वाराणसी (ब्यूरो)। माफिया मुख्तार अंसारी गैंग चलाता है और अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है। वह पेशेवर अपराधी है। उस पर हत्या व हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप है। उसके डर से कोई गवाही देने के लिए तैयार नहीं होता था। यही वजह है कि कृष्णानंद राय हत्याकांड और रूंगटा अपहरण-हत्याकांड में उसे सजा नहीं हुई। जज ने लिखा मुख्तार कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, इसलिए किसी भी नरमी का हकदार नहीं है। अफजाल अंसारी भी मुख्तार गैंग का सक्रिय सदस्य है और अपराध में उसे प्रश्रय देता रहा है। गैंगस्टर मामले में शनिवार को मुख्तार और उसके बड़े भाई अफजाल को दस वर्ष और चार वर्ष के कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाते हुए गाजीपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की।
व्यवस्था को अस्त-व्यस्त
एमपी-एमएलए कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश दुर्गेश ने अपने फैसले में कहा कि संपूर्ण विवेचना से स्पष्ट है कि मुख्तार के गैंग का उद्देश्य न केवल पूरी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करना है, आर्थिक व अन्य लाभ पाने के लिए अपराध करना रहा है। उसके खौफ से आम लोग न तो अदालत तक आ पाते थे, न गवाही देने की हिम्मत कर पाते थे.
60 से अधिक मामले
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि मुख्तार के खिलाफ अलग-अलग जनपदों में 60 से अधिक मामले हैं। हत्या और अपहरण जैसे गंभीर आरोप भी है। उसकी विस्तृत आपराधिक पृष्ठभूमि है। इसलिए उसे अधिकतम सजा देना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में सजा सुनाने का एक सामाजिक उद्देश्य होता है। दोष सिद्ध व्य1ित को न सिर्फ अहसास होना चाहिए कि उससे अपराध हुआ है, पीडि़त पक्ष को भी लगना चाहिए कि न्याय हुआ है। समाज में भी संदेश जाना चाहिए कि अपराध करने पर गंभीर सजा मिल सकती है.
अपराध के लिए प्रेरित
अदालत ने अभियोजन की दलील को माना कि अफजाल ने सदैव अपने भाई मुख्तार अंसारी को अपराध करने के लिए प्रेरित किया और स्वयं भी इसमें लिप्त रहा। अफजाल की उम्र 70 वर्ष बताई गई और बचाव पक्ष का दावा है कि दो बार सांसद और छह बार विधायक रहे अफजाल के खिलाफ यह राजनीतिक साजिश है। इससे पहले उसे किसी अपराध में दोषी नहीं पाया गया है। अदालत इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उसे चार वर्ष के साधारण कारावास की सजा देती है। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने मुख्तार के खिलाफ दस व अफजाल अंसारी के खिलाफ सात गवाह पेश किए। मुख्तार और अफजाल के बचाव में चार वकीलों की टीम थी.