- हनुमान घाट स्थित कांची कामकोटी मठ में हुआ शांति पाठ व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
VARANASI
कांची कामकोटी पीठ के 69वें शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती बुधवार को सुबह सात बजे कांची स्थित अपने आश्रम में ब्रह्मालीन हो गये। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हनुमान घाट स्थित कांची मठ में शांति पाठ व श्रद्धांजलि सभा का आयेाजन किया गया। श्री विद्यामठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की अध्यक्षता में हुए श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित संतों ने उनके संस्मरण सुना कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर केवी रमन, भाऊ तोणपे, नारायण घनपाठी, कांची मठ के मैनेजर वीएस चंद्रशेखर, विश्वेश्वर शास्त्री आदि लोग मौजूद थे। इन दिनों मठ में जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती का 125वां जयंती समारोह चल रहा है। इसका आयोजन एक दिन के स्थगन के बाद दो मार्च से पूर्व की तरह जारी रहेगा।
काशी से था गहरा लगाव
हनुमानघाट स्थित कांची कामकोटी मंदिर व मठ के मैनेजर वीएस चंद्रशेखर बताते हैं कि बनारस से उनका गहरा लगाव था। अपने पूरे जीवन काल में 15 बार से अधिक उनका बनारस आना हुआ। 1974 में रामेश्वर पादयात्रा की पूर्णता पर पहली बार काशी आये। यह यात्रा उन्होंने परमाचार्य जी के द्वारा 1934 में की गयी पूर्व की यात्रा के अनुरुप की थी। इस पादयात्रा की शुरुआत रामेश्वरम से होती है। स्वामी जी रामेश्वरम से बालू लेकर प्रयाग आये और वहां उसे विसर्जित करने के बाद काशी आये। यहां श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद पुन रामेश्वरम में जाकर उनकी यात्रा पूर्ण हुई। काशी में आने पर उनका गंगा स्नान, अन्नपूर्णा और काशी विश्वनाथ व काल भैरव का दर्शन उनकी दिनचर्या में शामिल था। यहां पर 2001 में उन्होंने 12 किलो शुद्ध सोने से काशी विश्वानाथ का अरघा परिवर्तन व स्वर्ण कलशाभिषेक कराया था।