वाराणसी (ब्यूरो)सिटी में डेंगू-मलेरिया लगातार लोगों को परेशान कर रहा हैजिले में अब तक डेंगू के 150 से ज्यादा कंफर्म और 300 से ज्यादा संदिग्ध मामले आ चुके हैैं, वहीं मलेरिया के 25 से ज्यादा केस सामने आए हैंयही नहीं रहस्यमयी बुखार के मरीजों की संख्या भी हजारों में पहुंच चुकी हैशहर का ऐसा कोई घर नहीं है, जहां मच्छर जनित बीमारी और इस रहस्यमयी बुखार के मरीज न होंअस्पतालों में भी मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि ओपीडी से लेकर वार्ड और इमरजेंसी तक फुल हैहालत ये है कि मरीजों को एडमिट करने के लिए अस्पतालों में एक्स्ट्रा बेड बढ़ाने पड़ गए हैंइन सबके बीच इस बीमारी को रोकने में स्वास्थ्य विभाग भी नाकाम साबित हो रहा हैशहर में न तो मच्छर कम हो रहे हैं और न बीमारऐसे में अब लोग जब तक खुद अवेयर नहीं होंगे, तब तक डेंगू-मलेरिया के कहर से बच नहीं पाएंगे

कैसे और कब होता है डेंगू

डॉक्टर्स का कहना है कि डेंगू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं हैअगर सही समय पर बीमारी की पहचान और सही इलाज मिले तो मरीज को कुछ भी नहीं होगाडेंगू-मलेरिया से डरने के बजाय इसे लेकर जागरूक होने की जरूरत हैवहीं जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद्र पांडेय ने बताया कि डेंगू मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता हैये मच्छर ज्यादातर दिन के समय, खासकर सुबह डंक मारते हैंडेंगू जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता हैइस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैंएडीज एजिप्टी मच्छर 3 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता हैइसलिए अपने आसपास पानी जमा नहीं होने देंगे तो इससे बचाव आसान हो जाएगा

ऐसे एक-दूसरे में फैलता है डेंगू

मादा एडीज मच्छर के काटने के करीब 3 से 5 दिन के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैंशरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती हैडॉक्टरों का कहना है कि डेंगू बुखार से पीडि़त के खून में डेंगू वायरस बहुत अधिक मात्रा में होता हैजब कोई एडीज मच्छर काटता है तो वह उसका खून चूसता हैखून के साथ डेंगू का वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता हैजब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी अन्य को काटता है तो उससे वह वायरस उसमें भी पहुंच जाता है, जिससे दूसरा व्यक्ति भी डेंगू की चपेट में आ जाता है.

इस बुखार के कई रूप

डेंगू फीवर तीन तरह का होता हैक्लासिकल (साधारण) डेंगू फीवर, डेंगू हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)। इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू ज्यादा खतरनाक होता हैसाधारण डेंगू बुखार 5 से 7 दिन में ही ठीक हो जाता हैडीएचएफ या डीएसएस के केस में फौरन इलाज शुरू नहीं किया गया तो जान पर आ सकती है.

लक्षण और टेस्ट

नोडल ऑफिसर डॉएसएस कन्नौजिया ने बताया कि अगर तेज बुखार, जोड़ों में दर्द या शरीर पर रैशेज दिखाई दे तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिएडेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता हैइस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, धीरे-धीरे यह डाउन होते जाता हैअगर 3-4 दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) होता हैडेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिएइस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है.

प्लेटलेट्स पर रखी जाती है नजर

आमतौर पर स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैंप्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकती हैअगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाए तो उसकी वजह डेंगू भी हो सकता हैहालांकि, यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएप्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम है तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिएअगर प्लेटलेट्स गिरकर 10 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाए तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती है.

मच्छरजनित बीमारियों से बचाव और उपाय को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा हैलेकिन, लोगों को खुद भी जागरूक होना बहुत जरूरी हैउक्त सभी नियमों को लोग पूरी जिम्मेदारी के साथ फॉलो करें.

शरत चंद्र पांडेय, जिला मलेरिया अधिकारी