वाराणसी (ब्यूरो)। किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त कहलाती हंै। जैसे एक सख्स अपने दोस्त का हर मुश्किल में साथ देता है वैसी ही किताबें भी हर परिस्थति में साथ रहती है। आप किसी भी दुविधा में हों, किताबें उसका समाधान निकाल ही देती है। यह भी माना जाता है कि किताबों को पढऩे और समझने से इंसान की सोच का भी विकास होता है। कुछ ऐसा ही स्मार्ट सिटी वाराणसी के दो गल्र्स कॉलेजेस में भी हो रहा। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में जहां हर कोई मोबाइल और गैजेट्स में अपनी दुनिया ढूढ़ रहा है। वहीं यहां की छात्राएं डिजिटल लाइब्रेरी को इग्नोर कर कॉलेज की लाइब्रेरी में अपनी सोच को विकसित रही है। हम बात कर रहे हैं बसंता कॉलेज फॉर विमेंस और बसंत कन्या महाविद्यालय के लाइब्रेरी की, जहां की छात्राओं का आज भी अपनी इस लाइब्रेरी से लगाव ज्यादा है। यही वजह है कि ये दोनों लाइब्रेरी हमेशा छात्राओं से गुलजार रहती है।
बीकेएम में 30 हजार किताबें
बसंत कन्या महाविद्यालय की प्रो। कल्पना के अनुसार लाइब्रेरी से छात्राओं का लगाव कम न होने पाए इसके लिए यहां करीब 30500 से ज्यादा बुक्स का कलेक्शन किया गया है। छात्राओं के इंट्रेस्ट के अनुसार नई-नई किताबें भी आती रहती है। बुक्स रीडिंग के लिए अलग से रूम भी बनाया गया है, जहां छात्राएं शांतिपूर्ण माहौल में रीडिंग कर सकें। खास बात ये है कि इस लाइब्रेरी में टाइटल से बुक्स को आसानी से ढूढ़ा जा सकता है, जबकि डिजिटल प्लेटफार्म पर किसी किताब को पढऩे के लिए छात्राओं का काफी रिसर्च करना पड़ता है। इसके अलावा छात्राओं को बुक्स घर ले जाने की भी फैसिलिटी है, जोकि 15 दिन में रिटर्न करनी होती है। वर्तमान में यहां रिसर्च स्टूडेंट्स, फैकल्टी, जर्नल, प्रिऑडिकल्स के साथ सब्जेक्ट और रिसर्च ओरिएंटेड बुक्स उपलब्ध है, जिसे डेली 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ती हैं।
बसंता कॉलेज में और भी आगे
बसंता कॉलेज ऑॅफ विमेंस की लाइब्रेरी भी बीकेएम से कम नहीं है। यहां की प्रो। अंजना सिंह बताती हैं कि हमारी काफी रिच लाइब्रेरी है। यूजी, पीजी और रिसर्च करने वाली छात्राओं के लिए इस लाइब्रेरी में करीब 50 हजार बुक्स उपलब्ध हंै। 240 से ज्यादा छात्राएं डेली बुक्स रीडिंग के लिए उपस्थित रहती हैैं। छात्राओं की बुक्स के प्रति इतनी ज्यादा इंट्रेस्ट बढ़ी है कि वे हर माह करीब 8500 से ज्यादा बुक्स इश्यू कराकर घर ले जाती हैं। उनका कहना है कि पीसफुल इंवायरमेंट देने के लिए हाईटेक रीडिंग रूम बनाने के साथ एक लाइब्रेरी कमेटी गई है। ताकि स्टूडेंट्स के बुक्स रिलेटेड किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के साथ बुक्स की डिमांड और कलेक्शन को मेंटेन करने और बढ़ाने का काम करते हैं। कॉलेज का प्रयास है कि आने वाले समय में छात्राओं को वे सभी बुक्स मिल जाएं जो रेयर होते हंै।
यहां दुनियाभर की किताबें
ऑनलाइन एजुकेशन प्राप्त करने वाली छात्राओं के लिए अब दोनों कॉलेज एन लिस्ट यानी नेशनल लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन सर्विसेज इंफ्राटक्चर फॉर स्कॉलरी कंटेट से जुड़ गया है। ई-बुक्स के माध्यम से छात्राएं दुनिया की बेहतरीन बुक्स को भी पढ़ सकती हैं। बीकेएम में इस पोर्टल पर करीब 1000 लोगों को जोड़ा गया है। इसमें 650 से ज्यादा छात्राएं बाकी फैकल्टी मेंबर्स व प्रोफेसर्स हंै। वहीं बसंता कॉलेज में एन लिस्ट में 3500 लोगों को जोड़ा गया है, जिसमें 3 हजार छात्राएं शामिल है.
क्या है एन लिस्ट
एन-लिस्ट राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी से जुड़ा है। इसके माध्यम से स्टूडेंट्स नेशनल-इंटरनेशनल लेवल के एजुकेशन मैटेरियल को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह एक डिजिटल लाइब्रेरी है, जिसमें बुक्स के अलावा ई-जनरल व कई मैटिरियल उपलब्ध हैं.
क्या है प्रॉसेस
इसमें प्रत्येक रजिस्टर्ड छात्र को ई-मेल पर एक आई-पासवर्ड भेजा जाता है, जिसका उपयोग कर स्टूडेंट्स इसका लाभ उठा सकते हैं।
जब किताबों से दोस्ती हो तो उससे कोई कैसे पीछा छुड़ा सकता है। हमारी छात्राओं का डिजिटल से ज्यादा बुक्स रीडिंग इंट्रेस्ट है, क्योंकि इन्हें जो माहौल यहां मिलता है वो वहां पर नहीं.
डॉ। अंजना सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, बसंता कॉलेज फॉर विमेंस
हमारी लाइब्रेरी काफी रिच लाइब्रेरी है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब हमारी स्टूडेंट्स यहां आए बुक रीडिंग के लिए आए तो उन्हें पीसफुल माहौल मिले्। यहां बुक्स का ब्रॉड कलेक्शन है.
प्रो। अलका सिंह, प्रिंसिपल
आज भी लाइब्रेरी का महत्व कम नहीं हुआ है। यहां की छात्राओं में किताबें पढऩे की होड़ मची रहती है। एक ने छोड़ा नहीं कि दूसरे न पकड़ लिया। इन्हें मोबाइल से ज्यादा बुक्स से प्यार है।
डॉ। कल्पना आनंद, एसोसिएट प्रोफेसर, बीकेएम
हमारी छात्राओं की दुनिया ही किताबें हैं। यहां की छात्राएं क्लास पूरी करने के बाद या खाली समय अपना टाइम वेस्ट करने के बजाए लाइब्रेरी में बुक्स पढऩे में बिताती हैं, जो कॉलेज के लिए भी अच्छी बात है।
प्रो। रचना श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, बीकेएम
क्या कहती हैं छात्राएं
ई-बुक्स पढऩे में टाइम वेस्ट होता है। रेयर बुक के लिए काफी रिसर्च करना पड़ता है, लेकिन कॉलेज की लाइब्रेरी में वो आसानी से मिल जाता है।
सांभवी, एमए फस्र्ट ईयर, बीकेएम
किताबों को पढऩे और समझने से हमारी सोच भी बदलती है। हर किताब पोर्टल पर नहीं मिलती। ऐसे में लाइब्रेरी ही हमारे लिए बेस्ट है.
सौम्या सिंह, एमए-फस्र्ट ईयर, बीकेएम
हम मोबाइल और गैजेट्स में उलझेंगे तो पढ़ाई डिस्टर्ब हो जाएगी। इसलिए जब कॉलेज में हमारे मतलब की बुक्स उपलब्ध है तो समय क्यों बर्बाद करना.
सना खान, स्टूडेंट, बसंता कॉलेज फॉर विमेंस
ऑनलाइन बुक्स रीडिंग में काफी समय वेस्ट होता है। इससे आंखें भी खराब होने के चांसेस होते हैं। इसलिए मेरा इंट्रेस्ट बुक्स और लाइब्रेरी में ज्यादा है।
मेटरिक्ष सिंह, स्टूडेंट, बसंता कॉलेज फॉर विमेंस