वाराणसी (ब्यूरो)शिया मुस्लिमों के लिए बुधवार का चांद गम और मातम का पैग़ाम लेकर आया हैमुस्लिम कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम बुधवार कि शाम चांद के दीदार के साथ शुरू हो गयाइसी के साथ इस्लामिक नये साल का आगाज़ भी हो गयाजुमेरात को मुहर्रम कि पहली तारीख होगीपहली मोहर्रम का जुलूस सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में निकाला जायेगा जिसमें अंजुमनों द्वारा नौहाख्वानी व मातम किया जाएगाइसके लिए तैयारियों जोरों-शोरों से चल रही है.

दस दिनी जलसा

शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैय्यद फरमान हैदर का कहना है कि पहले बुधवार की शाम चांद के दीदार के साथ ही सुन्नी मस्जिदों में जहां दस दिनी जलसा व तकरीर का आगाज़ हुआ, वहीं शिया मुस्लिमों के घर अजाखाने में बदले नजऱ आएशिया ख़्वातीन ने हाथों की चूडिय़ां तोड़ दी, सारे साजों-श्रृंगार मिटा दिएइस दौरान मर्द व ख़्वातीन ने काला लिवास धारण कर लिया

क्यों मनाते मोहर्रम

कुमार का इमामबाड़ा मुतव्वली आलिम हुसैन का कहना है कि सन् 61 हिजरी 10 मोहर्रम को इराक़ के कर्बला में नबी के नवासे इमाम हुसैन समेत 71 हुसैनियों की शहादत हुई थीउस अजीम शहादत कि याद में शहर बनारस के गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया शहर और आसपास का हर आंगन मातम में डूब गया.

पहला मोहर्रम

पहले मोहर्रम से शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रात: सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगादिन में तीन बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल ताबुत का जुलूस उठाया जायेगाअन्जुमन नौहा और मातम करेंगीमोमनीन शिरकत करेंगे.

दूसरा मोहर्रम

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगाबनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगीभारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा.

तीसरा मोहर्रम

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगाअंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगीवहीँ शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगातीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा .

चौथा मोहर्रम

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगाचार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगाचौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा.

पांचवां मोहर्रम

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगेइसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे.

छठवां मोहर्रम

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगाइस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं.यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता हैउसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता हैयह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है.

मेहंदी का जुलूस

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता हैइसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है.

आठवां मोहर्रम

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगेजुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगीजुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुन: वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे में पहुंचेगा.

9वां मोहर्रम

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर ताजिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती हैकई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता हैलोग नौहा मातम करते चलते हैं्र। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता हैजिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है.

दसवां मोहर्रम यौमे आशूरा

10वें मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता हैशहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती हैजिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवें मोहर्रम को स्वडानाजीम जाफरी के निवास से डामुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैंरास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है.

तीजे का जुलूस

शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता हैजो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाटा पर शाम को समाप्त होता है.

तेरहवां मोहर्रम

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता हैशहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं्र.