वाराणसी (ब्यूरो)। माफिया मुख्तार अंसारी का एक और साथी मारा गया। लखनऊ कोर्ट में पेशी पर आए खूंखार अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। माफिया मुन्ना बजरंगी के बाद मेराज भाई और अब संजीव जीवा की हत्या मुख्तार अंसारी के लिए बहुत बड़ा झटका है। संजीव माहेश्वरी वैसे तो मूल रूप से मुजफ्फरनगर का रहना वाला था, लेकिन मुख्तार गैंग से जुडऩे के बाद उसका पूरा समय बनारस, गाजीपुर, चंदौली व भदोही में ही बीतता था। संजीव जीवा सुपारी किलर था, लेकिन बाद में वह मुख्तार का मुख्य शूटर बन गया। मुन्ना बजरंगी के साथ मिलकर पूरे पूर्वांचल में रंगदारी, हत्या, फिरौती, ठेका, अपहरण जैसी वारदात में लिप्त हो गया था। 2005 में गाजीपुर में विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की प्लानिंग जीवा ने ही बनाई थी और उसके नेतृत्व में ही घटना को अंजाम दिया गया था, लेकिन कृष्णानंद हत्याकांड में आरोपी होने के बाद भी वह बरी हो गया था।
चंदासी कोयला मंडी का मिला था जिम्मा
मुख्तार अंसारी खुद ही शूटर है और गैंग में उन्हीं को ही शामिल करता था, जो हथियार चलाने और अच्छा निशानेबाज होता था। अच्छा शूटर होने के कारण ही संजीव माहेश्वरी जीवा बहुत जल्द ही मुख्तार गैंग का खास सदस्य हो गया। बहुत कम समय में वह मुख्तार अंसारी का भरोसेमंद भी हो गया था। यही वजह था कि मुख्तार अंसारी ने मुगलसराय चंदासी कोयला मंडी से रंगदारी समेत हर तरह के कारोबार की जिम्मेदारी संजीव जीवा को दे दी थी। राजघाट भदऊं चुंगी था उसका ठिकाना
मुख्तार गैंग से जुड़े मुन्ना बजरंगी और नाटे बचकानी की जोड़ी बहुत फेमस थी। मुख्तार के इशारे पर दोनों एक साथ ही घटना को अंजाम देते थे। दोनों की अच्छी दोस्ती थी। रंगदारी व फिरौती जैसे संगीत अपराध में दोनों लिप्त थे। इसी बीच सन 2000 में मुख्तार गैंग में संजीव जीवा की एंट्री हुई। मुख्तार अंसारी ने मुन्ना बजरंगी के साथ संजीव जीवा को भी लगा दिया। नाटे बचकानी ने राजघाट भदऊं चुंगी में अपना ठिकाना बना रखा था, जहां संजीव जीवा भी रहने लगा। मुन्ना बजरंगी, नाटे बचकानी और जीवा तीनों मिलकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगे। इसी बीच पुलिस मुठभेड़ में नाटे बचकानी मारा गया। इसके बाद संजीव जीवा ने मुगलसराय में शरण ले ली।
मुन्ना बजरंगी से थी गहरी दोस्ती
जेल की सलाखों के पीछे रहते बजरंगी और जीवा ने पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की संपत्तियों पर अपनी नजरें टिका दी थीं। उनकी दखलंदाजी सुशील मूंछ को रास नहीं आई, जिसकी वजह से जीवा और मूंछ में गैंगवार छिड़ गई थी। हरिद्वार में परिवहन डिपो के पास की बेशकीमती जमीन को लेकर आपसी अदावत इतनी बढ़ी थी कि कई लोगों की हत्या कर दी गई थी।
मुन्ना बजरंगी की हत्या से संजीव जीवा को लगा था बड़ा झटका
वहीं, 2018 में बागपत जेल के अंदर कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद संजीव जीवा माहेश्वरी को बड़ा झटका लगा था। बताया गया कि वह पूर्व मंत्री द्विवेदी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहा था। गैंगस्टर संजीव जीवा माहेश्वरी ने 10 फरवरी, 1997 में फर्रुखाबाद में पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रहमदत्त द्विवेदी की हत्या कर जरायम की दुनिया में कदम रखा था। मंत्री की हत्या करने के बाद उसका नाम पूरे देश में सुर्खियों में आ गया था।
65 अपराधियों की लिस्ट में जीवा भी था
मुजफ्फरनगर पुलिस ने कुख्यात संजीव जीवा गैंग पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ब्रहमदत्त द्विवेदी हत्याकांड में जीवा उम्रकैद काट रहा था, लेकिन उसकी कमर तोडऩे के लिए पुलिस उसके गुर्गों को दबोच रही थी। यूपी सरकार की 65 अपराधियों की लिस्ट में जीवा का नाम आने के बाद से उसके गैंग पर खतरा मंडराने लगा था। 2022 के मुकदमे में चार्जशीट जमा होते ही पुलिस ने रात में ही जीवा और उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी सहित गैंग के 9 सदस्यों पर गैंगस्टर में मुकदमा दर्ज कर 4 आरोपियों को अरेस्ट कर को जेल भेज दिया। एक साल पहले पुलिस और प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए जीवा की 2 करोड़ से अधिक की संपत्ति सील कर कर दी थी।
नहीं बन पाई भाजपा से नजदीकी
लखनऊ जेल में उम्रकैद काट रहा जीवा पर जेल से ही गैंग संचालित करने और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप था। गत कुछ वर्षों सें संजीव जीवा पत्नी को सियासत में स्थापित कराने के प्रयास में जुटा था। जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने रालोद की सदस्यता ग्रहण कर 2017 में सदर सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई तो उसने अपने करीबियों की मदद से भाजपा से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाया.