वाराणसी (ब्यूरो)। ज्ञान व सर्वविद्या की राजधानी काशी में विद्यादात्री की अगुवानी करते भक्तों ने जयकारा लगाया तो पूजन स्थल को चकाचक कर सजाने-संवारने में सुबह से रात तक श्रमदान कराया। हालांकि पूजन तैयारी में बारिश ने खलल डाला, जिसके चलते कई क्लबों के पूजा स्थल व पंडाल जलमग्न हो गए। क्लब के कार्यकर्ता लगातार इसे दुरुस्त करने में लगे रहे। मंगलवार को सरस्वती पूजन में महादेव की नगरी लीन रही। शहर में डेढ़ सौ से अधिक स्थानों पर सार्वजनिक पूजा पंडालों में वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके चलते विभिन्न क्लब, संगठन, घर, स्कूलों सहित पठन-पाठन के हर स्थान पर पूजनोत्सव की तैयारियों का उत्साह दिखा.
प्लास्टिक की पन्नी से ढककर पहुंचीं मूर्तियां
पूजनोत्सव से एक दिन पहले विभिन्न क्लबों एवं पूजा-पंडालों तक देवी सरस्वती की प्रतिमाओं को पहुंचाने का क्रम सुबह से शुरू होकर रात भर चलता रहा। जबकि मंगलवार को मिट्टी की प्रतिमा आदि नहीं खरीदने की मान्यता वाले क्लबों एवं पूजन समितियों ने देवी प्रतिमाओं को सोमवार की रात तक पूजा मंडपों में ले गए। शिल्पकारों की दुकानों से विभिन्न क्लबों व पूजन समितियों द्वारा सरस्वती प्रतिमाओं के पूजन स्थल व मंडप तक पहुंचाया जाता रहा। ट्राली, पिकअप और टैम्पो-ट्राली सहित गोद में भी उठाकर विभिन्न प्रतिमाओं संग चलते उत्साही युवक माता के जयकारे लगाते रहे। गलियों में बने पूजा पंडालों तक प्रतिमाओं को युवकों ने कंधे पर उठाकर पहुंचाया। सभी मूर्तियों को बारिश से बचाने के लिए प्लास्टिक की पन्नी पहनाकर पूजा मंडपों तक पहुंचाई गई.
खरीदारी को उमड़ी भीड़
मूर्तिकारों के अलावा लक्सा, जद्दूमंडी, दशाश्वमेध, लंका, पांडेयपुर, अस्सी, दुर्गाकुंड आदि क्षेत्रों में लगी अस्थायी दुकानों पर भी छोटी-बड़ी देवी प्रतिमाओं की खरीदारी करने को भीड़ जुटी रही। मूर्तियों के अलावा पूजन सामग्री की भी बिक्री खूब हुई। बाजार में पूजन सामग्रियों की खरीदारी में महिलाओं की संख्या ज्यादा रही.
200 से पांच हजार तक कीमत
दो सौ से पांच हजार तक रही कीमत पूजन सामग्रियों से सजी दुकानों पर खरीदार माता रानी की मूर्तियां बेहद ध्यान से चुन रहे थे। मूर्तियों का रेट दो सौ से पांच हजार रुपये तक था। इसमें बांग्ला शैली, कमलफूल पर विराजीं, साड़ी पहनी मूर्तियों के अलावा त्रिशूल-डमरू और छत्रधारी सरस्वती प्रतिमाएं शामिल रहीं.
चुनरी-माला की भी डिमांड
माता की चढऩे और पूजन स्थान पर बिछने वाली पीली चुनरी पांच से 100 रुपये तक रही तो उन्हें चढऩे वाली रेशमी माला भी इतने ही कीमत पर बेची गयी। प्रतिमाओं एवं पूजन सामग्री की खरीदार और बिक्री के दौरान दुकानों पर छोटी प्रतिमाओं का रंगों से रूप निखारने का काम मूर्तिकार द्वारा चलता रहा। कई लोग बुधवार को सुबह भी मूर्ति सहित पूजन सामान की खरीदारी करेंगे.
गंगा स्नान का विशेष महत्व
गंगा स्नान व पूजन का विशेष महत्व इस दिन गंगा स्नान से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद असहाय, गरीबों को दान देना चाहिए। विद्यार्थियों व शिक्षार्थियों को मां सरस्वती का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। माता सरस्वती ज्ञान-विज्ञान, बुद्धि-विवेक और शिक्षा की देवी है। उनकी पूजा से विशेष कृपा प्राप्त होती है.
प्रात: 6.30 से शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य बब्बन तिवारी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी दिन मंगलवार को रात्रि 7.48 से हो गई है। आज 14 फरवरी दिन बुधवार को सायं 5.40 पर पंचमी तिथि का समापन होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 6.30 से लेकर दोपहर 12 बजकर 56मिनट तक रहेगा.