वाराणसी (ब्यूरो)। साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ को रोकना और साइबर अपराधियों को ट्रेस करना पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। देश के अन्य हिस्सों में बैठे साइबर अपराधी रोज नई-नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं और पुलिस भी एक्सपर्ट की मदद से नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर और जागरूकता कार्यक्रम के चलते साइबर अपराधियों के द्वारा बिछाये जा रहे जाल को तोडऩे का कार्य कर रही है। बावजूद इसके साइबर अपराध घटने के बजाय बढ़ ही रहा है। इस पर प्रभावी एक्शन के लिए अब वाराणसी कमिश्नरेट के हर दरोगा और इंस्पेक्टर को साइबर तकनीक में कुशल बनाया जाएगा। डीजीपी की ओर से जारी निर्देश के बाद पुलिस प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है.
ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा
डीजीपी ने सभी पुलिस आयुक्तों को पत्र जारी कर साइबर प्रशिक्षण शुरू कराने का निर्देश दिया है। इस बारे में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह प्रशिक्षण ऑनलाइन होगा, जो एक सप्ताह के भीतर शुरू कर दिया जाएगा। साइबर अपराधी वक्त और माहौल के हिसाब से ठगी के तरीके बदलते रहते हैं। हर बार नया ट्रेंड शुरू होने के चलते पुलिस भी जालसाजों को ट्रेस करने में नाकाम रहते हैं। पुलिस के मुताबिक अभी तक सिर्फ साइबर सेल से जुड़े पुलिसकर्मियों को साइबर का प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन, अब यूपी पुलिस के हर उप निरीक्षक और निरीक्षक को साइबर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। डीजीपी ने इस संबंध में पत्र जारी कर प्रशिक्षण संपन्न कराने के निर्देश दिए हैं.
पुलिस के सामने चुनौतियां अपार
साइबर अपराध पुलिस और अपराधियों के बीच कभी न खत्म होने वाला एक ऐसा खेल है, जिसमें दोनों ही एक दूसरे से आगे रहने की होड़ में होते हैं। साइबर अपराध ने पुलिस के सामने कई नई चुनौतियां पेश की हैं जिनमें अपराधियों का हजारों मील दूर होना, अपराध के 'फिजिकल फुटप्रिंटÓ की जगह 'डिजिटल फुटप्रिंटÓ से अपराधी को ढूंढना और अपराध की संख्या बहुत ज्यादा होना शामिल है। इसके अलावा साइबर अपराध का गढ़ माने जाने वाले जामताड़ा और मेवात की तर्ज पर अब हरियाणा, पंजाब, बंगलोर, राजस्थान, मध्य प्रदेश में कई इलाके अब ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं और इस कारण अपराधियों को पकडऩा एक अलग तरह की चुनौती है.
थानों पर भी हेल्प डेस्क
साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कमिश्नरेट पुलिस कई प्रभावी कदम उठा रही है। हालांकि ज्यादातर साइबर अपराध किसी की अपनी गलती की वजह से होते हैं। इसलिए साइबर अपराधों से बचने के लिए खुद भी सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन ने साइबर थाना, साइबर सेल और सभी थानों पर साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की है। ताकि पीडि़त को त्वरित न्याय मिले सके। साथ ही आधुनिक तकनीक के कुछ युवा जानकारों और विशेषज्ञों को भी अपने साथ जोड़ रखा है, जिससे समय-समय पर मदद ली जाती है.
साइबर अपराध रोकने के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग दिलाई जाती है। डीजीपी के निर्देश की कॉपी आते ही इस पर भी काम किया जाएगा.
मुथा अशोक जैन, पुलिस कमिश्नर