वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी के गोदौलिया, मलदहिया, पुलिस लाइन और लंका समेत कई क्षेत्रों में आने वाले समय में हालात साउथ अफ्रीका के शहर केपटाउन जैसे हो जाएंगेदरअसल, ये इलाके डेंजर जोन में आ चुके हैंभूगर्भ विभाग के अनुसार साल में तकरीबन एक मीटर पानी नीचे जा रहा हैयही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगेएक समय था जब इन इलाकों का नलकूप ही लोगों की पानी की जरूरतें पूरी कर देता थाधीरे-धीरे जलस्तर नीचे जाने के साथ यह लोगों की जरूरतें पूरी करने में असमर्थ साबित होने लगाजलस्तर नीचे जाने के कारण एक समय ऐसा आया कि यह नलकूप ठप हो गया। 22 साल पहले इलाके में 10 मीटर पर पानी मिलता थाअब गोदौलिया में 22, मलदहिया में 20, लंका में 15 और पुलिस लाइन में 12 मीटर पर पानी मिल रहा हैनलकूप ही नहीं, इसी साल 800 से अधिक हैंडपंप और करीब 50 कुएं भी सूख चुके हैं.

80 फीसद इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

भूगर्भ विभाग के अनुसार वाराणसी के अधिकतर इलाकों में हर साल पानी तकरीबन एक मीटर नीचे जा रहा हैअगर समय रहते कदम न उठाए गए तो एक बड़ी आबादी को बंूद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगाहैरानी की बात तो यह है कि सभी जानते हैं कि अंडरग्राउंड वॉटर लेवल तेजी से गिर रहा हैइसके बावजूद 80 फीसद से अधिक इमारतों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कोई व्यवस्था नहीं हैइस दिशा में योजनाएं जरूर बनती हैं, लेकिन धरातल पर नहीं दिखती हैकई इलाकों में जलकल की ओर से जलापूर्ति की व्यवस्था हैबावजूद इसके सबमर्सिबल मशीन से पानी खींचा जाता है और जमकर पानी का दोहन भी होता है.

40 लीटर पानी की जरूरत

विशेषज्ञों के अनुसार एक व्यक्ति को औसतन हर दिन 35 से 40 लीटर स्वच्छ जल की आवश्यकता होती हैउसे अपनी प्यास बुझाने के लिए तीन से चार लीटर पानी की जरूरत होती हैइसके अतिरिक्त लोगों की ओर से हर दिन 20 से 25 लीटर पानी कार वॉशिंग, रोड वॉशिंग इत्यादि में खर्च कर दिया जाता हैपानी की वेस्टेज का सीधा असर अंडरग्राउंड वॉटर लेवल पर देखने को मिलता है.

डार्कजोन में हरहुआ व आराजीलाइन

वाराणसी में लगातार जल संकट गहराता जा रहा हैअब शहर ही नहीं बल्कि गांव भी भूगर्भ जल दोहन की चपेट में आ गए हैंशहर के हरहुआ व आराजीलाइन ब्लाक को डार्कजोन शामिल किया गया है.हरहुआ ब्लाक में भूगर्भ जल सिर्फ 5182.65 प्रति हेक्टेयर मीटर रिचार्ज कर सके जबकि निकासी इससे अधिक यानी 5203.65 प्रति हेक्टेयर मीटर का रहाबड़ागांव, चिरईगांव, चोलापुर, काशी विद्यापीठ व सेवापुरी ब्लाक सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में हैंयहां तक की कॉलम पाइप बढ़ाने पर भी जनता को पानी नहीं मिल रहा हैनए सिरे से और अधिक बोरिंग कराने पर ही लोगों को पानी मिल पाएगाअंधाधुंध निजी बोरिंग पर चिंता जताई जा रही हैपानी के अंधाधुंध दोहन को नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में पानी के लिए झगड़े होने आम बात हो जाएंगे

नहीं मिली कामयाबी

मनरेगा व अमृत सरोवर योजना के तहत इन दोनों की ब्लाकों में दर्जनों तालाबों की खोदाई की गईनवजीवन मिला लेकिन भूगर्भ के जल स्टेटा बढ़ोत्तरी में कामयाबी नहीं मिलीभूगर्भ जल विभाग के आंकड़े मुताबिक ब्लाक आराजीलाइन में वर्ष 2022 में 6437.68 प्रति हेक्टेयर मीटर भूगर्भ जल की निकासी हुई लेकिन रिचार्ज में हम सब फेल हो गएसिर्फ 6152.01 प्रति हेक्टेयर मीटर ही रिचार्ज कर सके.