वाराणसी (ब्यूरो)। 27 मार्च 2024 को फुलवरिया गेट-4 से लापता अधिवक्ता सुरेंद्र पटेल को कमिश्नरेट पुलिस ने प्रयागराज से बरामद कर लिया, लेकिन कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर पूरे शहर की दीवारों पर कई लापता सुरेंद्र चस्पा है। इनका करेंट स्टेटस क्या है। यह जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पोस्टर में दिए गए नंबरों पर कॉल किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। बनारस में लापता लोगों के बारे में परिजनों की ओर से स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई है, लेकिन उन्हें ढूंढने या खोजने की जहमत पुलिस ने नहीं उठाई। परिजन खुद बनारस की गलियों का खाक छानते रहे और कुछ ने ढूंढ भी निकाला। इन परिवारों ने कैसे ढूंढ निकाला, यह आप भी जानिए.
सीन-1: मंदिर के बाहर बैठा मिला रामबाबू
आंध्र प्रदेश के रहने वाले राम बाबू 14 फरवरी 2024 को काशी के लिए निकले थे। वाराणसी पहुंचने पर कैंट रेलवे स्टेशन से अचानक वह लापता हो गये। इस संबंध में परिजनों ने स्थानीय थाने में कंप्लेन की थी। करीब एक सप्ताह तक वह पुलिस के भरोसे बैठे थे। फोन या संपर्क करने पर एक ही जवाब मिलता था कि प्रयास चल रही है। रामबाबू के भाई श्याम बाबू ने बताया कि पुलिस की कार्यप्रणाली से संतुष्टि नहीं मिलने पर परिवार के सदस्य वाराणसी आ गये। पुलिस की मदद से संभावित जगहों पर सीसीटीवी खंगाला, लेकिन सफलता नहीं मिली। खोजते-खोजते परिवार के लोग चुनार पहुंचे तो एक मंदिर के बाहर रामबाबू बैठे हुए मिला। काफी जद्दोजहद के बाद परिजन रामबाबू को लेकर आंध्र प्रदेश चले गए।
सीन-2: दुकान में काम करते मिला त्रिभुवन
फैजाबाद के रहने वाले त्रिभुवन वाराणसी पहुंचे थे। 18 मार्च 2024 को वह लापता हो गए। इस संंबंध में परिजनों ने स्थानीय थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। बावजूद इसके वह पुलिस के भरोसे नहीं बैठे थे। परिजनों ने त्रिभुवन को ढूंढने के लिए दिन-रात एक कर दिया। इस दौरान परिजन छावनी इलाके में पहुंचे तो सदर के पास त्रिभुवन एक दुकान में काम करते हुए दिखा। परिजनों ने तुरंत दुकान मालिक से संपर्क किया और त्रिभुवन के बारे में जानकारी की। बताया कि त्रिभुवन से कई बार परिवार के बारे में पूछा गया तो वह कुछ भी नहीं बोला। काफी जद्दोजहद के बाद परिजन को त्रिभुवन को लेकर फैजाबाद चले गए.
पुलिस इन्हें ढूंढने में नाकाम
यही नहीं लापता लोगों की लंबी फेहरिस्त में कुछ ऐेसे लोग भी हैं, जो लंबे समय से लापता है, लेकिन पुलिस उन्हें ढूंढने में अभी तक नाकाम रही। इन परिवारों की आपबीती भी सुनिए
केस-3
मिर्जापुर के हरदी मिश्र के रहने वाले मनोज गौतम 17 अप्रैल 2023 को वाराणसी कैंट स्टेशन से लापता हो गए। इस संबंध में भाई ने संबंधित थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई, लेकिन अभी तक इनका पता नहीं चल पाया है। भाई राजेश गौतम बताते हैं कि लगभग एक साल हो गया, लेकिन अभी तक भाई की कोई जानकारी नहीं मिली। वाराणसी से लेकर मुंबई तक परिजनों ने तलाश की, फिर भी कोई समाचार नहीं मिला।
केस-4
आदमपुर के रहने वाले साहिल कुमार 17 फरवरी 2024 को लापता हो गए, लेकिन अभी तक कुछ भी पता नहीं चला। पिता महेंद्र सिंह बताते हैं कि लगभग दो महीने बीत गए, लेकिन साहिल का कुछ भी पता नहीं चला। नाते-रिश्तेदारों से लेकर संभावित सभी जगहों पर साहिल के बारे में जानकारी की गई, लेकिन कुछ भी पता नहीं चला। लगातार पुलिस के संपर्क में भी हैं।
हर दिन होते दो लापता
यह सिर्फ दो केस नहीं हैं, बल्कि वाराणसी में अक्सर युवक, युवती, बालक या अन्य किसी व्यक्ति या महिला के लापता और गायब होने का मामला सामने आता है। वाराणसी में औसतन हर दिन दो लोगों के लापता होने का मामला सामने आता है। पड़ताल की गई तो अधिकतर परिजनों ने लापता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला दिया। यही वजह है कि अगर कोई युवक या व्यक्ति नोएडा में लापता होता है तो उसके लापता होने का पोस्टर वाराणसी समेत लगभग हर शहर में लगाया जाता है।
2023 में 187 केस
वाराणसी में 2023 में अपहरण के 187 मामले दर्ज हुए। यानी जिले में कोई भी लापता नहीं हुआ। इसका मतलब यह नहीं कि लापता की संख्या शून्य हो गई हो, बल्कि अब लापता हुए व्यक्तियों के मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (अपहरण) के तहत एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दी है। पहले पुलिस लापता होने पर 346 के तहत गुमशुदगी दर्ज करती थी। इसके अलावा अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 379ए और बी के तहत भी मामला दर्ज शुरू कर दिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुमशुदगी के मामलों को अब अपहरण की धारा में दर्ज किया जा रहा है.
शहर में लापता लोगों के बारे में स्थानीय थानों से जानकारी मांगी जाएगी। परिजनों की हरसंभव मदद के लिए कमिश्नरेट पुलिस प्रतिबद्ध है। पुलिस की सतर्कता का परिणाम है कि अधिवक्ता सुरेंद्र पटेल को प्रयागराज से बरामद कर लिया गया है.
मोहित अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर
कहां से कितने लापता
जिला ------- लापता
कानपुर कमिश्नरेट - 770
वाराणसी कमिश्नरेट - 463
प्रयागराज - 405
लखनऊ कमिश्नरेट - 337
गोरखपुर - 272
मेरठ - 234
बरेली - 168
आगरा - 0
(नोट: आंकड़े एनसीआरबी के अनुसार 2022 के हैं.)
इम्पॉर्टेंट फैक्ट
1. लापता होने के कई कारण हैं। इसमें मानसिक बीमारी, गलत संचार, दुस्साहस, घरेलू हिंसा और अपराध का शिकार होना शामिल हो सकता है।
2. 2022 में पुलिस को सौंपी गई 55,000 लापता व्यक्तियों की देशव्यापी रिपोर्ट में से 54 परसेंट 13 से 17 वर्ष की आयु के लोगों से संबंधित हैं.