-चयनित 94 गांवों में 55 फीसदी बचपन अब भी कुपोषण के शिकंजे में

-ग्रामीण बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू की गई है कुपोषण मुक्त गांव योजना

डिस्ट्रिक्ट में कुपोषण मुक्ति योजना की हालत ठीक नहीं चल रही। शासन ने बनारस के गांवों में खेलते बचपन को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए अफसरों को अभिभावक बनाकर उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन अफसरों के सुस्त रवैये के चलते इन गांवों की तस्वीर ज्यादा नहीं बदल पाई है। डिस्ट्रिक्ट के चयनित 94 गांवों में अभी भी 55 फीसदी बचपन कुपोषण के शिकंजे में हैं। इनमें कई गांव ऐसे हैं जिन्हें अधिकारियों को गोद दिया गया है। हालत यह है कि यहां एक भी बच्चा कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाया है। जबकि योजना शुरू हए 6 माह से भी अधिक का समय गुजर चुका है।

47 अफसरों को जिम्मेदारी

प्रदेश सरकार ने ग्रामीण बच्चों को कुपोषण से बचाने और गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पिछले वर्ष कुपोषण मुक्त गांव योजना शुरू की थी। इसमें जिले के बड़े अधिकारियों को दो गांव गोद देकर कुपोषण से मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई थी। योजना के तहत चयनित गांवों को कुपोषण मुक्ति के लिए 31 मार्च 2018 समय सीमा निर्धारित की गई थी। लेकिन बनारस में इस योजना को शुरू करने में ही छह माह लग गए।

अब तक सिर्फ 45 फीसदी मुक्ति

योजना के तहत डीएम, सीडीओ, एडीएम और सीएमओ, भूमि संरक्षक अधिकारी समेत जिले के कुल 47 अफसरों को दो-दो गांवों को कुपोषण से मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें डीएम के गोद लिए 4 गांवों, सीडीओ के 4 गांवों, भूमि संरक्षण अधिकारी के 7 गांवों, सीएमओ के 11 गांवों में व अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों के गोद लिए गांवों में 312 बच्चे अभी भी अति कुपोषण के शिकार हैं। हालांकि अभी अधिकारियों के पास 6 माह का वक्त है। जिसमें इन गांवों के 55 फीसदी बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाना है।

ज्यादा कुपोषित गांवों पर फोकस

शासन की इस योजना में ऐसे कई गांवों को शामिल किया गया है जहां पहले ही कुपोषण कम है। 8 ब्लॉक के गोद लिए 94 गांवों में कई ऐसे गांव हैं जहां एक या दो ही बच्चे कुपोषित हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगले सेशन में उन गांवों को गोद लिया जाएगा जहां कुपोषण का ग्राफ ज्यादा है। इसके लिए डीएम ने जिले के गांवों की सूची मंगाई है।

बेअसर रही योजना

मातृ और शिशु को कुपोषण से बचाने के लिए तमाम योजनाएं शुरू की गई हैं। इसमें गर्भवती और छोटे बच्चों के लिए हौसला पोषण योजना भी है। जिसमें गर्भवती की देखभाल की जिम्मेदारी सरकार के जिम्मे है। इसके बावजूद सरकार की कई योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकी हैं।

एक नजर

94

गांव योजना में हैं शामिल

47

अधिकारियों ने गोद लिए हैं गांव

08

गांव कुपोषण से हुए मुक्त

वर्जन

गोद लिए गांवों को कुपोषण मुक्त करना प्राथमिकता में है। जहां स्थिति गंभीर थी वहां 45 फीसदी बच्चों को कुपोषण से मुक्त किया जा चुका है। अगले 6 माह में बचे सभी गांवों को कुपोषण से मुक्त करा दिया जाएगा। मैं खुद 2-3 गांव और गोद लूंगा।

योगेश्वर राम मिश्रा, डीएम, वाराणसी