वाराणसी (ब्यूरो)। देश तथा प्रदेश में एमएसएमई में बाधक है श्रम कानून। इसको लेकर इंडस्ट्रियल इंडस्ट्री एसोसिएशन के उद्यमियों ने सरकार से मांग की है कि इंडस्ट्री में अगर जान फूंकना है इन नियमों का सरलीकरण किया जाए। मलदहिया स्थित विनायक प्लाजा में जुटे उद्यमियों ने कहा कि कारखाना अधिनियम, अग्निशमन तथा प्रदूषण नियंत्रण कानूनों तथा यूपीसीडा इंडस्ट्रियल एरिया एवं डीआईसी के इंडस्ट्रियल स्टेट में लागू नियमों में विसंगतियों को दूर होगी तभी इंडस्ट्री का विकास होगा.
पुराने कानूनों को समाप्त करें
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर उनके स्थान पर चार नए लेबर कोड लाने की पहल का स्वागत किया। सरकार से अपेक्षा रखी कि शीघ्र ही इस लेबर कोड को प्रभावी किया जाए। यूपीसीडा तथा इंडस्ट्रियल इस्टेट के औद्योगिक भूखंडों को फ्री होल्ड तथा ट्रांसफर करने में आ रही कानूनी बाधा को शीघ्र दूर किए जाए.
तय हो श्रमिकों की मजदूरी
आईआईए वाराणसी के डिवीजनल चेयरमैन अनुपम देवा ने कहा कि श्रमिकों की मजदूरी उनकी उत्पादकता के हिसाब से तय होनी चाहिए, इंडस्ट्रियल एरिया में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कॉमन ईटीपी लगाने की मांग रखी.
उद्योगों के लिए श्रम कानून अलग हो
आईआईए के राष्ट्रीय फूड कमेटी के चेयरमैन दीपक बजाज ने कहा कि बड़े उद्योगों एवं सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए अलग होने चाहिए। नीरज पारिख ने कहा कि प्रदूषण विभाग द्वारा उद्योगों को जारी एन ओ सी की समय सीमा को न्यूनतम 15 वर्ष किया जाना चाहिए जिससे उद्यमी को एनओसी के बार-बार नवीनीकरण से मुक्ति मिले। हजार वर्ग मीटर में स्थापित छोटी इकाइयों को अग्निशमन तथा प्रदूषण की एन ओ सी स्वयं प्रमाणन के आधार पर जारी की जानी चाहिए.
यह रहे मौजूद
बैठक में राजेश भाटिया, राजकुमार शर्मा, गौरव गुप्ता, अश्वनी, अनुज डिडवानिया, पंकज अग्रवाल मौजूद थे.