वाराणसी (ब्यूरो)। काशी मॉडल पर पूरी दुनिया फिदा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी के विकास के लिए खजाना खोल दिया है। अफसोस की बात है कि डिपार्टमेंट के अफसरों की सुस्ती की वजह से 200 करोड़ की स्किल सेंटर खोलने की योजना छह साल बाद भी आकार नहीं ले पाई। अगर यह सेंटर खुल गया होता तो उद्योगों का न सिर्फ विस्तार होता बल्कि कई नए उद्योग अब तक शहर में डेवलप हुए होते। अब लघु उद्योग भारती के उद्यमियों ने सरकार को पत्र लिखकर स्किल सेंटर खोलने की मांग की है.
कई योजनाएं हुई पूरी
जबसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काशी के सांसद हुए तबसे लेकर अब तक सैकड़ों योजनाएं पूरी हुई, लेकिन ताज्जुब की बात है कि इन योजनाओं में प्रधानमंत्री का सबसे पसंदीदा योजना छह साल बाद भी अधर में लटका हुआ है। जबकि ट्रेनिंग स्किल सेंटर अगर काशी में खुल जाए नए उद्योगों को फायदा होगा ही साथ ही कई उद्योग और डेवलप हो जाएंगे.
बेंगलुरू की तर्ज पर बनना था
शहर में 20 एकड़ एरिया में टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर बनना था। इस टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर को हैदराबाद, बेंगलुरू की तर्ज पर तैयार किया जाना था। इसका उद्देश्य यही था कि जो छात्र या रोजगारपरक शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले युवा हैं, उन्हें अपने शहर से ही ट्रेनिंग मिल सके। उन्हें किसी अन्य शहर या राज्य में न जाना पड़े। काफी लंबा समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक एमएसएमई विभाग को जमीन नहीं मिल सकी है। विभाग ने कृषि अनुसंधान विभाग से भी जमीन के लिए पत्र व्यवहार का काम शुरू किया था। यह भी अधर में लटका हुआ है।
सरकार ने दिए थे 200 करोड़
टे्रनिंग सेंटर खोलने के लिए सरकार की तरफ से 200 करोड़ रुपये का बजट मिला था। राज्य सरकार द्वारा जैसे ही भूमि आवंटित की जाती, वैसे ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इससे पूर्वांचल के जितने बेरोजगार युवा हैं, वे तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर फैक्ट्रियों आदि में ऑपरेटर के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के लिए ग्रामीण स्तर पर कई कमेटी बनी है। योजना को बनाने के दौरान गांव के प्रधान को भी जोड़ा गया। ऐसे में युवाओं को काम मिलने में आसानी होती लेकिन न तो जमीन न ही कोई ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए प्रयास कर रहा है.
2016 में मिला था बजट
2016 में स्किल ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए 200 करोड़ का बजट सरकार ने दिया था। लेकिन, आज तक जमीन नहीं मिल पाई। जबकि कई योजनाएं शहर में मूर्त रूप ले चुकी है एक स्किल ट्रेनिंग सेंटर ही है जो अधर में लटका हुआ है.
वाराणसी में अगर समय पर टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर खोल दिया जाता तो यहां के युवाओं को अपना हुनर निखारने में काफी मदद मिलती। उद्योगों का विकास होता.
राजेश सिंह, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती
टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए पिछले कई साल से राज्य सरकार से जमीन देने की मांग की जा रही है। इसके लिए कई बार पत्र भी भेजा गया है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
ज्योति शंकर मिश्रा, अध्यक्ष, बनारस लघु उद्योग भारतीय
जमीन की तलाश की जा रही है। इसके लिए सभी अधिकारियों को लगाया गया है। सरकार से भी पत्राचार चल रहा है.
हिमांशु शेखर, कस्टोडियन, सैमसंग एमएसएमई