वाराणसी (ब्यूरो)। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में लगभग आधा जेठ तो नरम-गरम निकल गया लेकिन उत्तराद्र्ध में शुरू हुई तपन ने अंतिम दिन पूर्णिमा को अपना चरम रूप दिखलाया। हालांकि अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस ही अधिक हुआ था और 42.4 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था 42.4 डिग्री सेल्सियस पहुंचा, इसके उलट न्यूनतम तापमान 0.6 डिग्री बढ़कर भी सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस कम 26 डिग्री सेल्सियस कम रहा.
आंधी ने दी राहत
इसके बावजूद वातावरण में नमी के सूखने और आसमान बिल्कुल साफ होने के कारण सुबह छह बजे से ही सूर्य की प्रखर किरणों ने धरती को जलाना आरंभ कर दिया था। प्रकाश का तेज इतना कि आंखें नहीं ठहर रही थीं। चमड़ी झुलसा देने वाली प्रचंड धूप से लोग त्राहि माम कर उठे लेकिन शाम को आई तेज धूल भरी आंधी ने कुछ राहत तो दी लेकिन इस हवा में गर्मी इतनी थी कि लू चलने का आभास हुआ। इसके बाद शाम को कुछ बादल भी आए, जो कुछ घंटों बाद वापस होना आरंभ हो गए। लोगों का कहना था कि जेठ-आषाढ़ की गर्मी तो अब पडऩा शुरू हुई है।
अभी बढ़ेगा तापमान
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो। मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आसमान के पूरी तरह साफ होने और नमी के धीरे-धीरे सूखकर 22 से 39 प्रतिशत रह जाने के कारण धूप की आंच बढ़ गई थी। इसकी वजह से पूरे दिन निम्न वायुदाब बना और शाम को पश्चिम की ओर तेज हवाओं के झोंके ने उसका स्थान लेना आरंभ किया, इसकी वजह से धूल भरी आंधी चलने लगी.
44 तक जाएगा तापमान
पछुआ हवा के प्रभाव से मध्यम ऊंचाई के बादलों के टुकड़े भी आए लेकिन वातावरण में नमी न होने से वे शुष्क ही रह गए और कुछ देर बाद छंटना भी शुरू हो गए। प्रो। श्रीवास्तव बताते हैं कि अभी आने वाले दो-चार दिनों में तापमान ऐसे ही बढ़ता जाएगा। यह अधिकतम 44 तक या उससे अधिक भी जा सकता है। इस मौसम में लोगों को बचकर रहने की आवश्यकता है।