- रविवार को जमकर उड़ी पतंगें, कुछ घरों में बनायी और खायी गयी खिचड़ी
- अधिकतर लोग आज मनायेंगे मकर संक्राति का पर्व
VARANASI
मकर संक्त्रांति को लेकर पंचांगों में मतभेद का असर रहा कि लोगों ने रविवार को भी खिचड़ी मनायी। वैसे जानकारों ने 15 जनवरी यानि की सोमवार को मकर संक्राति का पर्व मनाये जाने को शास्त्र सम्मत बताया था। पर जिन्होंने 14 जनवरी को मकर संक्त्रांति की परंपरा को माना उन्होंने गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगा कर पर्व मनाया। जबरदस्त कोहरे और कड़ाके की ठंड को दरकिनार कर हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे और पुण्य की डुबकी लगायी। लोगों का घाटों पर पहुंचने का सिलसिला शनिवार की रात में ही शुरु हो गया था।
अन्न-धन का किया दान
दशाश्वमेध, शीतला घाट, मुंशी घाट, अहिल्याबाई, मान मंदिर आदि घाटों पर लोगों ने स्नान किया और अन्न-धन का दान कर पर्व मनाया। कुछ घरों में खिचड़ी बना कर खाई गयी। चोखा, अचार, पापड़, दही व देशी घी के साथ ने उसका स्वाद कई गुना और भी बढ़ा दिया। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की ओर से खिचड़ी का प्रसाद बांटा गया और सुबह दर्शनार्थियों के लिए चाय आदि का वितरण किया गया।
खूब हुआ भाक्काटा
रविवार छुट्टी का दिन था तो हर कोई छतों पर ही दिखा। शहर में पूरे दिन भाक्काटे की गूंज सुनाई देती रही। लाला, छड़ीला, धारा, मत्थल, कंठा और न जाने कितने तरह की रंग- बिरंगी पतंगों से आसमान पटा दिखा। जहां-तहां लोग कन्ना, मांझा, पतंग, लटाई पर अपना हाथ साफ करते रहे। ये दौर अंधेरा होने तक जारी रहा। बच्चों के साथ बड़ों ने भी छतों पर खूब भाक्काटा किया। पूरे दिन मौज मस्ती के लिए लोगों ने छतों पर म्यूजिक सिस्टम लगाकर नये पुराने गीतों का भी लुत्फ उठाया.
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आज मनेगी संक्त्रान्ति
भले ही रविवार को लोगों ने संक्त्रान्ति मनाया हो लेकिन विद्वानों ने मकर संक्त्रान्ति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाये जाना शास्त्र सम्मत बताया है। ज्योतिषविद् पं चक्रपाणि भट्ट कहते हैं कि सूर्यदेव ने मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी रविवार को कर लिया। पर मकर संक्राति सूर्य उपासना का पर्व है। इसके चलते मकर संक्रान्ति अगले दिन 15 जनवरी को मनायी जायेगी।
खरीदारी का रहा जोर
मार्केट में सजे लाई पट्टी चूड़ा की दुकानों पर खरीदारों की भारी भीड़ दिखी। पर्व की परंपरा के अनुसार बेटी के यहां खिचड़ी भेजी जाती है। जिसके पालन में लोगों ने यथाशक्ति सामान खरीदारी कर बेटियों के यहां खिचड़ी पहुंचाई। डिब्बा बंद पट्टी की डिमांड अधिक रही।