वाराणसी (ब्यूरो)। समर सीजन चल रहा है तो आपने आम तो खा ही लिया होगा। आम की मिठास के भी क्या कहने। पर क्या आप जानते हैं कि मार्केट में मिलने वाले पीले-पीले पके दिखने वाले रसीले आम आपकी हेल्थ के लिए हार्मफुल हो सकते हैं। जी हां, मार्केट में आम को केमिकल से पकाकर बेचा रहा है। मार्केट में मिलने वाले आम, केला, लीची और पपीता को केमिकल से पकाकर खपाया जा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने कजाकपुरा फल मंडी, चंदुआ सट्टी, सुंदरपुर, राजतालाब, पंचकोशी, पहडिय़ा के कारोबारियों के यहां पहुंचकर असलियत जानी तो पता चला कि फल को पकाने से पहले किस तरह से केमिकल मिलाते हैं। कितने दिनों बाद फल पक जाते हैं। किस तरह 10 रुपए की पुडिय़ा से आम 3 दिन में आम पक जाता है। फल कारोबारियों ने सीधी बात कर सबकुछ बयां कर दिया।
केमिकल से पकाते हैं फल
रिपोर्टर: फल कहां-कहां से आ रहे हैं?
कारोबारी: बंगाल, उड़ीसा और मानिकपुर से।
रिपोर्टर: कौन-कौन से आम आ रहे हैं?
कारोबारी: लंगड़ा, दशहरी और आम्रपाली.
रिपोर्टर: लखनऊ का आम कब आएगा?
कारोबारी: लखनऊ से दशहरी आम आने में अभी समय है.
रिपोर्टर: कच्चे आम को पकाकर बेचते हैं.
कारोबारी: नहीं.
रिपोर्टर: फिर कैसे बेचते हैं?
कारोबारी: छोटे दुकानदार खरीदकर ले जाते हैं। बल्क में आम खरीदने के बाद गोदाम में डंप कर लेते हैं। आम को पकाने की कई विधियां हैं.
रिपोर्टर: किस-किस विधि से आम पकाते हैं?
कारोबारी: एक तो कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जाता है। बड़े-बड़े कार्टन में नीचे पेपर बिछाने के बाद चीन के कैल्शियम कार्बाइड को भींगाकर सबसे नीचे रख देते हंै। इसके ऊपर आम को रखते हैं। जब कार्टन भर जाता है तो ऊपर से अखबार भरकर टाइट कर देते हैं। इसके बाद बांध देते हैं.
रिपोर्टर: कितने दिन में पक जाता है?
कारोबारी: तीन दिन में.
रिपोर्टर: आम पकाने की दूसरी विधि क्या है?
कारोबारी: केमिकल वाला स्प्रे मारकर कार्टन में भर देते हैं.
रिपोर्टर: कितने दिन बाद कार्टन खोलते हैं.
कारोबारी: तीन दिन बाद कार्टन खोलते ही स्प्रे की महक उड़ जाती है। इसके बाद आम की ऊपरी सतह पर पीला कलर लाने के लिए एक दिन के लिए आम को छोड़ देते हैं।
रिपोर्टर: केला को भी इसी तरह पकाते हैं.
कारोबारी: केला को केमिकल स्प्रे और चीन के केमिकल से पकाते हैं। पकने में दो से दिन का समय लगता है।
दो तरह का केमिकल
केमिकल से पकने के बाद दो से तीन गुना दामों में बिकने वाले फल हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकते हैं। फलों को पकाने में जो केमिकल का इस्तेमाल होता है, वह दो प्रकार का होता है। पहला कैल्शियम कार्बाइड फिटकरी की तरह होता है। एक ढोके को फल की टोकरी के नीचे रख देते हैं। तीन दिन बाद जब फल पक जाता है तो केमिकल का ढोका चूर हो जाता है। दूसरा केमिकल चाइना का कैल्शियम कार्बाइड होता है। यह पाउच में आता है और एक पाउच महज 10 रुपए में उपलब्ध है।
एसिटिलीन गैस से भी पकाते हैं फल
आम को आर्टिफिशियली पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जो एसिटिलीन गैस से निकलता है और यह गैस आम पकाती है। आम के अलावा यह केमिकल केला, पपीता आदि को पकाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। केमिकल वाले अच्छी तरह से नहीं पकते।
केमिकल से होता इफेक्ट
डॉ। एसएस पाण्डेय ने कहा, कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए फलों के लगातार सेवन करने से किडनी और लीवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। पेट में अल्सर की समस्या पैदा हो सकती है। साथ ही कैंसर की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है.
इम्पॉर्टेंट बातें
- कैल्शियम कार्बाइड युक्त फलों में दाग-धब्बे बहुत ज़्यादा नजऱ आते हैं।
-अन्य प्राकृतिक फलों की तुलना में ज़्यादा चमक होती है।
- कैल्शियम कार्बाइड से पके फल 2 से 3 दिन में ही काले पड़ जाते हैं और जल्दी ही सडऩे लगते हैं.
- केमिकल से पके फल ज्यादा मीठे नहीं होते।
मार्केट में अब एथेलिन से कारोबारी फलों को पका रहा है। अगर कहीं कैल्शियम कार्बाइड दिखे तो इसकी सूचना विभाग को दें, संबंधित कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
संजय प्रताप सिंह, फूड अभिहीत अधिकारी
केमिकल युक्त फल खाने से किडनी पर असर पड़ता है। साथ ही लीवर पर भी असर करता है। चमकदार फल दिखे तो समझ जाइए कि केमिकल वाला फल है.
डॉ। एसएस पाण्डेय, चिकित्सक