वाराणसी (ब्यूरो)वीआईपी शहर वाराणसी में कमिश्नरेट लागू होने के बाद ट्रैफिक जाम से निजात मिलने की उम्मीद थीसमय-समय पर स्मार्ट प्लान के साथ कई बदलाव और तरह-तरह के रूल्स भी लागू किए गएजब-जब इन प्लानिंग्स की खबरें आती हैं तो सिटी के लोग खुश हो जाते हैं, लेकिन हकीकत आज भी वही है जो चार या पांच साल पहले थीइसका असर कुछ रूट पर दिखाई पड़ा, लेकिन अधिकतर मार्गों पर आज भी दिनभर जाम की स्थिति रहती हैदैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने कई मार्गों पर रियलिटी चेक कीइसमें नदेसर से अंधरापुल मार्ग पर नया प्रयोग कारगर साबित हुआमैदागिन से गोदौलिया पर भी बदलाव का असर दिखा, लेकिन अधिकतर मार्गों पर ई-रिक्शा की भरमार से ट्रैफिक डायवर्जन और नये सिस्टम कारगर साबित नहीं हुएबावजूद पुलिस अफसरों की फौज समस्या के समाधान में जुटी है.

ये प्लान आया काम

वाराणसी में कचहरी की ओर से आने वाले चारपहिया वाहन अब नदेसर मजिस्द से सीधे अंधरापुल आते हैंयह प्लान 2023 जनवरी में लागू किया गया, जो सफल हुआपहले घौसाबाद से डायवर्ट कर दिया जाता था, जिससे चौकाघाट भीषण जाम लगता थाअब घौसाबाद से चौकाघाट मार्ग पर रोज के जाम से निजात मिल गईवहीं चौकाघाट चौराहे पर भी वाहनों का दबाव कम होगाइसी तरह मैदागिन से गोदौलिया मार्ग को वन-वे किया गया, जिससे अब जाम नहीं लगता हैयहां टू-व्हीलर ही मान्य हैपहले भोजूबीर पर जाम लगता था, लेकिन जब से कचहरी से जाने वाले वाहनों को तहसील से टर्न किया गया, तभी से यहां भी जाम अब नहीं लगता है.

ये प्लान नहीं आया काम

जाम से निजात के लिए ई-रिक्शा के लिए वरुणा कॉरिडोर को वैकल्पिक मार्ग बनाने की सहमति बनी, लेकिन कभी साकार नहीं हुआ-रिक्शा और ऑटो के लिए कई बार जोन वार चलाने की रणनीति बनीआदेश हुआ, लेकिन यह भी बेकार हो गयाकैंट स्टेशन के सामने कई बार ऑटो को हटाने की सहमति बनी, लेकिन वह भी सफल नहीं हुआचांदपुर चौराहे पर अवैध बस स्टैंड हटाने की योजना बनी, लेकिन वह जस की तस हैमंडुवाडीह, ककरमत्ता, बीएलडब्ल्यू समेत कई इलाकों के लिए रूट डायवर्जन की तैयारी हुई, लेकिन कभी लागू नहीं हो पाई.

भीषण जाम वाले इलाके

मंडुवाडीह चौराहा से मुड़ैला व चांदपुर मार्ग, मंडुवाडीह चौराहा से महमूरगंज-सिगरा मार्ग, बनारस रेलवे स्टेशन के द्वितीय प्रवेश द्वार के सामने, बीएलडब्लू गेट-ककरमत्ता पुल, बीएचयू गेट-नरिया मार्ग व ट्रॉमा सेंटर मार्ग, अस्सी, गोदौलिया गिरजाघर-बेनिया मार्ग, कमच्छा-रथयात्रा मार्ग, सिगरा, लहुराबीर से मैदागिन मार्ग, कैंट रेलवे स्टेशन के सामने, कचहरी, पांडेयपुर, अर्दली बाजार, चौकाघाट, कज्जाकपुरा, राजघाट स्थित मालवीय पुल.

900 ट्रैफिक पुलिस नाकाफी

इसके चलते इन चौराहों से संबंधित मार्गों पर भीषण जाम लगता हैऐसी ही स्थिति का सामना दोपहर एक बजे से दो बजे के बीच और फिर शाम के समय पांच बजे से सात बजे तक रहती हैइस तरह से इन चारों चौराहों पर रोजाना चौबीस घंटे में चार घंटे से ज्यादा समय तक राहगीरों को भीषण जाम की समस्या से जूझना पड़ता है.

अधिकारियों की फौज से नहीं सुधरा सिस्टम

पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से पहले शहर में यातायात व्यवस्था के लिए ट्रैफिक पुलिस में एक एडिशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी, एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर, 10 से 12 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर, 30 से 35 हेड कांस्टेबल, 110 से 120 कांस्टेबल और 200 से 250 होमगार्ड तैनात हुआ करते थेपुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद ट्रैफिक पुलिस के मुखिया एक आईपीएस अफसर हैंउनकी देखरेख में एक एडिशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी, आठ ट्रैफिक इंस्पेक्टर, 59 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर, 241 हेड कांस्टेबल, 177 सिपाही, 572 होमगार्ड और पीआरडी के 50 जवान ट्रैफिक पुलिस में मौजूदा समय में तैनात हैं.

समन्वय का अभाव

सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस और थानों की पुलिस के बीच कभी समन्वय नहीं नजर आता हैजाम से जूझते चौराहों के इर्द-गिर्द बेतरतीब तरीके से ठेला और ऑटो व ई-रिक्शा लेकर खड़े रहने वालों को संबंधित थानों की पुलिस प्रभावी तरीके से हटाने का प्रयास नहीं करती हैट्रैफिक पुलिस सिर्फ यातायात के संबंध में ही अपनी ड्यूटी समझती हैइसके अलावा भी जिन स्थानों से अतिक्रमण हटाया जाता है वहां थानों की पुलिस दोबारा झांकने तक नहीं जाती हैनतीजतन, समस्या जस की तस बरकरार रहती है.

-रिक्शा की संख्या बेतहाशा बढ़ रही

सिस्टम को लाचार करने में एक अहम कारण ऑटो और ई-रिक्शा की बेतहाशा बढ़ती हुई संख्या हैशहर में ई-रिक्शा की संख्या निश्चित करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर कोशिश तो हुई, लेकिन ठोस नतीजा सामने नहीं आयाइसके चलते अब सड़कों के अलावा गलियों में भी ई-रिक्शा जाम का कारण बन रहे हैं.

वाहन पार्किंग नहीं

शहर के प्रमुख बाजारों में ज्यादातर बड़े व्यावसायिक भवनों में वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं हैबड़े व्यावसायिक भवनों के सामने ही सड़क पर वाहन खड़े होते हैं और वह जाम का कारण बनते हैं.

निरीक्षण और प्लानिंग पर ज्यादा फोकस

पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और जिलाधिकारी एसराजलिंगम ने कार्यभार संभालते ही यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए शहर के अलग-अलग इलाकों का निरीक्षण किया थातय हुआ था कि ऐसी ठोस कार्ययोजना बनाई जाएगी कि उसके सहारे शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाया जाएगानिरीक्षण और बैठकों का दौर चला, कार्ययोजनाएं भी बनीं, लेकिन हकीकत के धरातल पर उन्हें लागू नहीं किया जा सका.

शहर में आते हैं रोजाना दो लाख लोग

अफसरों के एक अनुमान के अनुसार दर्शन-पूजन, पर्यटन, शिक्षा, उपचार, व्यापार, कामकाज, यात्रा सहित अन्य कार्यों के लिए शहर में रोजाना लगभग डेढ़ से दो लाख लोग बाहर से आते-जाते हैंघनी बसावट वाले शहर के लोगों के लिए रोजाना डेढ़ से दो लाख अतिरिक्त लोगों की आवाजाही आर्थिक रूप से तो अच्छी है, लेकिन यातायात व्यवस्था के लिहाज से यह एक बड़ी चुनौती भी है.

रंगों के अनुसार ई-रिक्शा का संचालन

शहर के यातायात सिस्टम को ध्वस्त करने को आतुर ई-रिक्शा के संचालन को लेकर नया प्लान तैयार किया गया हैइससे लागू करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ परिवहन विभाग तैयारी में लगा हैजल्द ही कैंप लगाकर ई-रिक्शा चालकों को कलर स्टीकर दिया जाएगानये प्लान के तहत शहर को चार जोन में बांटा गया हैइसी के अनुसार ई-रिक्शा का कलर तय किया गया हैरेड जोन में जैतपुरा, आदमपुर व कोतवाली क्षेत्र को रखा गया हैइसी प्रकार आरेंज जोन में थाना लक्सा, चेतगंज, सिगरा, दशाश्वमेध और चौक क्षेत्र, येलो जोन में थाना भेलूपुर व ङ्क्षपक जोन में चितईपुर, लंका क्षेत्र में रहने वाले वाहन स्वामियों के ही टोटो चल सकेंगेजोन के हिसाब से ई-रिक्शा में कलर स्टीकर लगाए जाएंगेअपने जोन से बाहर जाने पर ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई होगी-रिक्शा पर क्यूआर कोड युक्त कलर स्टीकर लगाए जाएंगे-रिक्शा संचालकों को क्यूआर कोड युक्त कलर स्टीकर देने के लिए विशेष कैंप लगाया जाएगा-रिक्शा का फिटनेस व चालक का ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस देखकर उन्हें स्टीकर प्रदान किया जाएगावहीं जिन ई-रिक्शा का फिटनेस नहीं है उनको सीज किया जा रहा हैबीते एक महीने में दो हजार से अधिक ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

सड़कों पर ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या से यातायात व्यवस्था बिगड़ रही हैइस समस्या को दूर करने के लिए बहुत जल्द ही नई व्यवस्था लागू की जा रही हैजल्द ही कैंप लगाकर ई-रिक्शा चालकों को कलर स्टीकर दिया जाएगानये प्लान के तहत शहर को चार जोन में बांटा गया हैइसी के अनुसार ई-रिक्शा का कलर तय किया गया हैइसके अलावा ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए एपीआई टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी.

विक्रांत वीर, डीसीपी ट्रैफिक