वाराणसी (ब्यूरो)। गाजीपुर के रहने वाले अनिल राजभर को बचपन में शरीर में कट या खरोंच लगने पर खून बहता रहता था। पहले तो परिजनों ने इसे नार्मल रूप से लिया फिर हर बार यही सिलसिला चलने लगा तो उन्हें डर लगने लगा। इसके बाद डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने जांच के लिए बीएचयू भेज दिया। यहां हीमोफीलिया डे केयर सेंटर में जांच के बाद मालूम हुआ कि उन्हें हीमोफीलिया है। इसके बाद उनका इलाज चलने लगा। अब वह पहले से बेहतर हैैं, लेकिन इस बीमारी ने उन्हें तोड़ दिया। यह तो सिर्फ एक उदाहरण है। पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो 610 पेशेंट रजिस्टर्ड हैैं, जबकि वर्ष 2022 में 509 मरीज सामने आए थे। इनमें से 80 परसेंट पेशेंट हीमोफीलिया-ए से पीडि़त हैैं तो फैक्टर-7 को सबसे घातक माना गया है। बच्चों को अपने पेरेेंट्स से विरासत में मिलने वाली ये बीमारी हर साल वल्र्ड हीमोफीलिया डे के नाम से 17 अप्रैल को मनाई जाती है.
हादसे के बाद जानलेवा
हीमोफीलिया एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें खून का थक्का जमाने वाले फैक्टर-8 और फैक्टर-9 नहीं बनते। ऐसे में अगर शरीर से खून बहने लगता है तो फिर रुकता नहीं है। चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होता है। प्राइवेट अस्पतालों या डॉक्टरों के यहां इसका इलाज काफी महंगा है, लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेज में निशुल्क है। बता दें कि पांच या दस हजार व्यक्तियों में किसी एक को यह बीमारी होती है। फैक्टर-8 की कमी से हीमोफीलिया-ए व फैक्टर-9 की कमी से हीमोफीलिया-बी होता है। इसके अलावा कुछ मरीजों में फैक्टर-7 भी नहीं बनते हैं, जोकि घातक है.
थ्राम्बोप्लास्टिक की कमी से बीमारी
बीएचयू अस्पताल स्थित हीमोफीलिया डे केयर सेंटर में इस साल 610 हीमोफीलिया के पेशेंट पहुंचे हैं। इसमें 80 परसेंट हीमोफीलिया ए से पीडि़त हंै। हीमोफीलिया ए से पीडि़त लोगों के खून में प्लाज्मा प्रोटीन, फैक्टर 8 बहुत कम मात्रा में होता है। यह बीमारी ब्लड में थ्राम्बोप्लास्टिक नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। इससे खून का बहना रुकता ही नहीं है। इसे क्लॉटिंग फैक्टर भी कहा जाता है.
फैक्ट एंड फीगर
साल-पेशेंट
2019-445
2020-315
2021-322
2022-509
2023-610
एक वायल की कीमत 50 हजार
बीएचयू स्थित हीमोफीलिया डे केयर सेंटर में 610 मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें हीमोफीलिया-ए के 489, हीमोफीलिया-बी के 99 व फैक्टर-7 के 22 मरीज शामिल हैं। फैक्टर-8 के एक वायल की कीमत 4-5 हजार, फैक्टर-9 की नौ से 10 हजार व फैक्टर-7 के एक वायल की कीमत 50 हजार रुपये है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मरीजों को निशुल्क फैक्टर चढ़ाया जाता है.
क्या है फैक्टर-7 की भूमिका
डॉक्टर कहते हैं कि इस बीमारी का मुख्य इलाज फैक्टर-8 व नौ का इंजेक्शन ही है। लंबे समय तक इलाज चलने से कई मरीजों में इस इंजेक्शन का असर बंद हो जाता है। इस स्थिति में मरीजों को फैक्टर-7 का इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है.
सालाना 6,400 वायल फैक्टर
बीएचयू अस्पताल के ब्लड बैंक में फैक्टर-8 के 5000 वायल, फैक्टर-9 के 900 वायल व फैक्टर-7 के 500 वायल सालाना मरीजों को चढ़ाए जाते हैं.
हीमोफीलिया के लक्षण
-रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग होना, हीमोफीलिया का प्राथमिक लक्षण है.
-त्वचा के नीचे ब्लीडिंग होना, जो हेमेटोमा (शरीर के नरम ऊतकों में रक्त जमा होना) का कारण बन सकता है.
-मुंह में या मसूड़ों से खून बहना, ऐसाआमतौर पर दांत संबंधी कोई ट्रीटमेंट, सर्जरी या रोग होने के बाद होता है.
-वैक्सीनेशन या इंजेक्शन लेने के बाद खून निकलना.
-जोड़ों में ब्लीडिंग होने से प्रभावित जोड़ों में सूजन या दर्द होना, इसमें ज्यादातर कोहनी, घुटने और टखने प्रभावित होते हैं.
-बार-बार नाक से खून बहना जिसे रोकना मुश्किल हो जाना.
-मुश्किल डिलीवरी के बाद नवजात के सिर से खून दिखाई देना.
-पाचन प्रणाली में ब्लीडिंग होने से उल्टी, मल या पेशाब में खून दिखना.
-मस्तिष्क में ब्लीडिंग होने के कारण सिरदर्द, उल्टी या दौरे की समस्या हो सकती है.
हीमोफीलिया एक गंभीर बीमारी है, जोकि पुरुषों में ज्यादा होती है। हर साल इसके मरीज बढ़ते जा रहे हैं.
डॉ। संदीप कुमार, ब्लड बैैंक, प्रोफेसर इंचार्ज