वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस के बंदरों को पकडऩा काफी महंगा हो गया है। एक बंदर को पकडऩे के लिए वाराणसी नगर निगम को 745 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इसके लिए बाकायदा टेंडर भी हो चुका है, जबकि एक बंदर को पकडऩे का रेट मथुरा में 100 रुपए, फिरोजाबाद में 200 रुपए है। बनारस और अन्य शहरों के बंदरों को पकडऩे के रेट में इतना अंतर क्यों है। फिलहाल इसका यहां के अफसरों के पास कोई सार्थक जवाब नहीं है। अगले हफ्ते मथुरा से बंदरों को पकडऩे वाली टीम शहर में होगी।
कई मोहल्लों में बंदरों का उत्पात
पांच साल पहले काशी के मोहल्ले में बंदरों का उत्पात देखने को नहीं मिलता था। जबसे पेड़ों की कटान तेजी से होने लगी और वहां पर कॉलोनियां डेवलप होने लगीं। बंदरों ने भी कॉलोनी, मोहल्लों व गलियों में ही अपना डेरा जमा लिया है। किसी के छत पर कब्जा जमाए पड़े हैं तो किसी के बालकनी से ही नहीं जाते हैं। आलम यह है कि लोग अब बंदरों के उत्पात से बचने के लिए बालकनी से लेकर छतों पर जाली और बरामदा लगाने लगे हैं।
दुर्गाकुंड, शिवाला में बंदरों का झुंड
बंदरों का इतना अधिक उपद्रव बढ़ गया है कि दुर्गाकुंड, शिवाला, अस्सी, संकट मोचन, दारानगर, पिपलानी कटरा, विशेश्वरगंज, प्रहलादघाट, शिवपुर, अर्दलीबाजार, सिगरा, महमूरगंज, चन्द्रिकानगर, शिवपुरवा, गांधीनगर, सिद्धगिरीबाग समेत कई एरिया में बंदरों के उत्पात से लोग परेशान हैं।
3 शहर में बंदरों को पकडऩे के 3 रेट
वाराणसी में बंदरों के उपद्रव को देखते हुए नगर निगम ने 745 रुपए में टेंडर निकाल दिया है। टेंडर की भी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अगले हफ्ते से बंदर पकडऩे वाली टीम भी शहर होगी, लेकिन बंदरों के पकडऩे के रेट में बड़ा अंतर है। एक बंदर के पकडऩे का शुल्क मथुरा में 100 और फिरोजाबाद में 200 रुपए है। मंकी कैचर से एक बंदर पकडऩे का रेट मथुरा और फिरोजाबाद में कम है, उसी का रेट बनारस में आते-आते 745 रुपये हो गया है।
180 बंदर पकड़े गए
बंदर पकडऩे वाले मोहम्मद इमरान का कहना है कि पिछली बार काशी से 180 बंदर पकडृे गए थे। इन बंदरों को पकडऩे के बाद नौगढ़ के जंगलों में छोड़ा गया था। इस बार भी बंदरों को पकडऩे का काम जल्द शुरू होगा।
कई शहरों में पकड़ते हंै बंदर
बंदर पकडऩे वाले इमरान का कहना है कि उत्तराखंड, राजस्थान, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, बरेली, बागपत सहित कई जिलों में बंदर पकडऩे का काम करते हैं। यह काम पूरा परिवार 50 साल से करता चला आ रहा है। इमरान ने बताया कि बंदर पकडऩे के कार्य में 8 कर्मचारी, दो टेंपो और जाली, पिंजड़े का उपयोग होता है। बंदरों के खान-पान पर भी खर्च होता है। एक बंदर का खर्च 250 रुपए तक आता है।
शहर में बंदरों का उपद्रव बढ़ गया है। प्रतिदिन 8 से 10 कंप्लेन सिर्फ बंदरों की ही आती हैं। बंदरों को पकडऩे की टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
डॉ। संतोष कुमार पाल, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम
बंदरों को पकडऩे का रेट
वाराणसी- 745 रुपए
मथुरा- 100 रुपए
फिरोजाबाद - 200 रुपए
लखनऊ-500 रुपए