वाराणसी (ब्यूरो)। मुलायम सिंह यादव का बनारस से बहुत ही पुराना और गहरा रिश्ता था। वह पहली बार 1974 में वाराणसी आए थे। इसके बाद तो बनारस आने का सिलसिला शुरू हो गया था। खिड़कियां घाट व बेनियाबाग मैदान ही हैं, जहां से मुलायम सिंह यादव यानी नेताजी बनारस की जनता से रूबरू होते थे। अक्टूबर 1992 में देवरिया के रामकोला गन्ना मिल गोलीकांड का विरोध करने पर मुलायम सिंह यादव को गोरखपुर में गिरफ्तार करने के बाद 8 अक्टूबर को वाराणसी सेंट्रल जेल में लाया गया था। जेल में 12 दिन प्रवास के दौरान नेताजी ने भावी राजनीति की पटकथा लिख दी थी। यही से नेताजी की राजनीति वेब शुरू हुई थी, जो वाराणसी से शुरू होकर पूर्वांचल के बाद प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश में चलने लगी थी।
बनारस जेल में बन गई थी सपा
अखिलेश यादव के बागडोर संभालते ही बनारस में नई हवा है नई सपा है के खूब नारे लगे, लेकिन आवाज बुलंद करने वाले युवा जोश को पता ही नहीं था कि सेंट्रल जेल में बंद रहने के दौरान ही नेताजी मुलायम सिंह यादव ने सपा के गठन का मन बना लिया था। यह जानकारी पूर्व सपा नेता और एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने दी। शतरुद्र प्रकाश के अनुसार उसी बीच वे सेंट्रल जेल पहुंचे तो नेताजी ने कहा था कि शतरुद्र हमारी पार्टी तो बन गई। अब घोषणा बाकी है। वह 14 अक्टूबर को जेल से रिहा हो गए। जेल से छूटने पर बनारस में उन्हें अपार समर्थन मिला और इस घटना के महज 20 दिन बाद लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में नेताजी ने समाजवादी पार्टी की घोषणा कर दी.
पसंदीदा था बेनियाबाग मैदान
नेताजी के निधन से मर्माहत सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल यादव बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव अपनी जुबान के पक्के थे। संकट के वक्त भी साथ नहीं छोड़ते थे। उन्होंने बताया कि बतौर बीकेडी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पहली बार नेताजी 1974 में वाराणसी आए थे। उसी दौरान मुलाकात हुई थी। तभी उनसे जुड़ गया था। जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ तो कांशीराम के साथ नेताजी बेनियाबाग मैदान में रैली करने आए थे। नेताजी ही अक्सर बेनियाबाग मैदान में रैली करते थे।
2014 में आखिरी बार रैली हुई थी
लोकसभा चुनाव 2014 के मद्देनजर रैलियों के सिलसिले में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने वाराणसी में देश बचाओ, देश बनाओ रैली में हुंकार भरी थी। रामनगर बाईपास के पास आयोजित रैली में पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा था। इसके बाद उनका बनारस आना कभी नहीं हुआ। हालांकि बनारस के नेताओं से लखनऊ आवास पर मुलाकात होती थी तो बनारस के बारे में जरूर पूछते थे।
दो बार आए खिड़कियां घाट
पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल यादव बताते हैं कि वाराणसी में दीपावली के दूसरे दिन यादव बंधुओं की ओर से गोवर्धन शोभायात्रा निकाली जाती है, जो खिड़कियां घाट पर जाकर खत्म होती है। जहां गोवर्धन पूजा होती है। इसमें शामिल होने के लिए नेताजी दो बार वाराणसी आए थे। एक बार 1993 में बतौर रक्षामंत्री और दूसरी बार बतौर मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। इस दौरान यादव पत्रिका के संस्थापक राजित यादव की मूर्ति का अनावरण किया था.