वाराणसी (ब्यूरो)। क्या आपमें भी खाली समय में नाक या कान में अंगुली करने की आदत है। बैठे-बैठे अपनी आंखें खुजाने या छूने लगते हैं या फिर जब देखो मुंह में हाथ डालकर नाखूनों को चबाने लगते हैं। अगर ऐसा है तो आप अपनी इन आदतों को फौरन छोड़ दें, क्योंकि ये बैड हैबिट के कैटेगरी में आता है। ऐसे में आपकी यह आदत आपको बीमार भी कर सकती है। मेडिकल की भाषा में कहें तो इन अंगों को लगातार छूने से इंफेक्शन का खतरा फैलता है। एक्सपर्ट की मानें तो बड़ों को तुलना में बच्चों में यह आदत सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। चलिए जानते हैं कि ऐसा करने से और क्या-क्या समस्याएं और बॉडी के किन अंगों को छूना खतरनाक हो सकता है.
नाक में अंगुली डालने से बचें
अक्सर देखा जाता है कि लोग कान, आंख की तरह नाक में भी अंगुली से साफ करते हैं। लेकिन, कभी यह नहीं सोचा जाता कि वे जिस गंदगी को साफ कर रहे हैं, दरअसल वह इंफेक्शन को दावत दे रहे हंै। हाथ के जम्र्स नाक में जाने से नेजल इंफेक्शन और लगातार करने से फंगल इंफेक्शन भी फैल सकता है। सबसे जल्दी बैक्टरिया नाक से सांस के जरिए जाते हैं.
आंखों से सबसे जल्दी इंफेक्शन
कुछ लोगों में आंखों को रगडऩे की आदत होती है। चाहे वह दर्द के कारण हो या कारण कुछ और हो तो इसे फौरन छोड़ दें। आखें भी सेंसिटिव होती हैं और सबसे जल्दी इंफेक्शन पकड़ती हैं। इन्हें छूने से भी इंफेक्शन हो सकता है। क्योंकि, हाथों और नाखूनों के कीटाणु आंखों में आसानी से चले जाते हैं। जिससे आपकी आंखों में जलन भी होने लगती है.
कान के पर्दे खींच सकते हैं
कानों में अंगुली डालकर साफ करना भी बैड हैबिट में आता है। कान में अंगुली या कोई भी चीज को डालने से बचना चाहिए। इससे कान के पर्दे पर असर पड़ता है। वह डैमेज हो सकता है.
बार-बार चेहरा छूना भी बैड हैबिट
कई गल्र्स को बार-बार चेहरा छूने की आदत होती हैं। अपनी त्वचा की कितनी भी केयर क्यों ना करें, लेकिन चेहरे पर बार-बार हाथ फेरना त्वचा को खराब करता है। इससे हाथों में जमा पसीना और गंदगी चेहरे पर लग जाते हैं, जिससे पोर्स बंद हो जाते हैं। इससे स्किन संबंधित बीमारी हो जाती है.
इंफेक्शन की वजह है नेल बाइटिंग
कुछ महिलाएं स्ट्रेस या नर्वस होने पर नेल बाइटिंग करने लग जाती है। वैसे भी गल्र्स एंड वूमेंस की नेल बड़ी होती है। इनकी उचित सफाई न रखने से उनमें जमे कीटाणु खाने के जरिए पेट में जाकर इंफेक्शन का कारण बन जाते हैं। डाक्टर्स की मानें तो नाखूनों की परत के नीचे नुकसानदायक स्टेफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया होते हंै, जो चबाने पर मुंह में चले जाते हैं।
25 प्रतिशत यंगस्टर्स शिकार
एक रिसर्च के अनुसार, लगभग 25 प्रतिशत यंगस्टर्स और 5 प्रतिशत बड़ी उम्र के लोगों में नेल बाइटिंग की हैबिट होती है। वहीं ग्लोबल जर्नल फॉर रिसर्च एनालिसिस के अनुसार, 4 से 6 साल तक के बच्चों में नेल बाइटिंग की हैबिट अधिक होती है, जो किशोरावस्था में और बढ़ सकती है। बच्चों के हैंड्स और नेल में कई बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चे को इन बैड हैबिट्स से बचाएं.
बच्चों को प्यार से समझाएं
छोटे बच्चे आंख और नाक में अंगुली लगाते रहते हैं, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। पढ़ाई के वक्त वह पेन और पेंसिल भी मुंह में लगाते रहते हैं। 2 साल तक के बच्चों को आप समझा नहीं सकते लेकिन उसके आस-पास की चीजों को सैनिटाइज कर सकते हैं ताकि किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचा जा सके। इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को किसी भी आदत को लेकर डांटें नहीं प्यार से समझाएं.
नेल बाइटिंग के नुकसान
-लगातार खींचने और काटने से आपके नेल में संक्रमण हो सकते हैं।
-नेल के आसपास और फिंगर्स के ऊपर दर्द हो सकता है.
-नेल बाइटिंग से दांतों की सेहत पर भी असर पड़ सकता है.
-नेल्स में मौजूद बैक्टीरिया व कीटाणु आपके चेहरे, मुंह और पेट तक जाते हैं.
-नेल्स को बढऩे में हेल्प करने वाले टिशूज डैमेज हो जाते हैं.
-हर वक्त नेल बाइट से गंदगी मुंह से पेट में चले जाते हैं.
कैसे रोकें इस आदत को
-इस हैबिट को रोकने के लिए उसे खुद कंट्रोल करना होगा.
-माउथ को बिजी करने के लिए मिंट की गोली खाएं या कोई इंस्टूमेंट बजाएं.
-कान खुजाने के लिए बड्र्स का इस्तेमाल करें.
कान में बार-बार अंगुली डालने से कान के पर्दे पर असर पड़ता है। अगर खुजली हो तो अंगुली की बजाए बर्ड्स का इस्तेमाल करें क्योंकि यह सॉफ्ट होता है। वहीं बच्चों का नेल हमेशा काट कर रखे। हाईजिन मेंटेन करें.
डॉ। अंशुमान सिंह, ईएनटी स्पेशलिस्ट
नेल को दांत से काटने की वजह से पारोनिचिया का संक्रमण पैदा हो सकता है। रही बात कान, नाक, आंख खुजाने की तो यह मानसिक बीमारी नहंी है। बैड हैबिट की कैटेगरी में आता है। इसमें व्यक्ति को बैड हैबिट रिवर्सल थेरैपी दी जाती है.
डॉ। आरपी कुशवाहा, मनोचिकित्सक
जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा नर्वस होता है तो इस तरह की हरकत करता है। इसे हैबिट फार्मेशन कह सकते हैं। 4 से 6 साल के बच्चों में यह प्रॉब्लम ज्यादा देखी जाती है। जब बच्चा किसी से कुछ कह नहीं पाता तो वह नेल बाइटिंग करता है। पैरेंट्स को बच्चे को समझने की जरूरत होती है.
डॉ। अपर्णा सिंह, साइकोलॉजिस्ट