वाराणसी (ब्यूरो)। विश्वनाथ धाम की तरह अब मंदिर ही नहीं, बल्कि लहरतारा स्थित संत कबीर प्राकट्य स्थल को संवारा जाएगा। इसे भी कॉरिडोर का शक्ल दिया जाएगा। इसमें मुख्य मार्ग पर गेट के अलावा कबीर साहेब का स्मारक, लाइब्रेरी और ऑडिटोरियम समेत तमाम कार्य शामिल है। यूपी पर्यटन विभाग ने 653.59 लाख रुपये से संत कबीर प्राकट्य स्थली को विकसित करने की योजना बनाई है। इस योजना पर बहुत जल्द ही काम शुरू होगा। बनारस का रस तो कबीर हो जाने में ही महसूस हो पाता है। सत्य मार्ग पर तर्कों के साथ डिगे रहने का अक्खड़पन, मस्तमिजाजी और फक्कड़पन इस शहर ने उनसे ही सीखा तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। इसी उद्देश्य से कबीर प्राकट्य स्थली लहरतारा में उनके जीवन दर्शन की नींव पर करीब 8,500 वर्ग फीट में 6.53 करोड़ रुपये की लागत से पूरे परिसर को कबीर के विचारों की तरह विकसित किया जाएगा.
लहरतारा मेन सड़क पर बनेगा कबीर द्वार
कैंट से रोहनिया जाते में कबीर की जन्मस्थली लहरतारा भी पड़ता है, जहां से हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक भी गुजरते हैं, लेकिन कबीर की मौजूदगी का एहसास नहीं होता है। इसी को देखते हुए मेन रोड पर कबीर द्वार बनाया जाएगा। बहुत जल्द ही इस पर काम शुरू होगा। इसकी पहल विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने की थी। कहा था कि कबीर प्राकट्य स्थली के पूरे परिसर का समुचित विकास ही मेरा लक्ष्य है.
स्थली को भव्य स्वरूप प्रदान करेंगे
उपेक्षित प्राकट्य स्थल को नया रूप देने के लिए मंदिर के गुम्बद से लेकर सात दरवाजे, लाइटिंग आदि इसे भव्य स्वरूप प्रदान करेंगे। मंदिर के अंदर जाने पर कबीर के होने का अहसास होगा। इसके निर्माण में तमाम एक्सपर्ट लोगों की भी मदद ली जाएगी। कबीर मंदिर के अलावा प्राकट्य स्थल एरिया में परिक्रमा स्थल, थिएटर, सभागार हॉल, लाइब्रेरी भी बनेगी। आने वाले समय में प्राकट्य स्थल बनारस के सबसे अलग पर्यटन स्थल के रूप में दिखेगा। इसका शिलान्यास पीएम मोदी के हाथों से 7 जुलाई को हो सकता है।
पंचतत्व का समावेश
संत कबीर ने जीव-आत्मा को श्रमसाधना में बांधना सिखाया और करघे से इसका विवेचन किया। इसके जरिए ही कर्म की प्रधानता का सदा संदेश दिया तो पिंड से ब्रह्मांड तक जगत अस्तित्व के कारणभूत पंचतत्वों यानी क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा को अपनी बानियों में समाहित किया। उनका समावेश स्मारक के पांच खंडों के ऊपरी हिस्से में शिखर, उध्र्वमुखी शंकु, पट्टिकायुक्त गवाक्ष, तिर्यक फलक व प्रच्छाया पट्टिकाओं से किया जाएगा.
दिखेगा मोक्ष मुक्ति का द्वार
जीवन के दैहिक व आध्यात्मिक पक्षों पर आधारित दुनिया के अनूठे स्मारक में मूर्ति की जगह अष्ट कमल दल चरखा डोले पंक्तियों का मूर्त रूप नजर आएगा। इसमें चरखा शरीर का प्रतीक होगा तो डंडियां, धूप से उभरती छाया में अपनी धुरी पर घूमती नजर आएंगी। शिखर में कांच से निकलती रोशनी आत्म-परमात्मा को एकाकार करते हुए अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मोक्ष का दसवां द्वार दिखाएगी.
सीएम, पर्यटन मंत्री व स्थानीय विधायक के प्रयास से यूपी पर्यटन विभाग ने 653.59 लाख रुपये से संत कबीर प्राकट्य स्थली को विकसित करने की योजना बनाई है। इसका बोर्ड भी परिसर में लगा दिया गया है। कार्ययोजना का शिलान्यास होने के बाद काम शुरू होगा.
गोविंद दास, महंत, कबीर प्राकट्य स्थली