वाराणसी (ब्यूरो)बीएचयू में पति-पत्नी को नौकरी दिलाने के नाम पर 8 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया हैनौकरी का ऑफर लेटर लेकर पति-पत्नी बीएचयू के सेंट्रल आफिस पहुंच गए थेलेटर को अधिकारियों द्वारा फर्जी करार देने पर दोनों के होश उड़ गएहालांकि यह मामला 3 साल पुराना है। 13 जनवरी, 2020 से पीडि़त अपनी शिकायत को लेकर पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगाता रहासुनवाई नहीं होने पर पीडि़त ने कोर्ट का दरवाजा खटखटायासुनवाई के बाद मंगलवार को कोर्ट के निर्देश पर लंका थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है.

जौनपुर के ही चंदवक थाना क्षेत्र के नयन गांव के रहने वाले संजय कुमार का आरोप है कि वर्ष 2016 में बीएचयू में उसे व उसकी पत्नी को नौकरी दिलाने का दावा नेवढिय़ा निवासी अशोक दुबे ने किया थासंजय काफी टाइम से बेरोजगार थाजौनपुर शहर में एक दिन अशोक से उसकी मुलाकात हुई तो उससे बीएचयू में अच्छी नौकरी लगाने का भरोसा दिलाया और कहा कि बीएचयू में मेरी ऊंची पहुंच हैचिंता न करो पैसे दे दोइसके एवज में प्रति कैंडिडेट चार-चार लाख रुपये की डिमांड की थी.

20 हजार रुपए पहले, फिर बाद में दिए 8 लाख

अशोक दुबे से हुई डील के बाद संजय के साथ ही उसकी पत्नी साधना कुमारी को भी नौकरी दिलाने की शर्त शामिल थीसंजय बोला कि डील के दौरान 20 हजार रुपए जमा करने को कहा गयामैंने कर दियाइसके बाद मुझसे कहा गया कि कॉल लेटर मिलते ही 8 लाख रुपए कैश देने पड़ेंगेकुछ दिन बाद मुझे बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर के बाहर बुलाया गयाजहां मैंने उसे 4 लाख रुपए दिएइसके बाद 13 जनवरी, 2020 को उसने मुझे फिर से बीएचयू कैंपस बुलायाबीएचयू में संजय कुमार और साधना कुमारी के नाम पर नौकरी का कॉल लेटर दे दिया गयाउसी के साथ उसने बाकी के 4 लाख रुपए भी हमसे ले लिए.

पैसा वापस करने के लिए स्टांप पेपर पर लिखा था

संजय कुमार ने बताया कि यह पैसा मैं उधार लेकर आया थाखैर, जब ये कॉल लेटर लेकर मैं बीएचयू के सेंट्रल ऑफिस में गया तो, पता चला कि कॉल लेटर फर्जी हैइसके बाद हम पति-पत्नी के होश उड़ गएपीडि़त संजय ने कहा कि सरकारी कागजों का दुरुपयोग करके फर्जी कॉल लेटर हमें थमाया गयाहमारा पैसा हड़पा गयामैंने जब उन लोगों से अपना पैसा वापस मांगा तो स्टांप पेपर पर लिखकर दिया गया कि पैसा वापस कर दूंगालेकिन, पैसे नहीं दिए गएफिर से पैसे मांगे तो हम पर जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग किया गयायही नहीं, जान से मारने की धमकी भी दीसंजय ने कहा कि मेरी तहरीर पर लंका थाने में मुकदमा नहीं दर्ज किया जा रहा था तो मैंने तात्कालिक पुलिस कमिश्नर और कोर्ट से गुहार लगाईअब जाकर कोर्ट के हस्तक्षेप पर मामले को दर्ज किया गया है.