वाराणसी (ब्यूरो)। बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स की अनदेखी के कारण हर माह दो से तीन सौ कंज्यूमर्स परेशान होकर बिजली विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। फिर भी उनका बिल सही नहीं हो पा रहा है। कम लोड में ज्यादा का बिल बनने से पीडि़त एक-दो नहीं बल्कि हजारों कंज्यूमर हैं, मगर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। अगर ऐसा सभी उपभोक्ताओं के साथ हो रहा है तो यह संख्या लाखों में भी पहुंच सकती है। इससे हर माह 50 से 60 रुपए बिल में जोड़कर लिया जा रहा है.
केस-1
लहरतारा निवासी महेश यादव के घर में कुल तीन कमरे हैं। उन्होंने एक किलोवाट का कनेक्शन लिया है। अगस्त में अचानक उनके यहां खपत बढ़ गई, जिस कारण सितंबर माह में जब अगस्त का बिल आया तो पूरे परिवार का दिल ही बैठ गया। करीब दो माह का बिल करीब 10,500 रुपए का आ गया। जब इस बिल को लेकर वह विभाग के पास पहुंचे तो पता चला कि उनका बिल सीडीएफ (सीलिंग डिफेक्टिव) बन गया है। क्लर्क ने उनका बिल सही किया, जिसके बाद वही बिल 4000 हजार रुपए का बना.
केस-2
पिछले तीन माह से भिखारीपुर के गोविंद प्रसाद बिजली बिल को लेकर परेशान हैं। दो माह से उनके मीटर की रीडिंग ही नहीं हुई। जब बिल आया तो उनके होश उड़ गए। बगैर रीडिंग के जब उन्होंने मोबाइल पर बिल चेक किया तो 8 हजार से ऊपर का बिल आ गया, जबकि हर माह उनके घर का बिल 1800 से दो हजार से ज्यादा कभी भी नहीं आया। गोविंद जब बिजली विभाग पहुंचे तो वहां उनसे आवेदन ले लिया गया, लेकिन अभी तक उनकी समस्या का न कोई समाधान हुआ और न कोई सुनवाई हो रही.
केस-3
पांडेयपुर के रहने वाले सुधांशु तिवारी के घर में जब बिल आया तो पता चला कि उनका बिल मीटर के लोड से ऊपर का बनाया जा रहा है। उनका कनेक्शन पर 1.79 का लोड बताया गया, लेकिन जब बिल बनाया गया तो उस समय लोड 2.15 दर्शा दिया गया। इस तरह से उन्हें हर माह 50 से 60 रुपये एक्स्ट्रा देना पड़ा। ऐसा उनके साथ पिछले कई माह से हो रहा था। शिकायत करने पर बिलिंग कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया.
यह तीन केस केवल उदाहरण के लिए है। ऐसे दर्जनों केस डेली विभाग में पहुंच रहे हैं। बनारस में करीब चार लाख पावर कंज्यूमर हैं। अगर सभी के बिल में ऐसा झोल किया गया तो हर माह दो से तीन करोड़ तक का आंकड़ा पहुंच सकता है।
हर महीने डिफेक्टिव बिल
शहर में लगभग 4 लाख पावर कंज्यूमर्स हैं। करीब 50 प्रतिशत कंज्यूमर्स के यहां बिल रीडिंग कर्मचारियों और बिलिंग काउंटर से बनता है। लगभग 70 प्रतिशत लोग हर माह बिल जमा भी कर देते हैं। बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह लगभग डेढ़ से दो हजार कंज्यूमर्स के गलत बिल उनके घर पहुंचते हैं। इसके लिए बिजली विभाग और कंज्यूमर्स, दोनों जिम्मेदार हैं.
समझिए बिल की गड़बड़ी
1- बिजली विभाग के जानकारों की मानें तो बिल में गड़बड़ी तीन तरह की होती है। इसमें पहला है सीलिंग डिफेक्टिव (सीडीएफ)। यह बिल कंज्यूमर्स की गड़बड़ी से बनता है। अगर कंज्यूमर ने दो किलोवाट का कनेक्शन लिया है और अचानक यूजेज बढ़ जाता है तो बिल सीडीएफ बनता है.
2- मीटर डिफेक्टिव (आईडीएफ)। यह बिल मीटर बंद होने के कारण बनता है, जिसमें बिजली विभाग की लापरवाही होती है। विभाग जानता है कि कंज्यूमर्स का मीटर बंद है, लेकिन उसके बाद भी बिल बना देता है.
3- रीडिंग डिफेक्टिव (आरडीएफ)। यह बिल बिजली विभाग और कंज्यूमर्स की लापरवाही से बनता है। कंज्यूमर जब बिल बनवाने विभाग जाता है तो लास्ट मंथ जमा किए गए बिल से कम रीडिंग बताने पर ऐसा बिल जनरेट होता है। बिजली विभाग वाले कभी-कभी बिना घर गए ही बिल बना देते हैं, जिससे रीडिंग डिफेक्टिव बिल बन जाता है।
हाई टेक्नोलॉजी के मीटर्स घरों में लग गए हैं। अब बिल में गड़बड़ी होने के चांसेस कम हो गए हैं। बिल गलत आने के कई सारे कारण हो सकते हैं। जिस भी कंज्यूमर के साथ ऐसा हो रहा है, वो उनसे डायरेक्ट संपर्क कर शिकायत कर सकता है। समाधान जरूर कराया जाएगा.
एपी शुक्ला, चीफ इंजीनियर, पीवीवीएनएल