वाराणसी (ब्यूरो)। महामना की बगिया की उपलब्धि के साब अब मार्डनिटी जुड़ गई है। वल्र्ड क्लास फैसिलिटी और पठन-पाठन के माहौल से छात्र-छात्राएं साल दर साल सफलता की जीवंत कहानियां लिखते जा रहे हैैं। यहां से शिक्षा, चिकित्सा, तकनीक, भूगोल, विज्ञान, जीव-वनस्पित, कृषि, समाजिक, वाणिज्य, कानून, दृश्य, आयुर्वेद, प्रर्दशन, पत्रकारिता, विदेशी भाषा, बौद्ध दर्शन व संस्कत आदि विषयों का शिक्षा लेकर पुष्पित-पल्लवित हुए छात्र-छात्राएं देश-विदेश में बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) और इंडिया का मस्तष्क गौरव से ऊंचा कर रहे हैैं। वर्ष 2023 में बीएचयू अपने स्थापना के 108 वर्ष में प्रवेश कर गया है। मौजूदा समय में 42 देशों के कुल 32 हजार से अधिक स्टूडेंट शिक्षा ग्रहण कर रहे है। जो वल्र्ड में अन्य शिणक्ष संस्थानों के लिए मील का पत्थर है.
डिजायर को गोल
बीएचयू में से शिक्षा ग्रहण करने के लिए देश को कोने-कोने के साथ एशिया व यूरोप के भी स्टूडेंट्स में कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। हाल वर्षों में आए वैश्विक बदलाव से हिसाब से बीएचयू को पाठ्यक्रम अपडेट व स्मार्ट है। मसलन, कोर्स पूरा करने के बाद स्टूडेंट अपने पैशन से सफल प्रोफेशनलिस्ट भी बन रहे हैैं। वहीं, बीएचयू प्लेसमेंट सेल भी स्टूडेंट को लाखों-करोड़ों के पैकेज दिला रहा है। इससे प्रतिवर्ष हजारों स्टूडेंट के सपनों को पंख लग रहे हैैं.
एक नजर में बीएचयू
बनारस में सन 1916 में वसंत पंचमी को दान के धन और जमीन पर बीएचयू की स्थापना की गई थी। बीएचयू का विस्तार 1360 एकड़ भूमि में है, जो गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसकी स्थापना में डॉ एनी बेसेंट का उल्लेखनीय योगदान रहा। विवि में 16 फैकेल्टी और 134 विभाग और सैकड़ों गल्र्स व बॉयज हॉस्टल क साथ एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्याल है। बीएचयू में ट्रेडिशन के साथ मार्डन कोर्स को जिस रूप में अपनाया है वह औरों के लिए अनुकरणी है.
रिसर्च वर्क से रचा इतिहास
बीएचयू के विज्ञान, भूगोल, भूभौतिकिी, कृषि, चिकित्सा और तकनीक समेत अन्य विभागों से प्रकाशित होने वाले वैज्ञानिकों व रिसर्चरों के शोध रिपोर्ट सरोकारी व कल्याणकारी होते हैैं।
मॉडर्न फैसिलिटी से लैस
पूरा कैंपस ग्रीन और इतना शांत है कि पक्षियों के कलरव को आसानी से महसूस किया जा सकता है। क्लास के बाद स्टूडेंट के अध्ययन के लिए वल्र्ड क्लास कंप्यूटर लाइब्रेरी की भी व्यवस्था है। जहां स्टूडेंट बिना किसी शुल्क के रात और दिन में अध्ययन कर सकते हैैं। स्पोर्ट, कल्चरल एक्टिविज, एक्जिहिबिशन की सुविधा के साथ कैंपस में नेशनल लेवल के प्रतिपस्पर्धा में अपने को विद्यार्धी निखारते भी हैैं.
महामना की बगिया के बच्चें जीवन में हर बाधा को पार करते हुए मूल्यों के साथ अपने अपने मंजिल को गले लगाते हैैं.जो किसी अन्य यूनिवसिर्टी में देखने को नहीं मिलती है.
मो। नशीम, बीएचयू स्टूडेंट
पूर्वांचल के एक छोटे से गांव से बीएचयू पढऩे में पढऩे के दौरान अधिकारी बनने का ख्याल आया। ग्रेजुएशन के बाद दो तैयारी फिर अपने सपने को जी रहा हूं। मेरी सफलता बीएचयू की वजह है।
प्रीतम यादव, पूर्व बीएचयू स्टूडेंट
यहा शोध और मानवीय मूल्यों का बोध साथ-साथ चलता रहता है। बीएचयू एक समंदर है। यहां कोई स्टूडेंट पक्के इरादे के साथ हाथ-पैर मारेगा तो बीएचयू उसे उछाल देगा, यानि उसे मंजिल मिल जाएगा।
विकास सिंह, शोध छात्र