वाराणसी (ब्यूरो)आपके घर में 12-18 साल के बच्चे हैं तो यह खबर आपको आगाह करने के लिए हैबच्चा अचानक गुमसुम रहने लगे, पढ़ाई बंद कर किताब-कॉपियां फाडऩे लगे या आत्महत्या जैसी बातें करें तो हो सकता है कि वह साइबर बुलिंग या दादागीरी की चपेट में होपपजी, बुलिंग समेत तमाम ऑनलाइन गेम्स के जरिए साइबर क्रिमिनल की गिरफ्त में वाराणसी के किशोर फंस रहे हैंइनके टार्चर से ये बच्चे अवसाद के शिकार भी हो रहे हैंचिंता की बात इसलिए भी है कि सरकारी और निजी हॉस्पिटल के मानसिक रोग विभाग में ऐसे किशोरों की संख्या लगातार बढ़ रही हैऐसे प्रॉब्लम में आपका बच्चा न आए, इसलिए सोमवार से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से शहर के नामी स्कूलों में ग्राउंड एक्टिविटी शुरू की गई है.

जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

पहले दिन कोइराजपुर स्थित संत अतुलानंद कांवेंट स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गयाइस दौरान कमिश्नरेट पुलिस की साइबर सेल ने बच्चों को साइबर क्रिमिनल से बचने के टिप्स दिए गएफेक फ्रेंड से सतर्क और दूर रहने की सलाह दी गईसोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम पर एक्टिव रहते समय किन-किन बातों पर ध्यान रखना चाहिएइसके अलावा बच्चों द्वारा पूछे गए साइबर क्राइम से जुड़े हर सवालों के जवाब दिए गए.

सतर्क व आगाह किया

संत अतुलानंद कांवेंट स्कूल के आडिटोरियम में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के दौरान साइबर सेल के एक्सपर्ट विराट सिंह ने बच्चों को साइबर क्राइम से सतर्क और आगाह किया.

गूगल से कस्टमर केयर का नंबर सर्च करने के दौरान ज्यादा होता फ्रॉड

तरीका

इस तरीके के फ्रॉड में प्राय: वह लोग फंसते हैं, जो किसी भी समस्या के लिए गूगल से कस्टमर केयर नंबर या हेल्पलाइन नंबर सर्च करते हैं और बिना व्यक्ति की सत्यता की जांच किए बगैर अपनी व्यक्तिगत तथा बैंकिंग संबंधित गोपनीय जानकारी उक्त व्यक्ति से साझा कर देते हैंफ्रॉड करने वाले फेक वेबसाइट बनाकर अपना मोबाइल नंबर विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर के नाम से एड कर देते हैंइस वेबसाइट और अपने कस्टमर केयर नंबर को गूगल एडसेंस के माध्यम से प्रमोट करा देते हैं, जिससे कोई व्यक्ति कस्टमर केयर का नंबर सर्च करता है तो पहले फ्रॉड वाले का ही नंबर दिखाई देता है.

बचाव : इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए कस्टमर केयर का नंबर उक्त कंपनी के ऑफिशियल वेबसाइट से ही प्राप्त करेंअपनी बैंकिंग संबंधित गोपनीय जानकारी जैसे डेबिट, क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी, ओटीपी, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि किसी से भी शेयर ना करें.

फेक वेबसाइट से होने वाले फ्रॉड

-फेक वेबसाइट के माध्यम से प्राय: फिशिंग जैसे फ्रॉड होते हैंफ्रॉडस्टर विभिन्न कंपनियों की फेक वेबसाइट बनाकर लोगों से धोखाधड़ी करते हैं.

-बड़ी कंपनियों की फेक वेबसाइट बनाकर फ्रेंचाइजी/सर्विस देने के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की जाती है.

-फेक इंवेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग की वेबसाइट्स बनाकर लोगों के साथ धोखे दर्द धोखाधड़ी की जाती है.

वेबसाइट के यूआरएल चेक करें

यह जानने के लिए कि क्या आप सही वेबसाइट पर हैं, सबसे पहले वेबसाइट के यूआरएल को ध्यान से देखें कि वेबसाइट की स्पेलिंग सही है या नहीं, डोमेन नेम भी चेक करें.

1. एचटीटीपीएस चेक करें

2. जिस यूआरएल में एस लगा हो ऐसी वेबसाइट पर ही सर्फिंग करें, जिमें एस नहीं लगा है वे वेबसाइट सेक्योर नहीं है.

3. पॉलिसी पेज चेक करे,

4. रिव्यू चेक करें,

5. सेफ ब्राउजिंग करे

6. ब्राउजिंग हमेशा ट्रस्टेड और जेनुइन ब्राउजर से ही करें क्योंकि ब्राउजर आपकी लॉगिन क्रैडेंशियल्स, बैंकिंग इनफॉरमेशन चुरा सकते हैं.

कभी न करें पब्लिक वाईफाई और पब्लिक कंप्यूटर से लेन-देन

रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत कई जगहों पर आजकल फ्री वाईफाई की सुविधा मिलने लगी हैऐसे में अक्सर लोग अपना इंटरनेट बचाने के चक्कर में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी पब्लिक वाईफाई के जरिए ही करना चाहते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ फ्रॉड भी हो सकते हैंइस स्थिति में अगर आप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं तो आपकी बैंक से जुड़ी निजी जानकारी उनके पास चली जाती हैइसके अलावा ऑनलाइन बैंकिंग के लिए कभी भी पब्लिक कंप्यूटर का इस्तेमाल ना करेंऐसा करने से आपकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

गलती से भी शेयर न करें ओटीपी

ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त कंफर्म करने के लिए यूजर के मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी आता हैओटीपी डालने के बाद ही आप पेमेंट कर सकते हैंज्यादातर लोग फोन और मैसेज के जरिए अपना ओटीपी नंबर शेयर कर देते हैंलेकिन गलती से भी ओटीपी शेयर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके साथ फ्रॉड हो सकता है

संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें

कई बार साइबर ठग बैंकिंग फ्रॉड के लिए ईमेल या लिंक भेजते हैं और कुछ झांसा देकर फंसाने की कोशिश करते हैंऐसे में किसी भी संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक ना करेंअगर आपके पास कोई भी संदिग्ध मैसेज या ईमेल आता है, तो तुरंत इसे बैंक को सूचित करेंऐसा करके आप धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकते हैं.

किसी के साथ साझा न करें बैंकिंग डिटेल्स

ऑनलाइन बैंकिंग की कोई भी डिटेल जैसे- ओटीपी, पासवर्ड या यूजरनेम किसी के साथ भी शेयर ना करेंऐसा करना आपकी बैंकिंग सेफ्टी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले ध्यान रखें ये बात

किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले वेरिफाइड बैज चेक करके ही डाउनलोड करेंअक्सर लोग बिना चेक करे किसी भी एप को डाउनलोड कर लेते हैंऐसे में ऐप ओपन होते ही आपके फोन की सभी निजी जानकारी साइबर ठग के पास पहुंच जाती है, जिससे ऑनलाइन फ्रॉड के मामले बढ़ जाते हैं.

अंजान लोगों को फ्रेंड न बनाए

फेसबुक में अक्सर फ्रेंड रिक्वेस्ट आते रहते हैंफ्रेंड लिस्ट और फॉलोअर बढ़ाने के चक्कर लोग रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैंयह गलत हैअंजान लोगों को फ्रेंड न बनाए, जिससे जान पहचान हों, उसी का रिक्वेस्ट स्वीकार करना चाहिएइसके अलावा फेसबुक पर हर फोटो पोस्ट नहीं करना चाहिएकुछ ऐसे फोटो होते हैं, जिसका मिसयूज हो सकता हैइसलिए फेसबुक एकाउंट को लॉक रखना चाहिएफोटो पोस्ट करते समय तीन ऑप्शन आते हैंवनली मी, वनली फ्रेंड और पब्लिक हैइसका इस्तेमाल करना चाहिए.

बच्चों को आभासी दुनिया की हकीकत से रूबरू कराना बहुत जरूरी हैउसके बारे में सही-गलत की जानकारी होनी चाहिएदैनिक जागरण आईनेक्स्ट की यह पहल काफी अच्छी हैआमतौर पर हर वक्त निगरानी संभव नहीं है, लेकिन टीचर, माता-पिता और बच्चे के बीच रिश्तों में पारदर्शिता जरूरी हैबच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि ऐसा कुछ होने पर वे आपको बताएंबच्चों के साथ जुडऩा जरूरी है.

वंदना सिंह, डायरेक्टर

डिजिटल दौर ने सुविधाओं के साथ समस्या भी दे दी हैंसोशल मीडिया पर बच्चों की व्यस्तता बढ़ गई हैऐसे में साइबर क्राइम भी बढ़ा हैदैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने साइबर क्राइम से बच्चों को अवेयर कराने बीड़ा उठाया है, जो काफी सराहनीय हैसाइबर सेल के एक्सपर्ट ने बहुत अच्छे तरीके से बच्चों को जागरूक किया है.

नीलम सिंह, पिं्रसिपल

अधिकतर बच्चों के हाथ में मोबाइल आ गया हैसोशल मीडिया पर एक्टिविटी ज्यादा बढ़ गई हैऐसे में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैंउससे काफी डर लगता हैहमारे बच्चे इसके शिकार न हो, इसके लिए बच्चों को अलर्ट करना जरूरी हैजागरूकता कार्यक्रम से हमारे बच्चों ने बहुत कुछ सीखा होगा

डाछाया श्रीवास्तव, टीचर

साइबर अपराध जिस तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पैरेंट्स के साथ टीचरों की चिंता भी बढ़ गई हैजागरूकता कार्यक्रम में बच्चों ने साइबर सेल के एक्सपर्ट से तमाम सवाल किए, जिसका विस्तार से जवाब दिया गयाउम्मीद है कि ये टिप्स बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होगा.

जितेंद्र पांडेय, टीचर