वाराणसी (ब्यूरो)। देवों के देव महादेव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि समारोह की लेकर बाबा के भक्तों में उत्साह बढऩे लगा है। महोत्सव को लेकर बाबा नगरी में तैयारियां तेज हो गई है। यहां बाबा काशी विश्वनाथ और माता गौरा की शादी की रस्में शुरू हो गई हैं। 6 मार्च यानि आज बाबा विश्वनाथ को अयोध्या से आई हल्दी लगाई जाएगी। इसके बाद 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ ही भव्य बारात निकाली जाएगी। फिर 20 मार्च को रंगभरी एकादशी पर बाबा और माता गौरा का गौना कार्यक्रम संपन्न होगा। इसके बाद 21 मार्च को मसाने में होली खेली जाएगी। मसाने में खेली जाने वाली बाबा की यह होली सिर्फ बनारस में ही नहीं देश विदेश तक फेमस है.
खंडोबा में 8 बार हल्दी की होली
पुणे स्थित खंडोबा के इस रहस्मयी मंदिर शिवजी का ही मंदिर है। वहां पर विश्व प्रसिद्ध टर्मरिक फेस्टिवल होता है। मान्यता है कि यहां पर हल्दी की होली 800 साल से खेली जा रही है। खंडोबा में साल भर में 8 बार हल्दी की होली खेली जाती है। पूरे मंदिर में इस तरह से हल्दी लगाई जाती है कि वह सोने जैसा चमक उठता है। उस दौरान पूरे परिसर और हवा का रंग भी हल्दी जैसा हो जाता है.
पिछले साल मथुरा से आया था अबीर
वाराणसी के गौदोलिया में टेढ़ी नीम स्थित पूर्व महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ को ये हल्दी लगाई जाएगी। इस हल्दी का इंतजाम अयोध्या के रामायणी पं। वैद्यनाथ पांडेय के बेटे पं। राघवेश पांडेय ने किया है। इससे पहले पिछले साल रंग भरी एकादशी यानी कि बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के गौने पर मथुरा की अबीर से होली खेली गई थी.
खंडोबा ध्यान मंत्र में है हल्दी का इतिहास
खंडोबा के हल्दी महोत्सव के बारे में ग्रंथ मल्लारीमहात्म्य में खंडोबा ध्यान मंत्र दिया गया है। इससे पता चलता है कि यहां की हल्दी का इतिहास क्या है। इसमें एक संस्कृत पाठ है, उसी में हल्दी की चर्चा की गई है। खांडोबा हल्दी के इतिहास को संकलित करने का काम सन् 1260 ईसवी से लेकर 1540 के बीच का बताया जाता है.
श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद शुरुआत
पं। राघवेश पांडेय ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है कि काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के विवाह के लिए मुझे अयोध्या से हल्दी भेजने का अवसर मिला है। अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो शुरुआत हुई है, इसका निर्वाह मैं आजीवन करूंगा। प्रतिवर्ष बाबा काशी विश्वनाथ के विवाह के लिए मैं अयोध्या से हल्दी का अर्पण करुंगा। मेरी कोशिश होगी कि अगले वर्ष से मैं स्वयं बाबा के लिए हल्दी लेकर काशी आऊं.