वाराणसी (ब्यूरो)। मायोपिया बीमारी से ना सिर्फ युवा बल्कि बच्चे भी पीडि़त हो रहे हैं। इसका सबसे अधिक कारण कंप्यूटर व मोबाइल पर अधिक समय का बिताना है। साथ ही देर तक आंखों को बिना आराम दिए कंप्यूटर या फिर मोबाइल को देखते रहना भी परेशानी को बढ़ा रहा है। जिला अस्पताल में रोजाना मायोपिया से पीडि़त दस बच्चे पहुंचे रहे हैं। इसके साथ ही ग्लूकोमा का भी खतरा बढ़ रहा है।
दिनचर्या है कारण
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार मायोपिया या फिर निकट दृष्टि दोष में दूर की वस्तुएं ठीक से नहीं दिखाई देती है। आमतौर पर यह बीमारी 20 से 40 आयुवर्ग के युवाओं को होता है, लेकिन जब से दैनिक दिनचर्या में इल्क्ट्रोनिक गैजेट्स का इस्तेमाल बढ़ा है। तब से बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। प्रकाश किरणों के गलत तरीके से रिफ्लेक्ट होने के चलते यह दोष पैदा होता है। किसी भी सामान्य व्यक्ति की दृष्टि सही होने के लिए प्रकाश किरणों को आंकों के पीछे रेटिना पर केंद्रित होना चाहिेए। लेकिन मायोपिया दोष के चलते यह रेटिना के सामने केंद्रित होने लगती है। बच्चों का लंबे समय तक कंप्यूटर व स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते रहना इस दोष को जन्म देता है। यह आंखों को कई प्रकार से प्रभावित कर सकता है.
कम वजन के शिशुओं को मिलेगी बेहतर सेवा
जिले के 13 स्वास्थ्य केंद्रों पर जल्द ही मातृ-नवजात शिशु देखभाल यूनिट (एमएनसीयू) वार्ड बनाएं जाएंगे। कम वजन के नवजात शिशुओं को कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि से हाइपोथर्मिया व अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। इससे मां का बच्चे से लगाव बढ़ेगा और उसके स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। एमएनसीयू वार्ड निर्माण में कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब (सीईएल) संस्था का वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग लिया जाएगा। नव निर्माण एमएनसीयू वार्ड में कम वजन के नवजात शिशु को मां के साथ केएमसी देते हुए बेहतर तरीके से प्रशिक्षित स्टाफ नर्स व चिकित्सक के जरिए उपचार किया जाएगा, जिससे शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
मिलेगा नया जीवन
इस वार्ड को विशेष सुविधाओं के साथ तैयार किया जा रहा है, जिसमें नवजात शिशु के अनुसार तापमान रखा जाएगा। जो कम वजन के जन्मे नवजात शिशु को नया जीवन देने का कार्य करेगा। एमएनसीयू का कार्य पूर्ण होते ही माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए यह सुविधा जल्द ही शुरू कर दी जाएगी। केएमसी के लाभ, स्थिति, पोषण, स्वच्छता, आकलन और बेहतर देखभाल के विषय में विस्तार से सभी को प्रशिक्षित किया गया.
जिले के 13 स्वास्थ्य केंद्रों पर जल्द ही मातृ-नवजात शिशु देखभाल यूनिट (एमएनसीयू) वार्ड बनाएं जाएंगे। इससे कम वजन के नवजात शिशुओं को बेहतर सेवा मिलेगी। साथ ही स्कूलों में कैम्प लगाकर बच्चों की आंखों की जांच की जाएगी।
डा। संदीप चौधरी, सीएमओ