यटन के नए केंद्र के रूप में ये जगह विकसित होगी जिसका लाभ पर्यटन उद्योग को भी मिलेगा.
200 मीटर लंबा होगा घाट, बनाए जाएंगे तीन प्लेटफॉर्म
यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी ने बताया कि भगवान चंद्रप्रभुजी की जन्मस्थली के पास लगभग 200 मीटर लम्बा पक्के घाट का निर्माण हो रहा है, तीर्थयात्रियों की सुविधा और घाट देखने में सुन्दर लगे इस लिए तीन प्लेटफार्म बनाया जा रहा है। घाट से नीचे उतरने के लिए सीढिय़ों होंगी। इसके अलावा पूरे घाट का हेरिटेज लुक होगा। साथ ही गाबियन और रेटेशन वाल से घाट तैयार किया जा रहा है, जिससे ये देखने में पुराने घाटों की तरह होगा और बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा। ये निर्माण पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होगा। टॉयलेट ब्लॉक, पोर्टेबल चेंजिंग रूम, साइनेजेस, पार्किंग, हेरिटेज लाइट, बैठने के लिए पत्थर के बने बेंच होंगे और पत्थरों से बनी जालीनुमा खूबसूरत रेलिंग लगाई जाएगी, साथ ही बागवानी भी होगी। पूरे घाट के निर्माण की लागत 17.07 करोड़ है। घाट का निर्माण पूरे होने का वर्ष 2024 तक प्रस्तावित है.