-अतिसंवेदनशील शहर में लॉज और गेस्ट हाउस में अपराधी ले रहे शरण

-सिर्फ अलर्ट के दौरान होती चेकिंग,

एलआईयू भी रजिस्टर चेकिंग के नाम पर कर रही है खानापूर्ति

- बिहार टॉपर कांड के दोनों आरोपियों के कई दिनों तक गेस्ट हाउस में छुपे रहने से सामने आयी हकीकत

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कई आतंकी वारदात का गवाह बन चुके बनारस में हर पाल किसी वारदात का डर बना रहता है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अतिसंवेदनशील शहरों में शामिल है। लेकिन यहां मौजूद लॉज और गेस्ट हाउस अपराधियों की शरणस्थली बन चुके हैं। इसे लेकर कोई गंभीर नहीं है। कहीं आतंकी घटना के बाद अलर्ट जारी होने पर लॉज, गेस्ट हाउस और होटलों की चेकिंग की जाती है। कुछ दिन बाद गली-गली में चलने वाले गेस्ट हाउस लॉज की तरफ कोई सुरक्षाकर्मी जाना भी जरूरी नहीं समझता है। सवाल ये है कि क्या किसी बड़ी घटना के बाद ही कोई आतंकी यहां के गेस्ट हाउस और लॉज में स्टे करेगा? अगर ऐसा नहीं है तो सुरक्षा एजेंसियों की यह लापरवाही भारी पड़ सकता है। बिहार टॉपर स्कैम मामले के आरोपितों के कई दिनों तक अलग-अलग गेस्ट हाउस में छुपे रहने से हकीकत सामने आ गयी। शिवाला स्थित गेस्ट हाउस से गिरफ्तार दोनों आरोपी लालकेश्वर और ऊषा सिंह सप्ताह भर से बनारस के अलग-अलग गेस्ट हाउस और होटलों में ठिकाना बदलकर रह रहे थे।

नियम तो बहुत हैं

- बनारस में रजिस्टर्ड गेस्ट हाउस की संख्या 280 है

- जबकि रजिस्टर्ड लॉज 300 से ऊपर हैं

- 250 से ज्यादा पीजी हैं

- छोटे-बड़े होटल मिलाकर 200 से ज्यादा रजिस्टर्ड हैं

- नियम के मुताबिक सभी होटल, लॉज और गेस्ट हाउस को अपने यहां आने वाले हर गेस्ट की डेली जानकारी पुलिस प्रशासन को देनी चाहिए

- इसके लिए संबधित बीट का खुफिया विभाग का सिपाही या अधिकारी डेली यहां मेनटेन होने वाले रजिस्टर से ये जानकारी लेता है

- होटल और गेस्ट हाउस की जिम्मेदारी है कि हर आने वाले की पूरी डिटेल उसके आईडी प्रूफ संग ले

- आईडी की एक कॉफी होटल, लॉज या गेस्ट हाउस ओनर को रखनी होती है

- जबकि एक कॉपी खुफिया विभाग का अधिकारी अपने पास रखता है

- हर होटल, लॉज और गेस्ट हाउस में सीसी कैमरा अनिवार्य है

- ताकि किसी संदिग्ध के होने पर उसे ट्रेस किया जा सके

कोई नहीं मानता नियम

- बनारस पीएम का संसदीय क्षेत्र है, यहां डेली हजारों सैलानी आते हैं

- कुछ तो सही ढंग से होटल, लॉज और गेस्ट हाउस में रुकते हैं लेकिन अधिकांश नियमों की अनदेखी करते हैं

- छोटे गेस्ट हाउस संचालन करने वाले यहां ठहरने वालों की कोई आईडी नहीं लेते

- इंडियन टूरिस्ट के आने पर अक्सर उनसे भी आईडी नहीं ली जाती

- ये लापरवाही बड़ा खतरा बन सकती है

- इस लापरवाही का फायदा शहर का अमन चैन छीनने की चाहत रखने वाले भी उठा सकते हैं