वाराणसी (ब्यूरो)। रेबीज का इंजेक्शन सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहला नाम कुत्ते का आता है, लेकिन अब सिर्फ कुत्ते ही नहीं बल्कि बंदरों का आतंक भी शहर में बहुत बढ़ गया है। दरअसल, पेड़ों के काटने से सबसे ज्यादा नुकसान बंदरों को ही हुआ है। बंदर अब जंगली क्षेत्र छोड़कर शहरी क्षेत्रों में पहुंच गए हैैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान बनारस को हो रहा है। स्थिति यह है कि नए साल पर दो दिनों में 600 से अधिक बंदरों के काटने का केस सामने आया है। यहां 40 प्रतिशत रेबीज इंजेक्शन लगवाने के केस बंदरों के हैैं, वहीं 60 प्रतिशत में सभी जानवरों के हैैं। हालांकि इस संबंध में नगर निगम को जानकारी है, लेकिन प्रशासन बंदरों को लेकर बिल्कुल भी सजग नहीं दिख रहा है। हालांकि अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में जल्द ही मथुरा से टीम पहुंच जाएगी और इस समस्या का समाधान हो जाएगा.
कमरा नंबर-12
शहर के ज्यादातर मोहल्लों में बंदरों के आतंक ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। स्थिति यह है कि मंडलीय अस्पताल में बंदर से शिकार हुए लोगों की लंबी लाइन कमरा नंबर 12 पर लग जाती हैै। शहर की अधिकतर कॉलोनी में बंदरों के आतंक की वजह से लोगों को दहशत में रहना पड़ रहा हैै। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा, जिस दिन बंदर किसी को घायल नहीं करते हों। मंडलीय अस्पताल में बंदरों द्वारा काटे गए लोगों की भीड़ सुबह से लगने लगती है। ज्यादातर लोग अस्पताल में रेबीज का इंजेक्शन बंदर के काटे जाने के बाद लगवाने के लिए आ रहे हैैं.
40 परसेंट लोग बंदर के शिकार
शहर में बंदरों का आतंक इस कदर मचा है कि जिला अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। अस्पताल में रोजाना करीब 300 से अधिक लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने आते हैं। इनमें से 60 परसेंट मरीज आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों के शिकार हैैं, वहीं 40 परसेंट लोग बंदरों के हमले के शिकार हैं। हालांकि, एक महीना पहले यह संख्या काफी कम थी। नए साल पर दो दिनों में 600 से अधिक लोगों को रेबीज के इंजेक्शन लगाए गए हैं। गुरुवार को भी 300 से ज्यादा लोगों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगे हैैं.
बंदरों का बढ़ा खतरा
पहले जहां ज्यादा बंदरों के द्वारा काटे जाने वाले लोगों की गिनती न के बराबर होती थी, वहीं अब आतंक इतना बढ़ गया है कि कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में जितने लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैैं। उसमें से 40 परसेंट लोग बंदर द्वारा शिकार हुए हैं। हर महीने 9300 लोग मंडलीय अस्पताल में रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंचते हैैं। सुबह से कमरा नंबर 12 में भीड़ उमडऩी शुरू हो जाती है और 2 बजे तक लगी रहती है। 2 बजे के बाद भी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए लोग पहुंचते हैैं पर तब इंजेक्शन लगवाने का समय निकल चुका होता है और उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता हैै। बंदरों ने इन्हें काफी गंभीर रूप से घायल किया होता हैै.
बढ़ाई गई टीम सदस्यों की संख्या
बता दें कि शहर के काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित इलाकों, सुंदरपुर, पांडेयपुर, लंका, दुर्गाकुंड, लहुराबीर, रामकटोरा समेत कई जगहों पर बंदरों का आतंक है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि बंदरों के पकडऩे के लिए मथुरा से टीम बुलाई गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस बार टीम के सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई है। अब 10 के बजाय 20 सदस्य बनारस पहुंचेंगे.
इस संबंध में हमें जानकारी है। बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा से टीम बुलाई है। जल्द ही टीम पहुंचने वाली है। इस बार 10 के बजाय 20 लोग पहुंचेंगे।
अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्साधिकारी, नगर निगम