-राजकीय महिला हॉस्पिटल में न्यू बॉर्न बेबी व एडमिट मरीजों के लिए हीटर का नहीं है प्रॉपर इंतजाम, 32 बेड्स के वार्ड में सिर्फ दो हीटर, उसे भी कर देते हैं बंद

-मंडलीय अस्पताल के वार्डो में भी नहीं लगा हीटर, खिड़कियों व बरामदे से आती रहती हैं बर्फीली हवाएं

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कड़ाके की पड़ रही ठंड से सभी का हाल बुरा है। जहां गलन से निजात पाने में लोगों का हर हथकंडा फेल हो रहा है। वहीं सरकारी अस्पतालों में न्यू बार्न बेबी व मरीजों को ठंड से राहत दिलाने के लिए प्रॉपर हीटर का इंतजाम ही नहीं है। इससे यहां एडमिट मरीज और उनके तीमारदार इस सर्द मौसम में कांप रहे हैं। अस्पताल प्रशासन से मिले महज एक कंबल के भरोसे मरीज किसी तरह से रात बिता रहे हैं। आलम ये है कि उनके तीमारदारों को घर से रजाई लानी पड़ रही है। वहीं अस्पताल में डाक्टर व नर्सेज के रूम में दिन रात हीटर जल रहे हैं।

नवजात शिशुओं पर सितम

सरकारी अस्पतालों में सबसे खराब हालत राजकीय महिला अस्पताल की है। अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते 186 बेड के इस हॉस्पिटल के ज्यादातर वार्ड में हीटर की व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि जिन वार्डाें में लगाए भी गए हैं वो जरूरत के मुताबिक कम हैं। इसके चलते मैटरनिटी वार्ड में नवजात शिशुओं व प्रसूता महिलाओं को परेशानी हो रही है। बताया जाता हैं कि यहां डेली क12 से 15 महिलाओं की डिलीवरी हो रही है। इसके बावजूद प्रॉपर हीटर का इंतजाम नहीं किया जा रहा है। ऐसे में नवजात शिशुओं को निमोनिया व ठंड लगने का डर बना हुआ है। वहीं जिम्मेवार इंतजाम करने की बात कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं।

महिला हॉस्पिटल पर एक नजर

- पूरे अस्पताल में कुल 186 बेड

-एक लेबर रूम, दो मैटरनिटी वार्ड, दो सर्जिकल, दो नसबंदी व एक सेप्टिक वार्ड

-एक वार्ड में 10 हीटर की जरूरत

-सिर्फ दो वार्ड में लगे हैं मात्र दो-दो हीटर।

-जबकि एक वार्ड में हैं 26 से 32 बेड

मंडलीय अस्पताल

यहां शिशु वार्ड, जनरल वार्ड, सर्जिकल वार्ड समेत लगभग सभी वा‌र्ड्स में हीटर की व्यवस्था नहीं है।

-जिसके कारण ठंड से मरीजों की हालत खराब हो रही है।

वर्जन--

लेबर रूम व मैटरनिटी वार्ड में हीटर लगवा दिए गए हैं। शुक्रवार तक सभी वार्ड में हीटर लगा दिए जाएंगे। रही बात ज्यादा हीटर की तो जहां जैसी जरूरत होती है वहां वैसी व्यवस्था की जाती है।

शैला त्रिपाठी, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक

जिला महिला चिकित्सालय