वाराणसी (ब्यूरो)। चिलचिलाती धूप और चढ़ते पारे के साथ सिटी में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। मई, जून में पडऩे वाली गर्मी अप्रैल में ही बड़ों के साथ मासूम बच्चों पर कहर बरपा रही है। ये दोनों अचानक तेज बुखार और उल्टी के साथ ही डायरिया के शिकार हो रहे हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में बीमार बच्चों की भीड़ लगी हुई है। सिटी का ऐसा कोई अस्पताल नहीं है, जहां डायरिया से पीडि़तों की लाइन न लगी हो। ओपीडी से लेकर वार्ड तक में मरीज भरे पड़े हैं। पिछले एक सप्ताह से गर्मी अपना विकराल रूप दिखा रही है। बढ़ते तापमान के साथ गर्मी जनित बीमारियां भी बढ़ रही हैं। चिकित्सकों का कहना है कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए गर्मी से बचाव के उपाय करने चाहिए। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी हीट स्ट्रोक, हीट वेव और हीट रैश से बचाव को लेकर एडवाजरी जारी की है।
50 प्रतिशत को हीट स्ट्रोक
मंडलीय अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी में बीमार होने वाले में लगभग 50 प्रतिशत बच्चे हीट स्ट्रोक से परेशान होकर पहुंच रहे हैं। इसमें बच्चों को तेज बुखार होता है और उल्टी लगती है। इसके साथ ही दस्त डायरिया भी हो जाता है। डॉ। सीपी गुप्ता ने बताया कि गर्मी के मौसम में हीट स्ट्रोक से पीडि़त होने पर डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चे का उपचार कराना चाहिए। उनकी ओपीडी में 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक और डायरिया से पीडि़त होकर आ रहे हैं। जहां सामान्य स्थिति के बच्चों को दवा और ओआरएस देने की सलाह दी जा रही है, वहीं गंभीर केस में एडमिट किया जा रहा है।
बच्चों की केयर करें
चिकित्सकों का कहना है कि अभी स्कूल की छुट्टियां नहीं हुई है। ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों की ज्यादा केयर करने की जरूरत है। उनका मानना है कि दो साल से लेकर 10-12 साल तक के बच्चों में हीट स्ट्रोक होता है। चिलचिलाती धूप में बस या और पैदल स्कूल आने-जाने से बच्चों पर इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है।
प्राथमिक उपचार जरूरी
सीएम ने बताया कि इस मौसम में बच्चों से लेकर वृद्धजन को बेहोशी, मांसपेशियों में जकडऩ, मिर्गी दौरा पडऩा, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, कमजोरी, चक्कर आना, सांस व दिल की धड़कन तेज होना आदि समस्या हो सकती है। इससे बचाव के लिए प्राथमिक उपचार बेहद जरूरी है। सीएमओ ने बताया कि गर्म हवा और तेज धूप से जन-हानि भी हो सकती है। सबसे ज्यादा खतरा एक वर्ष से कम आयु के शिशु व अन्य छोटे बच्चे, गर्भवती और धूप में कार्य करने वाले व्यक्ति, और हाई बीपी से ग्रस्त लोगों को है।
क्या है हीट स्ट्रोक
गर्मी में शरीर में पानी की कमी होने को हीट स्ट्रोक कहा जाता है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा हीट स्ट्रोक यानी लू लगने का रहता है। जैसे ही तापमान बढ़ता है तो लू लगने का खतरा बन जाता है। इसमें शरीर में पानी की कमी होने पर उल्टी के साथ तेज बुुखार होता है और शरीर में पानी की कमी होने पर बेहोशी आने लगती है।
क्या करें - क्या न करें
- खाना बनाते समय कमरे के दरवाजे के खिड़की एवं दरवाजे खुले रखें।
- उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें। बासी भोजन न करें।
- उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आती है। काले पर्दे लगाकर रखना चाहिए।
- संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें।
- घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें।
प्राथमिक उपचार
- व्यक्ति को ठंडे एवं छायादार स्थान पर ले जाएं
- एबुलेंस को फोन करें (108) एवं नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं
- व्यक्ति को पैर ऊपर रखकर सुलाएं
- अगर बेहोश न हो तो ठंडा पानी पिलाएं
- जितना हो सके कपड़े शरीर से निकाल दें
- शरीर के ऊपर पानी से स्प्रे करें
- ओआरएस का घोल पिलाएं
बचाव व उपाय
1. धूप में निकलने से पहले अपने सिर को सूती कपड़े से ढकना चाहिए.
2. धूप में बाहर निकले तो थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थों का सेवन करते रहें.
3. तरल पेय पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए.
4. ज्यादा ठंडे खाने व पीने के पदार्थों का सेवन करने से बचें.
5. प्यास बुझाने के लिए कुल्फियां, बर्फ व अन्य बाजारी वस्तुओं का सेवन कम से कम करें.
6. घर पर बने तरल पदार्थ शिकंजी, छाछ, जूस, पानी के साथ ग्लूकोज आदि का सेवन करें.
7. पीडि़त बच्चे के शरीर में पानी की कमी न होने दें, कुछ न हो तो सादा पानी पीते रहें.
8. खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा आदि का सेवन करें.
9. ऐसी स्थिति में चिकित्सक की सलाह ले।
10. तेज बुखार होने पर माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखे.
11. लू से होने वाली मौत की रोकथाम के लिए ये बरते सावधानी
12. तेज धूप और गर्म हवा से बचें। बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें।
13. जितनी बार हो सके पानी पियें, प्यास न लगे तो भी पानी पियें।
14. धूप से बचने के लिए गमछा, टोपी, छाता, धूप का चश्मा, का इस्तेमाल करें.
15.-शराब, चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थों का इस्तेमाल न करें।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
तेज बुखार के साथ उल्टी होना.
उल्टी और बुखार के साथ दस्त होना.
बच्चों में बेचैनी होना, बेहोशी छा जाना.
गर्मी में उल्टी दस्त से बचाव के लिए बच्चों को ओआरएस का घोल देते रहे। हीट स्ट्रोक का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बजुर्गों पर पड़ रहा है। अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ओपीडी में आने वाले 50 प्रतिशत बच्चे लू और डायरिया की चपेट में है।
डॉ। सीपी गुप्ता, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, मंडलीय अस्पताल
आगामी गर्मी के प्रभाव और इसके कारण उत्पन्न होने वाले रोगों के प्रबंधन व प्रभावी तैयारियों के लिए सभी जिला स्तरीय चिकित्सालयों को निर्देशित किया गया है कि हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प और हीट वेव से होने वाली समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर लें।
डॉ। संदीप चौधरी, सीएमओ